छुट्टियों में बच्चे को सा ...
सुबह जगने के साथ ही मैं कुछ पलों के लिए अपनी बालकनी से सोसाइटी के पार्क को निहारता हूं। कुछ लोग वॉक करते नजर आते हैं तो कुछ लोग योगा करते हैं। लेकिन ये क्या, आज तो पार्क में ज्यादातर बच्चे नजर आ रहे हैं और सबके हाथों में एक बैग भी मौजूद है। कौतुहलवश जब मैंने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दिया तो देखा ये सारे बच्चे सोसाइटी में इधर उधर फैले कचड़े को इकट्ठा करके उस बैग में रख रहे हैं। दरअसल स्कूल के बच्चों की इन दिनों गर्मी की छुट्टी चल रही है और उन्हें स्कूल के द्वारा सामाजिक कार्य में सक्रियता को लेकर होमवर्क मिला हुआ है। बच्चे इस काम को करके इतने खुश नजर आ रहे थे कि उन्होंने तय कर लिया कि अब से प्रत्येक रविवार की सुबह वे सभी मिलजुल कर सोसाइटी को स्वच्छ बनाए रखने में अपना योगदान देंगे। क्या आप जानते हैं कि रिसर्च के मुताबिक सामाजिक कार्य या सोशल वर्क करने से बच्चों की सेहत भी अच्छी बनती है और उनका हैप्पीनेस लेवल भी बढ़ता है। रिसर्च ये भी बताते हैं कि बच्चों में तनाव की समस्या भी कम होते हैं।
दैनिक भास्कर अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की एक नई रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि जो बच्चे सामूहिक तौर पर सोशल सर्विस में सक्रिय रहते हैं इससे उनकी सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की रिसर्च के मुताबिक सामाजिक कार्यों में सक्रियता रहने से बच्चों का हैप्पीनेस लेवल बढ़ता ही है और वे समाज निर्माण में भी अपना योगदान देते हैं।
रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक जिन बच्चों ने सामाजिक कार्यों में हिस्सा नहीं लिया उनकी तुलना में वे बच्चे जिन्होने कम्यूनिटी सर्विस में काम किया उनमें 34 फीसदी बच्चों की सेहत शानदार रही जबकी 66 फीसदी बच्चों की सेहत अच्छी रही।
स्कूल हो या धार्मिक संगठन या फिर अन्य किसी प्रकार के कम्यूनिटी सेंटर पर काम करने वाले बच्चों को फायदा ही पहुंचा है।
हाल के दिनों में युवाओं में डिप्रेशन, एंग्जाइटी और खुदकुशी के मामले जिस तरीके से देखने को मिल रहे हैं उससे बचाव के लिए कम्यूनिटी सर्विस में सक्रियता काफी मददगार साबित हो सकता है।
रिसर्च के मुताबिक 12 साल से कम उम्र के बच्चों में एंग्जाइटी का स्तर कम दिखा
12 साल से ज्यादा उम्र के जिन बच्चों ने समाज सेवा की थी उनमें चिंता अन्य बच्चों से 25 फीसदी कम देखने को मिली है।
अपने बच्चे को अगर आप चाहते हैं कि वो सामाजिक कार्यों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी दिखाएं तो पेरेंट्स होने के नाते आपको कुछ उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
सामाजिक कार्यक्रमों में अपने बच्चे को जरूर साथ लेकर जाएं। वहां जाने पर आपके बच्चे को कई लोगों से संवाद करने का अवसर मिलेगा। अगर आप अपने परिवार या मोहल्ले के किसी फंक्शन में जाते हैं तो आयोजक से अवश्य पूछें कि आप किस प्रकार से उनकी मदद कर सकते हैं। आगे बढ़कर आप मदद करें और आपकी देखादेखी आपका बच्चा भी सक्रियता दिखाने लगेगा।
प्रत्येक रविवार को अपनी दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर कुछ बेहतर कार्य करने का प्लान बनाएं। स्वच्छता अभियान, ब्लड डोनेशन कैंप, भूखों को अन्न दान इस तरह के कई कार्य होते हैं जहां आप अपने बच्चे को साथ लेकर जा सकते हैं। आपको अच्छा कार्य करते देखकर स्वत: आपके बच्चे के मन में भी इन कार्यों में अपना योगदान प्रस्तुत करने की इच्छा प्रबल हो सकती है।
अगर आप अपने बच्चे को लेकर मंदिर गुरुद्वारा जाते हैं तो वहां सेवादार बनकर कुछ काम करें। भंडारे में भोजन परोसना, जूते चप्पल को स्टैंड में रखना या धार्मिक स्थल की सफाई करना…इस तरह के कुछ काम होते हैं जो अगर आप अपने बच्चे को ये सब कुछ करके दिखाएंगे तो उसके मन में भी ऐसा कुछ करने की भावना प्रबल हो सकती है
नशा मुक्ति अभियान या नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं तो सबसे पहले आप खुद नशे से दूर रहें। इसके अलावा आप अपने बच्चे को कुछ तस्वीरों की मदद से ये बताएं कि जो लोग नशा करते हैं उनको शारीरिक तौर पर किस तरीके से नुकसान पहुंच सकता है।
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