देश में नई शिक्षा नीति ला ...
देश की शिक्षा नीति में व्यापक पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। तकरीबन 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर हायर एजुकेशन में परिवर्तन किए गए हैं। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। आपके लिए ये जानना जरूरी है कि शिक्षा नीति में बदलाव का आने वाले दिनों में क्या असर पड़ने वाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई है। अब स्कूली बच्चों पर से बोर्ड की परीक्षा का भार कम किया जाएगा वहीं अगर कोई बच्चा बीच में पढ़ाई छोड़ भी देता है तो उसके द्वारा पहले की गई पढ़ाई बेकार नहीं होगी। शिक्षा पर सरकार के द्वारा किए जाने वाले खर्च 4.43 प्रतिशत को बढाकर अब देश की कुल जीडीपी का 6 फीसदी तक खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
स्कूलों में जहां पहले 10+2 सिस्टम से पढ़ाई होती थी अब उसके स्थान पर 5+3+3+4 फॉर्मेट में पढ़ाई किए जाएंगे। स्कूल के पहले 5 साल में प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल, क्लास 1 औऱ टू सहित फाउंडेशन स्टेज को शामिल किया गया है। इस 5 साल की पढ़ाई के लिए नए सिलेबस भी तैयार किए जाएंगे। इसके बाद अगले 3 साल के स्टेज में कक्षा 3 से 5 को शामिल किया गया है। फिर इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज में कक्षा 6 से 8 को शामिल किया गया है। इस दौरान अब से क्लास 6 से ही बच्चे को प्रोफेशनल और नए कौशल को सीखाया जाएगा। लोकल लेवल पर इस दौरान बच्चे को इंटर्नशिप भी मुहैया कराया जाएगा। चौथे स्टेज यानि क्लास 9 से 12वीं तक यानि 4 साल में छात्र खुद से अपना विषय चुन सकते हैं। इसको ऐसे समझिए कि अब अगर कोई बच्चा साइंस या मैथ्स के संग फैशन डिजाइनिंग या संगीत सीखना चाहता है तो वो चयन कर सकता है। इससे पहले की पद्धति में होता था कि क्लास 1 से 10 तक बच्चों को आमतौर पर सभी विषय पढ़ने होते थे औऱ फिर 11वीं में जाकर वे अपना विषय चयन करते थे लेकिन साइंस के संग संगीत या अन्य रूचि के विषयों का चयन करने की आजादी नहीं होती थी। अब अपने इंटरेस्ट के हिसाब से बच्चे विषयों का चयन करके शिक्षा हासिल कर सकते हैं।
मौजूदा स्थिति में सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पहली कक्षा से शुरू होती है लेकिन नई शिक्षा नीति में अब बच्चों को 5 साल के फाउंडेशन स्टेज से गुजरना होगा। अब सरकारी स्कूलों में भी इसका बदलाव नजर आएगा और तीसरी कक्षा से पहले बच्चों के लिए 5 लेवल और नए बनाए जाएंगे।
नई शिक्षा नीति में बच्चों को सिर्फ डिग्री नहीं बल्कि रोजगारपरक शिक्षा मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया गया है। यही वजह है कि छठी कक्षा से ही बच्चों को पेशेवर बनाने के लिए नए स्किल सीखाए जाएंगे। स्कूली शिक्षा के दौरान ही बच्चों को नौकरी के लिए जरूरी तकनीक और कौशल सिखाए जाएंगे।
10वीं और12वीं बोर्ड की परीक्षा के सिस्टम में भी होगा बदलाव- दसवीं औऱ 12वीं के बोर्ड के मौजूदा सिस्टम में भी आनेवाले दिनों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। बोर्ड परीक्षा को लेकर कई अहम सुझाव सामने आए हैं जैसे कि अब इसके लिए साल में 2 परीक्षा आयोजित किए जा सकते हैं, ऑब्जेक्टिव औऱ डिस्क्रिप्टिव श्रेणियों में इनको विभाजित किया जा सकता है। सिलेबस को रटने की प्रवृत्ति खत्म करने के लिए अब ज्ञान का परीक्षण किया जाएगा। बोर्ड परीक्षआ के लिए विशेष रूप से प्रैक्टिकल मॉडल भी तैयार किए जा सकते हैं। नई नीतियों के मुताबिक क्लास 3, क्लास 5 और क्लास 8 में भी परीक्षा लिए जाएंगे औऱ 10 वीं व 12वीं बोर्ड के लिए पहले के फॉर्मेट को बदला जा सकता है।
मातृभाषा में पढ़ाई- नई शिक्षा नीति के मुताबिक पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा कराने की बात की जा रही है, इसके बाद भी अगर संभव हुआ तो 8वीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे बच्चों का अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव बढ़ेगा और उनको पढ़ाई करने में भी आसाना हो सकती है।
बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में भी पहले के मुकाबले अब बदलाव किया जा सकता है। बच्चे के रिपोर्ट कार्ड का मूल्यांकन अब 3 स्तर पर किया जाएगा। पहला आंकलन बच्चा खुद करेगा, दूसरा आंकलन उसके क्लास में पढ़ने वाले छात्र करेंगे और उसके बाद शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर के द्वारा बच्चों के सीखने की क्षमता का निरीक्षण करेंगे। पढ़ाई छोड़ चुके तकरीबन 2 करोड़ बच्चों को फिर से स्कूलों में एडमिशन कराने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
साल 2030 तक देश के हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थान तैयार करने की योजना बनाई गई है। अब से शिक्षा में तकनीक पर ज्यादा बल रहेगा। ऑनलाइन शिक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में भी कंटेंट बनाए जाएंगे, वर्चुअल लैब, डिजिटल पुस्तकालय, स्कूल के शिक्षकों व छात्रों को डिजिटल संसाधनों से लैस करने के लिए खास प्रशिक्षण दिए जाएंगे। कुल मिलाकर टेक्नॉलॉजी पर विशेष जोर दिया जाएगा। कंप्यूटर, लैपटॉप व मोबाइल के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के ऐप्प की मदद से पढ़ाई को रोचक औऱ आसान बनाया जाएगा।
शिक्षा की नई नीति में कृषि, कानूनी, चिकित्सा, तकनीकी, कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे विषयों को भी प्रमुखता के साथ शामिल किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
नई शिक्षा नीति को लेकर विशेषज्ञों की भी अपनी-अपनी राय है। एक पैरेंट्स होने के नाते आप इस बदलाव को किस रूप में देखते हैं। अपनी राय आप हमें यहां नीचे कमेंट बॉक्स में भेज सकते हैं।
Be the first to support
Be the first to share
Comment (0)