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बच्चे को खिलाएं स्वादिष्ट मोदक और सुनाएं गणपति बाप्पा की कथा

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Prasoon Pankaj

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2 years ago

बच्चे को खिलाएं स्वादिष्ट मोदक और सुनाएं गणपति बाप्पा की कथा
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साल 2007 में 'माइ फ्रेंड गणेशा' रिलीज हुई थी। ये फिल्म बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय हुई। फिल्म में एक 8 साल के बच्चे की कहानी को दिखाया गया। ये बच्चा खुद को बहुत अकेला महसूस करता है क्योंकि उसके माता-पिता अपनी व्यस्तताओं के चलते बच्चे के साथ उतना समय नहीं दे पाते जितना देना चाहिए था। फिल्म की कहानी के मुताबिक तब उस बच्चे ने गणपति बाप्पा को ही अपना दोस्त मान लिया। दरअसल बच्चों के बीच गणपति बाप्पा काफी मशहूर हैं। गणपति बाप्पा से संबंधित गाने बच्चों को याद भी रहते हैं। गणेश को लेकर बनाए गए एनिमेटेड गेम्स भी बच्चे खूब खेलते हैं। लेकिन इसके अलावा गणपति बाप्पा से संबंधित दंत-कथाओं के बारे में अगर आप अपने बच्चों को बताएंगे तो आपके बच्चे के अंदर भी कई तरह की खूबियां विकसित हो सकती है। आज हम आपको इस ब्लॉग में गणपति बाप्पा से संबंधित कहानी और उनके प्रिय पकवान मोदक को बनाने की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

गणेश चतुर्थी से संबंधित कहानी/ Story Related To Ganesh Chaturthi In Hindi

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    माता-पिता को सर्वोच्च स्थान देते थे गणेश: 

    मान्यताओं के अनुसार एक बार की बात है। सभी देवतागण किसी राक्षस के आतंक से परेशान थे। देवता अपनी समस्या से निजात पाने के लिए शिवजी के शरण में पहुंचे। उस समय शिवजी के दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश भी वहीं विराजमान थे। देवताओं की परेशानी को देख कर शिवजी ने गणेश और कार्तिकेय से पूछा कि तुम दोनों में कौन देवताओं की मदद कर उनकी मुश्किलों को हल कर सकता है। दोनों भाई मदद करने के लिए तैयार हो गए तो उसके बाद शिवजी ने एक प्रतियोगिता का आयोजन करते हुए कहा कि दोनों में से जो भाई सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही विजेता माना जाएगा। शिवजी की बात को सुनकर कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए चल दिए लेकिन गणेश जी वहीं पर खड़े रहकर सोचने लगे की वो अपनी सवारी मूषक की मदद से कैसे इतनी बड़ी पृथ्वी का चक्कर लगा सकते हैं? प्रखर बुद्धि के स्वामी माने जाने वाले गणपति इसके बाद अपने पिता शिवजी और माता पार्वती के पास गए और उनकी सात बार परिक्रमा करके वापस अपने स्थान पर लौट आए। कुछ समय के बाद पृथ्वी का चक्कर लगाकर कार्तिकेय भी वापस लौटे और खुद को विजेता कहने लगे। इसके बाद शिवजी ने गणेश जी से पूछा कि तुम पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए क्यों नहीं गए? इसके बाद गणेश जी ने जवाब दिया कि माता-पिता में ही तो पूरा संसार बसता है। फिर मैं पृथ्वी की परिक्रमा करूं या अपने माता-पिता की, एक ही बात है। गणेश की इस बात से शिवजी समेत सभी देवता प्रसन्न हुए और उसके बाद गणेश जी ने अपनी बुद्धि और बल से देवताओं की मुश्किलों को भी दूर कर दिया।
     

    गणेश चतुर्थी का पर्व मनाने की परंपरा कब से शुरू हुई?/ When did the tradition of celebrating Ganesh Chaturthi begin?
     

    • गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
       
    • हिंदू कैलेंडर के अनुसार भद्रा (मध्य अगस्त से मध्य सितंबर) में यह शुभ त्यौंहार मनाया जाता है। यह त्यौंहार 10 दिनों तक रहता है और अनंत चतुर्दशी पर सम्पन्न होता है।
       
    • हालांकि ये ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है कि गणेश चतुर्थी को पहली बार कब और कहां मनाया गया था लेकिन कुछ इतिहासकारों के मुताबिक सबसे पहले गणेश चतुर्थी का त्योहार सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य के शासनकाल में मनाया जाता था।
       
    • दस्तावेजों से पता चलता है कि गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी धूमधाम से मनाया जाता था।
       
    • अंग्रेजों के शासनकाल में जब भारतीय संस्कृति और परंपराओं को धूमिल करने का प्रयास चल रहा था तब उस समय में समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी की परंपरा को पुनर्जीवित करने का काम किया। साल 1893 के आसपास तिलक ने गणेश उत्सव के माध्यम से समाज में जनजागृति फैलाने का काम किया।  


    गणपति को प्रिय है मोदक, अब जानिए मोदक बनाने की विधि
     

    गणपति बाप्पा को मोदक अत्यधिक प्रिय है। यूं तो मोदक बनाने की बहुत सारी विधियां हैं लेकिन आज हम आपको बहुत सरल तरीके से घर पर मोदक तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में बताने जा रहे हैं।

    नारियल-सूजी के मोदक

    सामग्री:  डेढ़ कप कसा हुआ नारियल, दो चम्मच घी, एक कप सूजी, शक्कर (स्वाद के अनुसार), पानी, मीठा पीला रंग, पिस्ता, इलायची पाउडर इत्यादि 

    विधि: कड़ाही में घी को गरम करके सूजी को हल्का भूरा होने तक फ्राई कर लें। अब इसमें कसा हुआ नारियल मिलाकर फ्राई करें। इसके बाद एक दूसरे पैन में शक्कर-पानी मिलाकर चाशनी तैयार करें। चाशनी में मीठा रंग, इलायजी को मिला दें। इसके बाद उसमें सूजी-नारियल का मिश्रण डालकर अच्छे से मिला दें। अब इसको तब तक ढ़क कर रखें जब तक कि ये ठंडा ना हो जाए। अब इसके बाद आप मोदक तैयार करें। मोदक के ऊपरी भाग यानि मुंह पर एक पिस्ता भी चिपका दें। बस हो गई तैयार स्वादिष्ट नारियल-सूजी का मोदक। इस मोदक को आप भगवान गणेश को भोग लगाएं और बच्चों को भी खूब खिलाएं।

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