क्या आपके बच्चे को स्कूल ...
Only For Pro
Reviewed by expert panel
अमेरिका के टेक्सास में एक स्कूल में एक भारतीय छात्र को प्रताड़ित करने का वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में एक अमेरिकन छात्र भारतीय छात्र का गला दबाते हुए दिख रहा है। इस पूरे मामले के सामने आने के बाद स्कूल प्रशासन की कार्रवाई को देखकर लोग नाराज नजर आ रहे हैं। दरअसल स्कूल प्रशासन ने भारतीय बच्चे को 3 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है जबकि जो अमेरिकन बच्चा गला दबाते हुए नजर आ रहा है उसको बस एक दिन की सजा दी गई। स्कूल में इस तरीके से किसी बच्चे को प्रताड़ित करना, किसी बच्चे का मजाक उड़ाना या किसी बच्चे को डराना-धमकाना इसको बुलिंग (Bullying) कहते हैं। हम इस ब्लॉग में आपको विस्तार से बताएंगे कि बुलिंग क्या है और आप अपने बच्चे को कैसे इसका सामना करने के लिए समझा सकते हैं। इसके साथ ही स्कूल में अगर बच्चे को डराया धमकाया जा रहा है तो आप स्कूल प्रशासन को कैसे इस तरह का स्थितियों से निपटना चाहिए?
बुलिंग को आसान शब्दों में ऐसे समझिए कि ये कभी भी और किसी जगह पर किसी के साथ हो सकता है। कुछ भी ऐसी बातें जो आपकी भावनाओं को आहत कर सकता है या जिसे सुनना आप पसंद नहीं करते हों फिर वो अभद्र मजाक हो, तंज हो या ऐसी बातें जो अपमानजनक हो। किसी को डराना धमकाना भयभीत करना ये सब कुछ बुलिंग ही तो है। जरा सोचकर देखिए कि अगर हमारे ऑफिस में या कहीं पर भी हमारे साथ कोई ऐसा करता है तो ये कितना तकलीफदेह होता है। अब आप उस बच्चे के बारे में विचार करिए जो बुलिंग का सामना कर रहा है। बुलिंग बच्चों के मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए बच्चों को बुलिंग का शिकार बनने से रोकना पेरेंट्स के साथ ही स्कूल की भी जिम्मेदारी बनती है।
बुलिंग के अनेक प्रकार हो सकते हैं। कोई आपके साथ मजाक करके भी बुलिंग कर सकता है। मारपीट, रंग-रूप, वेष भूषा, भाषा को लेकर गंदे कमेंट्स करना भी बुलिंग ही है।
बुलिंग का शिकार होना सीधे आपके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है।
आपने नोटिस किया होगा कि लोग बच्चे के वास्तविक नाम को ना बोलकर मजाक में कुछ ऐसा नाम रख देते हैं जिसे सुनकर सामने वाला बच्चा चिढ़ जाता है। ये भी बुलिंग होता है। अगर आपका बच्चा किसी बच्चे को चिढा रहा है तो उसको ऐसा करने से रोकिए
बुलिंग मुख्य रूप से 3 प्रकार के हो सकते हैं। पहला है मौखिक दूसरा है शारीरिक और तीसरा है सामाजिक।
मौखिक बुलिंग- इसमें बच्चे को चिढाना, उनके नाम को बिगाड़कर चिढ़ाना। कुछ लोग चश्मा पहने बच्चे को भी चिढाते हैं या दिव्यांग बच्चे को भी चिढाते हैं। मोटू, लंबू, बौना, छोटू, गंजा, टकला, चश्मिश…ये कुछ वैसे उदाहरण हैं जिसे किसी भी बच्चे का मजाक उड़ाया जाता है।
शारीरिक बुलिंग यानि कि बच्चे के साथ जबरन मारपीट करना, बच्चे को शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाना या बच्चे के साथ धक्का मुक्की करना शामिल है।
सोशल बुलिंग- इसके परिणाम तो और भी खतरनाक हो सकते हैं। इसमें किसी बच्चे का मोहल्ला स्तर या सामाजिक स्तर पर अपमानित किया जाता है। किसी भी बात को लेकर बच्चे को नीचा दिखाना जैसी गंदी हरकतें इसमें शामिल है।
