गर्भावस्था में नेस्टिंग क ...
जब आपके घर पर कोई मेहमान आने वाला होता है तो आप उसके स्वागत की तैयारी में जुट जाती हैं ना…ठीक उसी तरह एक मां जन्म देने से पहले ही शिशु के लिए खास तैयारी करने लगती है….बिल्कुल सरल शब्दों में आप इसको ऐसे समझें कि एक पक्षी अपने अंडों को सुरक्षित रखने के लिए पहले ही अपना घोंसला तैयार करके रख लेती है। अंडे को धूप, तेज हवा बारिश और तूफान से बचाने के लिए पक्षी अपने घोंसला को बनाने की तैयारी पहले से ही शुरू कर देती है। ठीक इसी तरह मां भी अपने शिशु के आगमन की तैयारी में कई महीने पहले से ही जुट जाती है। इस प्रवृत्ति को ही नेस्टिंग कहते हैं। आम तौर पर गर्भावस्था के आखिरी दिनों में ये प्रवृत्ति और ज्यादा प्रबल हो जाती है।
मां में नेस्टिंग होने पर अपने होने वाले बच्चे के लिए कपड़े, दूध पीने की बोतल, और डिलीवरी के बाद शिशु के लिए आवश्यक सामानों को इकट्ठा करने लगती है। कुछ मां को इस बात की चिंता भी हो सकती है कि उसका बच्चा जिस कमरे में रहेगा, क्या वो साफ है या नहीं….प्रेगनेंसी के दौरान नेस्टिंग इंस्टिक्ट मां को डिलीवरी के लिए मानसिक तौर पर मजबूत बनाने में मददगार साबित होता है। मां के मन में ये भावना होने लगती है बस कुछ दिन और, उसके बाद उनका नन्हा शिशु उनकी गोद में आने वाला है। मां के मन की इस भावना को शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है, इस भावना को बस एक मां ही समझ सकती है। हम इस ब्लॉग में आपको विस्तार से नेस्टिंग इंस्टिक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं।
नेस्टिंग प्रक्रिया के प्रेग्नेंसी के दौरान क्या फायदे हो सकते हैं, इसके बारे में आपको जरूर जान लेना चाहिए।
नेस्टिंग प्रक्रिया की मदद से गर्भावस्था के दौरान तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
नेस्टिंग प्रक्रिया डिलीवरी से पहले मां और शिशु के बीच एक बॉन्ड को डेवलप करता है। मां के लिए वो पल बेहद खास होता है।
मां ये सोच-सोचकर खुश रहती है कि अपने शिशु के लिए क्या करें…और ये कल्पना करते हुए मां का मूड अच्छा बना रहता है।
डिलीवरी प्रक्रिया या डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द के भय को कम करने में भी नेस्टिंग प्रक्रिया मां की भरपूर मदद करता है।
और अब बात उस नन्हें मेहमान की जो बहुत जल्द दस्तक देने वाला है, उसके लिए भी ये प्रक्रिया लाभदायक है क्योंकि जन्म के बाद शिशु की जरूरत का हर सामान पहले से ही तैयार होगा।
डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स की माने तो प्रेग्नेंसी में एस्ट्राडियोल हार्मोन अधिक मात्रा में बनन लगती है। एस्ट्राडियोल हार्मोन के कारण ही गर्भावस्था के दौरान नेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू होती है। इस हार्मोन के प्रभाव के चलते गर्भावस्था के आखिरी महीने में साफ-सफाई को लेकर मां ज्यादा सावधानियां बरतने लगती है। लेकिन इसके साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि गर्भावस्था के आखिरी महीनों में आपको ज्यादा शारीरिक परिश्रम करने से बचना चाहिए। इस दौरान आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आपको किसी प्रकार का शारीरिक चोट नहीं लगे। अपने घर के लोगों की ज्यादा मदद लें। लेकिन इसके साथ ही ये बात भी महत्वपूर्ण है कि अगर गर्भावस्था के दौरान नेस्टिंग प्रक्रिया का अनुभ नहीं हो रहा है तो बिल्कुल भी चिंता ना करें। ये बिल्कुल आवश्यक नहीं है कि सभी गर्भवती महिला के साथ ऐसा हो ही।
