एक्टर आमिर खान के बेटे जु ...
फिल्म अभिनेता आमिर खान और उनके बेटे जुनैद खान को कौन नहीं जानता। आमिर खान फिल्म इंडस्ट्री में एक सफल अभिनेता और फिल्म निर्माता के रूप में जाने जाते हैं। वहीं उनके बेटे जुनैद की बात करें तो उन्होंने भी पिता की तरह बॉलीवुड में शानदार इंट्री की है। उनकी पहली फिल्म 'महाराज' को जनता ने जबरदस्त प्यार दिया। इन दिनों वे अपनी अगामी फिल्म 'लवयापा' को लेकर काफी व्यस्त हैं, जो कि एक रोमांटिक सिनेमा है और जुनैद इस में अपनी प्रेमिका संग रोमांस करते नजर आएंगे। इन दिनों सिनेमा को सफल बनाने को लेकर जमकर प्रचार—प्रसार किया जा रहा है। इसी बीच जुनैद ने बचपन को लेकर हैरान करने वाला खुलासा किया है।
जुनैद कहते हैं कि जब वे छह साल के थे तब वे एक बार बीमार पड़े थे। डॉक्टरों ने जांच के बाद उनके माता—पिता को बताया था कि उनके बेटे को एक विचित्र बीमारी हो गई है। इसका नाम डिस्लेक्सिया है। जुनैद की माने तो इस खबर के बाद उनके माता—पिता के साथ—साथ परिवार के लोग सभी परेशान हो गए। जुनैद ने अपनी बीमारी को लेकर आगें क्या कुछ कहा, इस पर हम आपसे विस्तार पूर्वक बात करेंगे, लेकिन पहले आइए यह जान लेते हैं कि आखिर डिस्लेक्सिया होता क्या है।
डिस्लेक्सिया एक तरह की भूलने की बीमारी है। इसमें बच्चों को यह पता नहीं चल पाता है कि कुछ घंटों पहले मम्मी—पापा या टीचर ने उन्हें क्या पढ़ाया था या क्या समझाया था। जिन बच्चों को यह बीमारी होती है उन्हें अक्षर लिखने और पहचानने में परेशानी होती है। अपनी मातृभाषा बोलने में भी उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आसान भाषा में कहा जाए तो बच्चे खुद को एक सुनसान जंगल में पाते हैं जहां से उन्हें निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है। हालांकि प्यार और दुलार से बच्चों की मदद की जा सकती है और उन्हें ठीक किया जा सकता है।
जुनैद कहते हैं कि जब मुझे डिस्लेक्सिया हुआ तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया। पापा आमिर खान को इस बीमारी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। उन्हें डिटेल में सब कुछ तब पता चला जब वे साल 2007 में हिंदी सिनेमा 'तारे जमीन पर' के स्क्रीप्ट पर काम कर रहे थे। इस फिल्म में आमिर खान ने एक पेंटिंग टीचर की भुमिका निभाई है। स्कूल में उनकी मुलाकात एक बच्चे से होती है जिसे 'डिस्लेक्सिया' नामक बीमारी है। बतौर टीचर आमिर खान इस फिल्म में उस बच्चे की मदद करते हैं और उसके माता—पिता से मुलाकात कर उन्हें समझाते हैं कि बच्चे के साथ कैसे ट्रीट किया जाना चाहिए।
अपनी बीमारी के बारे में जुनैद कहते हैं कि जब पापा को 'तारें जमीन पर' का स्क्रीप्ट सुनाया जा रहा थे तो उनका रिएक्शन चौंकाने वाला था। कहानी सुनते ही वे बोल पड़े कि मैं इस बीमारे के बारे में जानता हूं और मैंने मरीज को नजदीक देखा है। मेरे पास मरीज के साथ समय व्यतीत करने का अच्छा अनुभव है।
जुनैद बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि बीमार होने के बाद परिवार के लोगों से विशेषत: माता—पिता ने उन्हें जमकर सपोर्ट किया। देखभाल अच्छे से हो इस बात का विशेष ख्याल रखा गया। यहीं कारण है कि मैं इस बीमारी को हरा पाया और आज नार्मल लाइफ जी पा रहा हूं। मुझे नहीं याद है कि स्कूल टेस्ट में नंबर कम आने पर या फाइनल रिजल्ट खराब होने पर मुझे कभी डांटा गया हो या बेहतर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया गया हो। मेरे परिवार वालों ने हमेशा मेरे समग्र डेवलपमेंट पर ध्यान दिया।
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