बच्चों के मानसिक विकास मे ...
बेंगलुरु में रहने वाली जया को हर समय ऐसा लगता है कि उसका बच्चा बाकी बच्चों की तरह इंग्लिश नहीं बोल पा रहा है। वह उसे बार-बार इंग्लिश में बात करने के लिए प्रेरित करती है। यहां तक कि घर पर भी, जबकि उसके बेटे की उम्र अभी सिर्फ 2 साल है। वह जब भी अपनी दादी से बांग्ला में बात करता है, जया को गुस्सा आने लगता है, हालांकि इस बारे में उसकी सास और पति कई बार समझा चुके हैं। दोनों का कहना है कि आहान खुद ही बड़े होने पर इंग्लिश बोलना सीख लेगा, लेकिन जया को यह बात समझ ही नहीं आती। यह सिर्फ जया की नहीं, बल्कि कई माता-पिता की समस्या है, जो यह चाहते हैं कि उनका बच्चा अपनी मातृभाषा छोड़कर सीधे इंग्लिश बोलना सीख ले। सच्चाई तो यही है कि बच्चों के मानसिक विकास में मातृभाषा (mother tongue) का अहम योगदान है।
बच्चे के सम्पूर्ण विकास के लिए मातृभाषा बोलने के लिए सीखना बहुत जरूरी है। नेल्सन मंडेला ने भी कहा था कि यदि आप किसी से ऐसी भाषा में बात करें, जो वह समझ सकता है तो वह उसके मस्तिष्क में जाती है। लेकिन यदि आप उसकी अपनी भाषा में बात करते हैं, तो वह सीधे उसके हृदय को छूती है।
मातृभाषा में धाराप्रवाह होने के कारण बच्चे को कई तरह से लाभ होता है। यह उसे उसकी संस्कृति से जोड़ता है, कॉग्निटिव डेवलपमेंट (संज्ञानात्मक विकास) को सुनिश्चित करता है, और अन्य भाषाओं को सीखने में भी मदद करता है। एक बच्चा सबसे पहले अपने आस-पास की चीजों को उस भाषा के जरिए समझता है, जिस भाषा में वे अपनी मां को पैदा होने से पहले से बातचीत करते हुए सुनते हैं। आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि बच्चों एक मानसिक विकास में मातृभाषा का कितना योगदान (importance of mother tongue) है।
बौद्धिक विकास - Intellectual development
शोध बताते हैं कि जो लोग अपनी मातृभाषा में धाराप्रवाह हैं, उनमें कॉग्निटिव डेवलपमेंट के साथ-साथ बौद्धिक सुधार अन्य लोगों की तुलना में तेजी से होता है। यह भी पाया किया गया है कि यदि कोई छात्र अपनी मातृभाषा में शिक्षित होता है, तो उसकी शैक्षिक उपलब्धि उस व्यक्ति की तुलना में अधिक होती है, जिसे उनकी मातृभाषा के अलावा किसी अन्य माध्यम में पढ़ाया जाता है।
व्यक्तिगत और सांस्कृतिक पहचान - Personal and cultural identity
मातृभाषा से व्यक्तिगत और सांस्कृतिक पहचान का भी विकास होता है। किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान स्वयं, अपने आस-पास के वातावरण और अपने इतिहास की समझ से उभरती है। एक बच्चा जब अपनी मां के गर्भ में होता है, तो सबसे पहले अपनी मातृभाषा सुनता है और यह अवचेतन तौर पर उसके विचारों और भावनाओं को निर्धारित करना शुरू कर देता है। इस तरह से यह परिवार, समाज, संस्कृति और पहचान के साथ जुड़ाव का आधार विकसित करता है। यह उसके मानसिक विकास को खूबसूरत रूप प्रदान करता है।
अन्य भाषाएं सीखने का बढ़िया माध्यम - Great way to learn other languages
यदि किसी को अपनी मातृभाषा की गहरी समझ होती है, तो उसके लिए नई भाषा में महारत हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। जब कोई बच्चा बचपन से ही अपनी मातृभाषा सीखता-पढ़ता है, तो उसके पास अन्य भाषाओं पर पकड़ पाने का क्षमता अधिक होती है।
मजबूत कम्यूनिकेशन स्किल - Strong communication skills
बचपन में, जब बच्चे माता-पिता के साथ अपना समय बिताते हैं, तो उनकी कम्यूनिकेशन स्किल में सुधार आता है। जब माता-पिता अपने बच्चे को कहानियां सुनाते हैं और अपने बच्चों के साथ गहरी बातचीत करते हैं, तो यह उनकी शब्दावली और कॉन्सेप्ट को बढ़ाने में मदद करता है। इस तरह से बच्चे शिक्षा में भी अव्वल हो सकते हैं।
आत्मविश्वास और जागरूकता - Confidence and awareness
अपनी मातृभाषा को जानना और सीखना किसी भी बच्चे के जीवन का एक मूलभूत पहलू है। यह न केवल उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायता करता है बल्कि उसकी अपनी व्यक्तिगत और सांस्कृतिक पहचान के बारे में भी उसे जागरूक करता है। इसके साथ ही उसे अन्य भाषाओं को सीखने और अपनाने का हौसला और समझ भी मिलती है। बड़े होकर उसके अंदर का आत्मविश्वास देखते ही बनता है और वह अपनी बुद्धिमत्ता से माता-पिता का नाम रोशन करता है।
अपनी मातृभाषा को सीखना हर बच्चे का हक है और यह माता-पिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उसे उसकी मातृभाषा सिखाएं। मातृभाषा को सीखने से बच्चे का बौद्धिक विकास होता है, उसके अंदर का आत्मविश्वास सुदृढ़ होता है और उसकी कम्यूनिकेशन स्किल भी शानदार बनती है।
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