बच्चे खुद से बोतल पकड़ना क ...
आपका बच्चा बड़ा हो रहा है। मां के दूध के साथ ही उसे बोतल की दूध की भी आदत लग गई है। शुरुआत में आप अपने हाथों से पकड़कर उसे पिला रही हैं। लेकिन, उसे खुद अपने हाथों से बोतल पकड़ना सीखाना होगा। उसके लिए आपको धीरे-धीरे आदत डलवानी होगी। बच्चे और बोतल से जुड़े कई विषयों को इस ब्लॉग में समेटने की कोशिश की गई है।
क्या आप जानते हैं कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के लिए सही उम्र है क्या है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 6 महीने तक शिशु को मां का दूध ही पीना चाहिए। लेकिन अगर किसी कारणवश मां के स्तनों में दूध नहीं आ रहा है तो वो शिशु को बोतल से या चम्मच-कटोरी से दूध पिलाना शुरू करना चाहिए।
जब बच्चा स्तनपान करना पूरी तरह से सीख जाए, तब आप अपने बच्चे को बोतल से दूध देना शुरू कर सकती हैं। स्तनपान के साथ ही आप दिन में एक या दो बार शिशु को बोतल से दूध पिला सकती हैं। स्तनपान से एकदम से बोतल का दूध शुरू न करें बल्कि दिन में कुछ टाइम स्तनपान करवाएं तो कुछ टाइम बोतल से दूध पिलाएं। बोतल से दूध पीना सीखने में बच्चे को लगभग दो सप्ताह का समय लग सकता है।
शुरुआत में शिशु को बोतल से 30 से 60 मिली दूध ही पिलाएं। इसके दो से तीन दिन बाद आप 60 से 90 मिली दूध पिला सकती हैं। इसके अलावा बच्चे को हर 3 से 4 घंटे में दूध पिलाती रहें। दूध पीने पर बच्चा 4 से 5 घंटे तक सो सकता है, लेकिन आप हर 5 घंटे में उसे उठाकर दूध जरूर पिलाएं। एक महीने तक बोतल से दूध पीने के बाद बच्चे को 120 मिली दूध पिलाएं और हर चार घंटे में दूध दें। इसके बाद 180 से 240 मिली दूध पिलाना है।
आपके मन में यह सवाल भी होगा कि शिशु को कब से गाय का दूध पिलाएं? एक्सपर्टस की सलाह है कि पहले जन्मदिन से पहले, शिशुओं को अभी भी स्तन के दूध या फॉर्मूला में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। लेकिन उसके बाद, वे गाय के दूध को अपनाने के लिए तैयार हैं।
2 साल से कम उम्र के अधिकांश बच्चों को दूध पीना चाहिए। यदि बच्चा अधिक वजन का है या मोटापे, उच्च कोलेस्ट्रॉल, या हृदय की समस्याओं का पारिवारिक इतिहास है, तो आपका डॉक्टर कम वसा (2ः) दूध पर स्विच करने की सिफारिश कर सकता है। यदि आपका बच्चा गाय का दूध नहीं पी सकता है, तो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर पेय दें। बादाम, जई, चावल, या नारियल के दूध जैसे दूध के अन्य विकल्पों में कम प्रोटीन होता है और हो सकता है कि यह फोर्टीफाइड न हो।
जब बच्चा आराम से बोतल को पकड़ना सीख गया, तो आपके मन में यह सवाल आएगा कि क्या उसका तरीका सही है ? आपके मन में भी यही सवाल उठता है, तो उसे गौर से देखें। अगर दूध पीते समय बोतल की निप्पल से ज्यादा आवाज आ रही है, तो हो सकता है कि निप्पल में हवा भरी हो, इससे बच्चा दूध के साथ हवा भी अंदर ले सकता है। इसलिए, बोतल को तिरछा करके ही दूध पिलाएं, जिससे निप्पल हमेशा दूध से भरी रहे। बच्चा दूध पीने के दौरान बीच-बीच में रुक भी सकता है। इससे पता चलता है कि बच्चा आराम से दूध पी रहा है। अगर बच्चे के मुंह से बार-बार निप्पल हट जा रही है, तो हो सकता है कि बोतल को सही तरीके से पकड़ा नहीं गया है या दूध पिलाने की पॉजिशन ठीक नहीं है। दूध पीने के दौरान अगर बच्चा खुद से निप्पल से मुंह हटा ले रहा है, तो हो सकता है कि उसका पेट भर गया है।
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