सी-सेक्शन के दर्द को बिना ...
शादी के बाद जब हमें यह पता चलता है कि हमारे घर में एक नन्हा—मुन्ना मेहमान आने वाला है, घर की बहू एक नवजात शिशु को जन्म देने वाली है, तो परिवार के सभी लोग इस बात को लेकर सतर्क रहते हैं कि शुभ—शुभ से बच्चे का जन्म हो जाए। जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित रहे इस बात को लेकर फैमिली डॉक्टर की ओर से हर बात का ख्याल रखा जाता है। कभी—कभी बच्चे का जन्म नार्मल होता है तो कभी—कभी डॉक्टर को सिजेरियन अर्थात ऑपरेशन कर बच्चे को मां की पेट से सही सलामत निकालना पड़ता है। बच्चे का जन्म अगर नार्मल हुआ हो तो जच्चा और बच्चा दोनों को तीन दिनों के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है। वहीं अगर सीजर कर बच्चे का जन्म करवाया जाता है तो कम से कम नौ दिनों तक अस्पताल में मां को रहना पड़ सकता है। हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद भी हमें हर संभव ख्याल रखना पड़ता है। आज इस आलेख में हम विस्तार से बात करेंगे कि सी—सेक्शन के दर्द को दवा खाए बिना कैसे कम कर सकते हैं।
अपनी बातों को शुरू करने से पहले आसान भाषा हम यह जान लेते हैं कि सिजेरियन सेक्शन या सी-सेक्शन होता क्या है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे प्रसव के दौरान डॉक्टरों के द्वारा माँ के पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर बच्चे का जन्म करवाया जाता है। ऐसा तब किया जाता है जब डॉक्टरों को लगता है कि बच्चे का जन्म मां के प्राइवेट पार्ट अर्थात योनि द्वार से संभव नहीं है या बिना देरी किए बच्चे को मां के पेट से नहीं निकाला गया तो जच्चा और बच्चा को किसी तरह की परेशानी हो सकती है। एक तरह से कहा जाए तो सिजेरियन प्रसव होने से मां और बच्चे को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।
सिजेरियन प्रसव बाद नर्स द्वारा हॉस्पिटल में जच्चा और बच्चा दोनों का बेहतर ख्याल रखा जाता है। इस दौरान वह मां और बच्चे की तबियत को लेकर विशेष ख्याल रखती है। वह समय—समय पर मां और बच्चे की बॉडी का चेकअप करती हैं कि सबकुछ ठीक है या नहीं। उदाहरण के लिए मां का स्तन, गर्भाशय और पेशाब द्वार।
जानकारों की माने तो महिलाओं को प्रसव के बद हल्का—हल्का दर्द होता है। प्राइवेट पार्ट के पास भी दर्द महसूस होता है। यह ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रसव के उपरांत पेट में चीरा के बाद टांके लगाए गए हैं। इस कारण आपकों हिलने के दौरान, खांसने के समय और हंसने के दौरान हल्का दर्द का अनुभव हो सकता है। एक तरह से कहा जाए तो यही कारण है कि प्रसव के बाद महिलाओं को डॉक्टरों के द्वारा अधिक से अधिक बेड रेस्ट करने को कहा जाता है।
बेड रेस्ट के बाद भी आपको चीरा अर्थात जहां टांका लगा है वहां अगर हल्का दर्द हो रहा है तो आप एक घरेलू उपाय अपना सकती है। हमारे और आपके घर में तकिया तो होता ही है। आप एक मुलायम तकिया लीजिए और उसे घाव वाली जगह पर लगा दीजिए। इससे आपको आराम महसूस होने लगेगा।
