क्या फायदे हैं पंचतंत्र क ...
बेहतर समाज निर्माण के लिए बच्चों को सभी प्रकार का ज्ञान दिया जाना चाहिए जिससे उनका चहुंमुखी विकास हो सके। शास्त्रों के अनुसार बच्चे के प्रथम 7 वर्ष तक उसे हर तरफ से सहज रूप में जानकारी दी जानी चाहिए। उसमें उत्सुकता और सीखने की ललक को बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए। बच्चों का मानसिक विकास कहानियां, व चित्रकथाएं पढ़ने के साथ ही माता-पिता और शिक्षकों से बेझिझक इनसे संबन्धित बातचीत करने से बढ़ता है। बच्चों को ऐसी कहानियाँ पढ़ने और सुनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए जो उनमें अच्छे संस्कार आ सकें। साथ ही ज्ञानवर्धक कहानियाँ पढ़ने से बच्चों के स्कूल और होमवर्क की बोझिल दिनचर्या बोझिल नहीं लगती है और ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ ही साथ बच्चों को कुछ नया और रचनात्मक सोचने और कभी- कभी नया लिखने के लिए प्रेरित भी करती हैं। विभिन्न विषयों पर बच्चों के नजरिया भी बदलता है और भाषा पर पकड़ भी मजबूत होती है जो उनकी पढ़ाई में सहयोग करती है।
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इसीलिए हम बताना चाहते हैं कि ऐसी कौन-सी किताबें हैं जिनकी कहानियों को बच्चों को सुनाने से उनमें हर तरह का ज्ञान और जानकारी का विकास होता है। इससे उनमें विचार और अनुभव करने की क्षमता का भी विकास होता है। आइए जानते हैं ऐसी ही एक कहानियों की किताब “पंचतंत्र (panchtantra)” के बारे में, जिसकी शिक्षाप्रद कहानियों को पढ़कर आपका बच्चा ज्ञान की बातें सीख सकता है। आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र को संस्कृत नीति कथाओं में पहले स्थान पर माना गया है। इस किताब की सभी कहानियां लगभग चित्रों के रूप में भी प्रस्तुत हैं और टेक्नोलॉजी के विकास के साथ ही अब वे एनिमेशन का भी रूप ले रही हैं।
वस्तुतः यह कहानियाँ राजा अमरशक्ति के मूर्ख एवं उद्दंड पूत्रों को रोचक कहानियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ने के लिए सुनाई गईं थीं जिसे बाद में विष्णु शर्मा द्वारा ही पंचतंत्र कहानी (panchtantra story) संग्रह के रूप में संकलित किया गया। अतः हम समझ सकते हैं कि सीखने की आयु में बच्चों की सकारात्मक समझ बढ़ाने के लिए कितनी उपयोगी हैं। व्यावहरिक जीवन में इसकी कहानियां से प्राप्त शिक्षा बच्चों का ज्ञान बढ़ाने, उनकी समझ विकसित करने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने में खूब सहायता करती हैं।
पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra stories in hindi) सभी विषयों को बड़े ही रोचक तरीके से सामने रखकर बच्चों को बहुत ही अच्छी सीख देती हैं। पंचतंत्र की कहानियां बहुत जीवंत हैं। प्रत्येक कथा को पढ़कर यह ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कैसे सफल हों। मनोविज्ञान, व्यावहारिकता तथा नैतिकता के सिद्धांतों से परिचित कराती ये कहानियाँ सरल भाषा में सभी विषयों को बड़े ही रोचक तरीके से बच्चों के सामने रखती हैं और साथ ही हर कहानी एक सीख देने की कोशिश करती है। इन कहानियों में पत्रों के रूप में पशु-पक्षियों का वर्णन अधिक किया गया है और लेखक ने अपने विचारों को उनके माध्यम से व्यक्त किया है। पशु-पक्षियों/ लोगों को आधार बनाकर बच्चों को उचित-अनुचित आदि का ज्ञान देना सरल होता है।
पंचतंत्र में 5 भागों में विभाजित कुल 87 कथाएं हैं जिनमें से अधिकांश प्राणी कथाएं हैं। इन प्राणी कथाओं का उद्गम सर्वप्रथम महाभारत में हुआ था। इस किताब के पाँच तंत्र या विभाग हैं इसीलिए इसे पंचतंत्र कहा जाता है। ये भाग हैं -
पंचतंत्र की अधिकांश कहानियों में कहानियों प्राणियों/ वन्य जीवों के माध्यम से विभिन्न व्यावहारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक बातों का उल्लेख किया गया है जिससे बच्चे अच्छे संस्कार सीखते हैं। पंचतंत्र के विभिन्न भागों की कहानियों से बच्चे सीखते हैं कि मित्रों से कैसा व्यवहार होना चाहिए, परिवार का जीवन में क्या स्थान है, परिश्रम एवं ईमानदारी का क्या महत्व है तथा संकट पड़ने पर अपनी बुद्धि से किस प्रकार समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए। इससे एक अच्छे समाज का निर्माण होता है। ये कहानियाँ चित्रों के रूप में उपलब्ध हैं, जिससे बच्चों के लिए इन्हें समझना काफी आसान और रुचिकर हो जाता है। 