इस दौरान आपको ज्यादा वजनदार सामान नहीं उठाना चाहिए।
जहां तक संभव हो तो आपको सीढियों पर चढ़ने ये उतरने से भी बचना चाहिए। अगर लिफ्ट की सुविधा हो तो इस समय में लिफ्ट का ही प्रयोग ज्यादा करें।
इस समय में जैसे ही आपको थकान महसूस तो जो काम आप कर रही हैं उसको तत्काल रोक दें और आराम करें।
अपने होने वाले बच्चे की जरूरत की चीजों को इकट्ठा कर लें जैसे की बोतल, कपडे, टॉवेल, नैपी
डिलीवरी का जो ड्यू डेट है उससे पहले मैटरनिटी बैग में ले जाने वाले सामानों की चेक लिस्ट बना लें
इसके साथ ही स्वच्छता का खास ख्याल रखने के लिए साबुन, सैनिटाइजर और सफाई का सारा सामान अलग से एक बैग में रख लें।
आप @parentune.com पर उन मां से भी चर्चा कर सकती हैं जिन्होंने हाल ही में शिशु को जन्म दिया है। उनका अनुभव आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान मां का नेस्टिंग इंस्टिक्ट होना स्वाभाविक प्रक्रिया है। मां के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ उन्हें ऊर्जावान भी बनाता है। मां की योजनाएं उनको अंदर से प्रफुल्लित बनाए रखता है। मां अपने बच्चे के लिए नई योजनाएं बनाती है कि जैसे कि घर को कैसे सजाएं।
सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि नेस्टिंग इंस्टिक्ट को कभी भी नकारात्मक रूप में नहीं देखें लेकिन इसकी अधिकता का होना भी सही नहीं है।
अपने होने वाले बच्चे के लिए सभी चीजों की तैयारी करना अच्छी बात है लेकिन उसके बारे में सोच-सोचकर परेशाना होना या चिंतित होना अच्छी बात नहीं है। इन सबके बारे में विचार करते हुए देर रात तक जगने से बचें। आप चाहें तो इसके बारे में अपने पति या रिश्तेदारों से चर्चा करें। किसी की मदद लेने से बिल्कुल संकोच ना करें। अनावश्यक तनाव से बचें और समय समय पर अपने डॉक्टर से चर्चा करते रहें।
गर्भावस्था के अंतिम चरण में अपने शरीर को भरपूर आराम दें। सबसे जरूरी है कि आप अपनी देखभाल पर इस समय में पूरा फोकस बनाए रखें। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक आहार पर ध्यान दें। ऐसा कुछ भी ना करें जिससे आपको ज्यादा शारीरिक थकावट महसूस हो
सफाई का ध्यान रखें लेकिन इसको लेकर किसी प्रकार का तनाव या अवसाद नहीं पालें। आपके घर के लोग आपका पूरा ध्यान रख रहे हैं इसलिए अपनी बात को आराम से उनके सामने रखें।
अपना हॉस्पीटल बैग और बच्चे का बैग पैक करना शुरू कर दें। इस काम में आपकी नेस्टिंग एनर्जी मददगार साबित हो सकती है।
ध्यान रखें, नेस्टिंग को आपको एक सकारात्मक अनुभव के रूप में स्वीकार करना है और इसको लेकर तनाव लेने की बजाय रचनात्मक गतिविधि के तौर पर देखिए। अपने घर को व्यवस्थित बनाएं, ये आपको मानसिक तौर पर संतुष्टि प्रदान कर सकता है। नेस्टिंग के दौरान अपने फैमिली मेंबर्स के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
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