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तलाक के बाद डिप्रेशन और फिर दृढ़ संकल्प; ऐसी है एक मां के आईएएस अफसर बनने की कहानी

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Prasoon Pankaj

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2 years ago

तलाक के बाद डिप्रेशन और फिर दृढ़ संकल्प; ऐसी है एक मां के आईएएस अफसर बनने की कहानी
Story behind it
ऑनलाइन शिक्षा

एक महिला जब कुछ करने की ठान ले तो तमाम प्रकार की बाधाएं भी उसकी सफलता को रोक नहीं पाती है। कुछ ऐसा ही करके दिखाया है 7 साल की बच्ची की मां शिवांगी गोयल ने। शिवांगी के सफलता की ये कहानी हम सबके लिए प्रेरणादायक है क्योंकि उन्होने जिन परिस्थितियों में यूपीएससी की परीक्षा में 177वां रैंक हासिल किया वो एक मिसाल बनकर सामने आया है। शिवांगी के संघर्ष की पूरी कहानी विस्तार से हम आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं। 

तलाक डिप्रेशन के दौर में शिवागी गोयल को किसने प्रेरणा दी?

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    हापुड़ की रहने वाली शिवांगी गोयल बचपन से ही मेधावी छात्र थीं। शिवांगी के स्कूल के प्रिंसिपल ने भी उनको यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का सुझाव दिया था। शादी से पहले शिवांगी ने यूपीएससी की परीक्षा में दो बार प्रयास किया लेकिन उन्हें असफलता मिली। उसके बाद परिवार ने उनकी शादी फाइनल कर दी। शादी के बाद शिवांगी जब अपने ससुराल गई तो वहां का माहौल बिल्कुल विपरित था। खबरों के मुताबिक शिवांगी को ससुराल में घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा। हालात इस कदर बदतर हो चुके थे कि शिवांगी को अपनी बच्ची को साथ में लेकर अपने मायके वापस लौटना पड़ गया। एक वक्त ऐसा भी आया जब पारिवारिक तनाव के चलते शिवांगी डिप्रेशन में चली गई। शिवांगी और उसकी बच्ची का तबियत भी खराब रहने लगा। शिवांगी और उनके पति के साथ अब तलाक का केस चल रहा है। 

    इस विषम परिस्थितियों में शिवांगी के माता पिता चट्टान की तरह उनके साथ अडिग बने रहे। पिता ने शिवानी का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वो जिंदगी में जो कुछ भी करना चाह रही है उसको करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। शिवानी ने एक बार फिर से नई शुरूआत करने की ठान ली, वो जुट गई यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में। शिवानी ने किसी कोचिंग की मदद ना लेकर सेल्फ स्टडी पर फोकस रखा। शिवानी की मेहनत और लगन का परिणाम सामने आया और जब यूपीएससी की परीक्षा के परिणाम सामने आए तो उनका पूरा परिवार खुशी से फूले नहीं समा रहा था। शिवानी को इस परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 177 हासिल हुए। ये सफलता इसलिए भी मायने रखती है कि विषम परिस्थितियों के बावजूद शिवानी ने खुद पर भरोसा बनाए रखा। परीक्षा की तैयारी के दौरान शिवानी ने अपनी बच्ची का भी भरपूर ख्याल रखा। शिवानी ने अपने बचपन के ख्वाब को पूरा किया और इसके लिए उन्होंने पूरी तरह से खुद को झोंक दिया। शिवानी ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता और 7 साल की बेटी रैना को दिया है। 

    इस सफलता के बाद शिवानी ने कहा है कि मैं उन तमाम विवाहित महिलाओं को संदेश देना चाहती हूं कि आपने जो सपना देखा है उसको अवश्य पूरा करें। अगर ससुराल में उनके साथ कुछ भी गलत होता है तो उन्हें कतई डरना नहीं चाहिए। आप आत्मनिर्भर बनें और उनको दिखाएं कि आप अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं। महिलाओं को किसी भी परिस्थिति में घबड़ाना नहीं चाहिए। शिवानी की सफलता और उनकी ये सोच तमाम महिलाओं के लिए यकीनन प्रेरणादायक है। 

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