50 से अधिक भाषाओं में अनुवादित होने के कारण पंचतंत्र की ये कहानियां व्यापक जनमानस में अपनी पहुँच रखती हैं तथा बच्चों को उनकी भाषा में अत्यंत सरलता से नीतिगत बातें समझाने में अति उपयोगी सिद्ध होती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जो बच्चे सोने से पहले 20 मिनट भी कहानियाँ पढ़ते हैं उनके पढ़ने की क्षमता में साल में कम से कम 10 दिन स्कूल जाने के बराबर वृद्धि होती है। पंचतंत्र की ये कथाएं मानव स्वभाव को समझने और सावधानीपूर्वक व्यवहार करने की समझ का विकास करती हैं। इसलिए अपने बच्चों को पंचतंत्र की कहानियाँ जरूर पढ़ाएँ, जो उनमें भविष्य के लिए समझ विकसित करने में सहायक बनती हैं।
बच्चे मन के सच्चे होते हैं आप अपने बच्चे को अभी जितनी अच्छी बातें सिखाएंगे आगे चलकर ये उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होगा। क्या आप जानते हैं कि बच्चे को कुछ अच्छी बातें सिखाने का सबसे सही और सटीक माध्यम क्या है? क्या आपको अपना बचपन याद है जब हमें दादा-दादी और नाना-नानी कहानियां सुनाया करते थे। आज के दौर में भी कहानी सबसे सशक्त माध्यम है क्योंकि कहानियों के माध्यम से हम अपने बच्चों में संस्कार, अच्छी आदतें विकसित कर सकते हैं। कहानियों की इस श्रृंखला में पंचतंत्र की कहानियां सर्वश्रेष्ठ है। पंचतंत्र यानि पांच भागों में बंटी ये कहानियां शिक्षाप्रद तो हैं हीं इसके साथ ही सदाचार जैसे गुणों का भी विकास करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
सूरज नाम का एक किसान किसी गांव में अपनी पत्नी के साथ रहता था। किसान बुजुर्ग हो गया था लेकिन उसकी पत्नी उसके मुकाबले कम उम्र की थी। किसान की पत्नी इस बात को लेकर सदैव दुखी रहती थी। किसान की पत्नी चाह रही थी कि उसकी शादी किसी नौजवान से हो जाए। किसान के मन की इस बात के बारे में एक चोर को पता चल गया। अब वह चोर किसान की पत्नी को कैसे ठगा जाए इसको लेकर योजना तैयार करने लगा।
उस चोर ने किसान की पत्नी को पहले तो एक झूठी कहानी सुनाई। चोर ने कहा कि कुछ साल पहले ही उसकी पत्नी उसको छोड़ कर कहीं चली गई। अब मैं अकेला जीवन बीता रहा हूं लेकिन वह किसान की पत्नी से प्यार करने लगा है और उसको साथ लेकर शहर जाना चाहता है। किसान की पत्नी उसके झांसे में आ गई और उसने फौरन हामी भर दी। किसान की पत्नी ने कहा कि वो साथ चलने के लिए तैयार है लेकिन उसके पति के पास बहुत धन है तो वह पहले उसको ले आती है ताकि इन पैसों से आराम की जिंदगी काटी जा सके। चोर उसकी बातें सुनकर प्रसन्न हो उठा तो उसने कहा कि ठीक है मैं इसी जगह पर इंतजार कर रहा हूं।
उसके बाद वह महिला अपने घर पहुंची। किसान गहरी नींद में सोया था। महिला ने सारे जेवर और कैश को समेट लिया औऱ चोर के पास वापस आ गई। किसान की पत्नी को देखते ही चोर बहुत खुश हो गया, उसने सोचा कि अब उसको धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता है बस रास्ते से इस महिला को हटाने का उपाय सोचना होगा। वहां से दोनों शहर की तरफ निकल गए। रास्ते में एक नदी मिल गई। नदी को देखते ही चोर को एक उपाय सूझा, उसने महिला से कहा कि ये नदी अत्यधिक गहरी है। मैं तुम्हें इस नदी को पार कराउंगा लेकिन पहले पोटली को उस पार रखकर आना होगा फिर वापस आकर तुम्हें ले जाउंगा।
चोर की बातों से ये महिला इस कदर प्रभावित हो चुकी थी कि वो इस प्रस्ताव के लिए सहज ही मान गई। चोर ने कहा कि तुमने जो ये सारे जेवर अपने शरीर पर लाद रखे हैं इसको भी दे दो ताकि नदी पार करने में कोई कठिनाई ना रहे। महिला ने अपने सारे जेवर भी उतारकर उस चोर को दे दिए। पोटली में रखा सारा धन और जेवर लेकर चोर नदी के पार चला गया। इधर ये महिला उस चोर के आने का इंतजार करती रह गई लेकिन वो चोर तो वहां से कब का दूर जा चुका था। अब इस महिला को ये अंदाजा लग गया कि उसके साथ उस चोर ने धोखाधड़ी कर ली है। महिला रोने लगी लेकिन अब पछतावा के अलावा वो कर भी क्या सकती थी।
कहानी से क्या सीखने को मिला- रिश्तों में ईमानदारी रखनी बहुत आवश्यक है। इसके साथ ही आंख मूंदकर किसी पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए। अपने कीमती सामान को कभी किसी अंजान व्यक्ति को नहीं सौंपना चाहिए।
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