इसी तरह अक्सर देखा गया है कि प्रसव के बाद महिलाओं में कब्ज की परेशानी आम हो जाती है। गर्भधारन करने के बाद और बच्चे को जन्म देने के बाद हमारा दिनचर्या एकदम से बदल जाता है। एक तरह से कहा जाए तो हम पहले जिस तरह से एक्टिव थे, उस तरह से अब वर्क नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण आपको हल्का दर्द भी महसूस हो सकता है। इसलिए कब्ज से बचने के लिए आपको फाइबर युक्त भोजन और लिक्विड भोजन का सेवन अधिक करना चाहिए। इतना ही नहीं अगर हम दिन में पांच से आठ गिलास पानी का सेवन करते हैं तो ना सिर्फ आपका शरीर प्रसव के बाद हाइड्रेट रहेगा बल्कि आपको कई तरह की परेशानियों से भी बचाएगा। इसके अतिरिक्त आपको कब्ज से बचने के लिए जमकर फल और हरी सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।
प्रसव के बाद जब आपको लगे कि आपने ठीक ढ़ंग से बेड रेस्ट ले लिया है और ऑपरेशन का जख्म भरने लगा है तो अब आपको धीरे—धीरे फिजिकल एक्टिविटी शुरू कर देना चाहिए। धीरे मतलब धीरे—धीरे, कोई जल्दीबाजी ना करें। इससे हमारा बल्ड सर्कुलेशन कंट्रोल रहेगा। एक बात और एक्सरसाइज और योगा करने के दौरान हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हमें भारी वजन नहीं उठाना है। अभी आपको ऐसी गलती करने से बचनी है। अगर आप ऐसा करते हैं तो तो ऑपरेशन वाले स्थान पर दर्द महसूस होने लगेगा।
जानकारों की माने तो सिजेरियन प्रशव के बाद मां को सबसे अधिक भोजन अर्थात डायट पर ध्यान देना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तो कई तरह की बीमारियों और परेशानियों से बचा जा सकता है। हम और आप जानते हैं कि प्रशव के दौरान महिलाओं की शरीर से काफी मात्रा में खून बाहर बह जाता है। इस कारण उनका शरीर पहले से काफी कमजोर हो जाता है। इसी कमी को दूर करने के लिए बच्चे को जन्म देने वाली मां को भोजन में अधिक मात्रा में आयरन युक्त आहार को अपनाना होगा। अगर हम ऐसा करते हैं तो पोस्टपार्टम एनीमिया को होने से रोका जा सकता है। इसके लिए हमें अधिक से अधिक ग्रीन वेजिटेबल अर्थात हरी पत्तेदार सब्जी, गुड़, अंजीर, सूखा मेवा खा सकते हैं।
हम और आप जानते हैं कि नवजात शिशु के लिए कहा जाता है कि— मदर मिल्क इज बेस्ट फोर योर चाइल्ड। अर्थात मां का दूध न्यू बॉर्न बेबी के लिए अमृत समान है। यहीं कारण है कि अधिकांश मम्मी समय—समय पर अपने बच्चे को स्तनपान करवाती है, जो कि एकदम सही है। लेकिन बार—बार दूध सेवन करवाने के दौरान अगर आपके बैठने का ढंग गलत है तो आपको गर्दन दर्द से परेशान होना हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि दूध पिलाने का सही तरीका घर की औरतों से पता कर लिया जाए। अगर आप ऐसा कर लेती है तो गर्दन दर्द की परेशानी कभी नहीं होगी।
अब चलिए अंत में ओवरऑल उन बातों का उल्लेख कर लेते हैं जिसके करने से प्रशव के बाद होने वाली शारिरिक दर्द से आपको राहत मिल सकती है। ढ़ीला कपड़ा पहनना चाहिए। गर्म पानी से नहाना चाहिए ताकि हड्डियों में दर्द ना हो। महिलाओं को हाथों पर और पैरों में तेल से मालिश अवश्य करना चाहिए। नमक की पोटली से उने जोड़ों पर सिकाई करें जहां आपकों दर्द महसूस हो रहा हो। हीटिंग पैड का इस्तेमाल करने से भी आप राहत महसूस कर सकती हैं। इन सबके बावजूद अगर दर्द कम नहीं हो रहा है तो तुरंत आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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