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा बुलिंग का शिकार हो रहा हो तो ऐसे में बच्चे से बात करें और उसे इस मुश्किल भरे दौर से बाहर निकालें
बच्चा अगर अकेला रहने लगा है, अचानक से रोने लगता है
डरा सहमा सा दिखने लगा है बच्चा
पहले की तुलना में खाना अच्छे से नहीं खा रहा है
चिड़चिड़ा हो जाना, किसी काम में मन नहीं लगना
स्कूल नहीं जाने के बहाने तलाश करना
साइकोलॉजिस्ट कुमकुम जगदीश का कहना है, अगर किसी बच्चे के साथ बुलिगं हो रही है, तो उसे इग्नोर ना करें। इसके बारे में तत्काल स्कूल के टीचर या पेरेंट्स से संपर्क करना चाहिए। कुमकुम सुझाव देते हुए कहती हैं कि अपने बच्चे की हर एक्टिविटी को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए। स्कूल में बच्चे को बुलिंग किया जा रहा है तो क्लास टीचर और स्कूल के प्रिंसिपल से जाकर इसके बारे में विचार करना चाहिए। आप अपने बच्चे के दोस्तों से भी इस बारे में चर्चा कर सकती हैं।
कुमकुम जगदीश सुझाव देती हैं कि पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार रखें कि बच्चे उनके साथ खुलकर अपनी बातों को रख सकें। कई बार डर के चलते भी बच्चे पेरेंट्स के सामने अपनी बातों को रखने से हिचकिचाते हैं।
अगर बच्चा कुछ बताना चाह रहा है तो उसकी बातों को गंभीरतापूर्वक सुनें। अपने बच्चे के साथ स्कूल में होने वाली तमाम गतिविधियों के बारे में समय समय पर चर्चा अवश्य करें।
अपने बच्चो को किसी अन्य बच्चे का बुलिंग करने के लिए स्पष्ट रूप से मना कर दें और इसके साथ ही अगर आपके बच्चे को भी कोई बुलिंग कर रहा है तो उसके बारे में मौन रहने का सुझाव नहीं दें। आप अपने बच्चे को ये जरूर बता दें कि अगर कोई और बच्चा उसके साथ अवांछित मजाक या अभद्र टिप्पणी कर रहा है तो इसकी शिकायत स्कूल में टीचर से अवश्य करें।
अगर बच्चा आपको अपने साथ हो रही बुलिंग के बारे में बताता है तो पेरेंट्स को चाहिए कि इसका दोष बच्चे पर ही ना थोप दें। अपने बच्चे के साथ प्यार से सभी बातों पर चर्चा करें और उसके बाद स्कूल प्रशासन के सामने अपना पक्ष रखें।
आवश्यकता होने पर वे लीगल हेल्प भी ले सकते हैं। सबसे आवश्यक बात जिसका आपको ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का आत्मविश्वास बनाए रखें। अपने बच्चे को इस बात के लिए निश्चिंत करें कि हर परिस्थिति में पेरेंट्स उनके साथ है।
बच्चा बुलिंग के बारे में ज्यादा ना सोचे इसका भी ध्यान रखें।
स्कूल में बच्चे को बुलिंग से बचाने के लिए जगह जगह पर बुलिंग से रोकने के पोस्टर चिपकाए जाने चाहिए ताकि बच्चे बुलिंग ना करें। शिक्षकों को चाहिए कि वे स्कूल में बच्चों को बुलिंग के नुकसान के बारे में चर्चा करें। इसके लिए आवश्यकता पड़े तो स्पेशल क्लास भी बुलाया जा सकता है। जैसे कॉलेज में एंटी रैगिंग को लेकर सख्त नियम हैं उसी तरीके से स्कूलों में भी बुलिंग करने वाले बच्चों के पेरेंट्स को इस बात की जानकारी अवश्य देनी चाहिए।
Be the first to support
Be the first to share
Comment (0)