जेमिमा रॉड्रिगेज की वो कह ...
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जेमिमा रॉड्रिगेज जिसे भारतीय महिला क्रिकेट टीम के उभरते हुए सितारे के तौर पर जाना जाता है। पाकिस्तान के खिलाफ महिला टी20 विश्व कप के पहले मुकाबले में जेमिमा ने शानदार अर्धशतक जड़ कर टीम इंडिया को जीत हासिल कराया। पाकिस्तान ने कुल 149 रन बनाए, जेमिमा ने इस मैच में 38 गेंदों पर 53 रनों की नाबाद पारी खेलकर सभी देशवासियों का दिल जीत लिया। लक्ष्य आसान नहीं था लेकिन जेमिमा के मजबूत इरादों ने इस मैच को भारत की झोली में डाल दिया। जेमिमा ने अपनी शानदार पारी अपने माता पिता के नाम समर्पित किया, जेमिमा का हौसला बढ़ाने के लिए उस वक्त स्टेडियम में उनके माता पिता भी मौजूद थे।
प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब जीतने के बाद जेमिमा ने कहा कि ये पारी मेरे लिए बहुत मायने रखता है, हाल के दिनों में आउट ऑफ द फॉर्म चल रही जेमिमा ने कहा कि मैं प्रैक्टिस करती रहीं, ईश्वर को याद करते हुए जेमिमा ने कहा कि वे इस पारी का श्रेय अपने माता पिता को देना चाहती हैं जिन्होंने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। आपको बता दें कि जेमिमा के पहले कोच उनके पिता ही थे।
पाकिस्तान के खिलाफ जेमिमा की अर्धशतकीय पारी को देखने के बाद अब क्रिकेटर के तौर पर स्थापित हो चुकी हैं लेकिन इसके साथ ही जेमिमा हॉकी में भी हाथ आजमाती हैं।
जेमिमा मुंबई की तरफ से हॉकी में अंडर 19 टीम की खिलाड़ी भी रह चुकी हैं।
जेमिमा को उनके साथी प्यार से जेमी के नाम से बुलाते हैं। वो एक प्रतिभाशाली एथलीट खिलाड़ी हैं और जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी रगों में खेल ही दौड़ता है।
जेमिमा ने क्रिकेट का ककहरा अपने पिता से ही सीखा है और प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अनुशासन का पूरा ख्याल रखा। जेमिमा के पिता का मानना है कि किसी भी खिलाड़ी को नियमों व अनुशासन का पूरा पालन करना चाहिए।
बहुमुखी प्रतिभाओं की धनी जेमिमा खाली समय में गिटार बजाना भी पसंद करती है। घरेलू क्रिकेट में स्मृति मंधाना के बाद डबल सेंचुरी लगाने वाली वो दूसरी महिला क्रिकेटर हैं।
जेमिमा रॉड्रिगेज का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहां खेल को लेकर सबके मन में जुनून रहता है। जेमिमा के पिता इवान रॉड्रिगेज और मां लविता रॉड्रिगेज दोनों खेल प्रेमी हैं। 4 साल की अवस्था में दादा जी ने जेमिमा को गिफ्ट के तौर पर हाथों में बल्ला थमा दिया। पिता इवान रॉड्रिगेज भी अपने समय में बेहतरीन क्रिकेटर रह चुके हैं। पूर्व में इनका परिवार भांडुप इलाके में रहता था लेकिन बाद में इनके पिता ने बेंड्रा में शिफ्ट होने का फैसला किया ताकि बच्चों की परवरिश के साथ किसी प्रकार की सुविधाओं की कमी ना रहे। इवान रॉड्रिगेज ने बच्चों को खुद से प्रशिक्षित करना सिखाया। बचपन से ही जेमिमा 15 मिनट की बल्लेबाजी करने के लिए 2 घंटे से भी ज्यादा समय तक फील्डिंग करती थी।
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