पापा ने कहा तानों पर नही ...
देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर एक पिता अपने बेटे के साथ उसका किट बैग लेकर बस स्टैंड तक छोड़ने जा रहे थे। तभी कुछ लोग ताने मारते हुए कहते हैं कि "ओए सचिन और उसके पापा भी जा रहे हैं भाई, ये बनेगा तेंदुलकर?" वे जो लोग ताने मार रहे थे वे अभी कहां हैं और क्या कर रहे हैं ये कोई नहीं जानता है लेकिन हां जिस लड़के का मजाक उड़ाया जा रहा था आज उसे दुनिया एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर के तौर पर जरूर जानती है। हम बात कर रहे हैं IPL में राजस्थान रॉयल्स टीम के कप्तान संजू सैमसन की, आज इस ब्लॉग में हम आपको संजू सैमसन और उनके माता-पिता और परिवार के संघर्ष की वो कहानी सुनाने जा रहे हैं जो हम सबके लिए प्रेरणादायक है। अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए संजू सैमसन के पिता ने जो कुछ भी किया है वो एक मिसाल बनकर हमारे सामने है।
सफलता के पीछे संघर्ष की एक लंबी गाथा होती है। क्रिकेटर संजू सैमसन (Sanju Samson) की राह भी आसान नहीं थी। संजू अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं। एक साक्षात्कार के दौरान संजू सैमसन ने बताया कि कैसे उनके माता पिता और भाई ने हर स्तर पर उनको सपोर्ट किया। संजू सैमसन ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए यूट्यूब शो 'ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस' पर बताया कि मेरे पेरेंट्स मेरा किड बैग लेकर बस स्टैंड तक ड्रॉप करते थे। क्रिकेट का किट बैग बहुत भारी हुआ करता था और पीछे से लोग कहा करते थे कि ये देखो- सचिन और उसके पापा भी जा रहा हैं…अब ये भी बनेगा तेंडुलकर। संजू सैमसन के पिता इस तरह के तानों की अनदेखी करने का सलाह देते हुए कहते थे कि तुम्हें क्रिकेट पर पूरी तरह से फोकस करना चाहिए ना की लोग क्या कह रहे हैं?
क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है और टीम में जगह बनाना बहुत मुश्किल होता है। किसी भी क्रिकेट टीम में 11 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं और यहां किसी प्रकार की चूक को करने के लिए गुंजाइश नहीं होती है। ऐसे समय में संजू के बड़ा भाई सदैव उनका हौसला बढ़ाए रखते थे। संजू के भाई और उनके पापा को पूरा विश्वास था कि वे टीम इंडिया के लिए जरूर खेलेंगे।
अपनी सफलता के पीछे पिता के लगन और साधना को याद करते हुए संजू सैमसन कहते हैं कि जब पापा को ये जानकारी मिली की मुझे दिल्ली से घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए अवसर नहीं मिल रहे हैं तो उन्होंने मुझे केरल की तरफ से क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया। संजू सैमसन अपनी प्रैक्टिस को अच्छे से कर सके इसके लिए उनके पिता ने दिल्ली पुलिस से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली ताकि उनका पूरा ध्यान बेटे के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित हो सके।संजू सैमसन ने बताया कि उनके पापा दिल्ली पुलिस में सेवारत थे। दिल्ली में 1-2 ट्रायल करने के बाद जब सफलता नहीं मिली तो उन्होंने फैसला किया कि केरल की तरफ से खेलने का प्रयास करना चाहिए। 2 साल बाद ही इनके पिता ने VRS ले ली और बेटे को साथ लेकर केरल में प्रैक्टिस कराने ले गए। इस सबके दौरान उनके माता पिता ने बेटे के सामने ये एहसास भी नहीं होने दिया कि वे बच्चे के भविष्य की खातिर संघर्ष कर रहे हैं।
संजू सैमसन बताते हैं कि क्रिकेट को लेकर उनकी अभिरूचि को देखते हुए पिता ने सदैव उन्हें अपना करियर इस खेल में बनाने के लिए प्रेरित किया। संजू के पिता खुद स्पोर्ट्स में सक्रिय रहते थे। उनके पिता पुलिस टीम के लिए फुटबॉल खेलते थे। बचपन के दिनों में ही उनके पिता अपने साथ स्टेडियम ले जाया करते थे।
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