नीरज चोपड़ा के बचपन की 10 ...
आज पूरा देश नीरज चोपड़ा पर नाज कर रहा है। नीरज चोपड़ा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championship 2023) में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है। इस चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा पहले भारतीय बन गए हैं। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में 88.17 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया। सेना में सूबेदार के पद पर तैनात नीरज चोपड़ा की इस कामयाबी से भारतीय सेना भी गौरवान्वित महसूस कर रही है। हम आपको बता दें कि इससे पहले भी नीरज चोपड़ा ने ना सिर्फ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता बल्कि उन्होंने एथलेटिक्स में पदक हासिल करने का संपर्ण देशवासियों का सपना साकार करके दिखा दिया है। आज पूरा देश नीरज चोपड़ा पर गर्व महसूस कर रहा है लेकिन क्या आपको मालूम है नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल को हासिल करने के लिए कितना अथक परिश्रम किया। आज हम आपको इस ब्लॉग में नीरज चोपड़ा के मेहनत औऱ परिश्रम के अलावा उनके बचपन से जुड़े कुछ रोचक किस्सों को भी बताने जा रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बचपन के दिनों में इसी नीरज चोपड़ा का लोग मजाक भी उड़ाया करते थे...क्यों और किस लिए नीरज का मजाक उड़ाया जाता था इसका किस्सा भी हम आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं।
ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा का बचपन कैसा था?
बचपन के दिनों में नीरज खाने-पीने के काफी शौकीन थे और यही वजह है कि देखते ही देखते नीरज का वजन बढ़कर 80 किलो तक हो गया था। नीरज के बढ़ते वजन को देखकर उनके परिवार के लोग काफी चिंतित हो गए और उस समय में किसी ने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी की यही बालक एक दिन एथलेटिक्स की दुनिया का चैम्पियन होने वाला है। हां तो नीरज चोपड़ा के चाचा जी ने सबसे पहले इनको नियमित रूप से दौड़ाना शुरू किया। उस समय में नीरज के मोटापे को लेकर गांव-कस्बे के लोग मजाक भी उड़ाया करते थे।
कुछ दिनों बाद नीरज के चाचा इनको साथ में लेकर पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में लेकर गए। नीरज को दौड़ने में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी नहीं लेकिन उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंकने की प्रैक्टिस करते हुए देखा। नीरज भाला फेंकने की खेल की तरफ आकर्षित हुए।
गांव के आम बच्चों की तरह शरारतें करने में भी माहिर थे नीरज चोपड़ा। भैंस की पूंछ खींचकर हंसी ठहाका लगाना, मधुमक्खियों के छत्ते में पत्थर फेंक देना ये सब काम नीरज को खासा पसंद था।
भाला फेंकने के खेल में नीरज के बढ़ते झुकाव को देखकर अनुभवी जयवीर चौधरी नामके खिलाड़ी ने इनको कुछ खास टिप्स बताए। इसके बाद बेहतर सुविधा हासिल करने के लिए नीरज पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पहुंच गए।
आपको जानकर हैरानी होगी कि नीरज इस कदर खेल में डूब गए कि वे तकरीबन 10 साल तक प्रशिक्षण के दौरान अपने घर से दूर रहे। लगन इतनी की कुछ खास मौकों पर या साल में एकाध बार ही वे किसी शादी समारोह में भाग लेने की खातिर घर पहुंचते थे।
जैसा कि हमने आपको बताया कि नीरज चोपड़ा बचपन में खाने के बहुत शौकीन थे लेकिन उनकी बहन संगीता बताती है अपने खेल की खातिर उन्होंने मीठा खाना भी छोड़ दिया था।
जेवलीन की ट्रेनिंग लेना उतना आसान भी नहीं होता है औऱ शुरुआती दौर में इनको काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आर्थिक समस्याओं के चलते वे अच्छी क्वालिटी की जेवलीन से प्रैक्टिस नहीं कर पाते थे लेकिन इन सबसे वे निराश नहीं हुए। नीरज चोपड़ा ने सस्ती क्वालिटी की जेवलीन से ही प्रैक्टिस करना जारी रखा। प्रतिदिन अहले सुबह वे प्रैक्टिस करने चले जाते थे भले कोई उनके साथ में रहे या नहीं।
नीरज को एक बार बांस का भाला टूट जाने पर काफी फटकार सुनने को मिली। इस फटकार के चलते उनकी आंखों में आंसू तक आ गए छे लेकिन उन्होंने अपने मन में इस बात का मलाल तक नहीं रखा। बांस की 200 रुपये की जैवलीन के टूट जाने पर नीरज को अपने सीनियर से काफी खरी खोटी सुननी पड़ी थी। और अब नीरज के पास डेढ से 2 लाख रूपये की कीमत के दर्जनों जैवलिन हैं जिनसे वे अभ्यास करते हैं।
खाना के वे इतने शौकीन थे अपने दोस्तों के साथ शर्त लगाने में भी नीरज माहिर थे। एक बार उनके दोस्तों ने शर्त लगाई कि कौन सबसे ज्यादा टिक्की एक बार में खा सकता है? नीरज ने कुल 18 टिक्की खा ली और उसके बाद स्टेडियम लौटे और फिर मेस का भी खाना खाया और इसके बाद दूध भी पी। नीरज की इतनी खुराक को देखकर उनके सभी दोस्त चकित रह गए लेकिन इसके बाद नीरज ने अपनी आदतों में सुधार लाया और खेल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ललक के चलते उन्होंने तले हुए खाद्य पदार्थों व मिठाइयों से दूरी बना ली।
नीरज चोपड़ा अपने जीवन में अनुशासन को खासा महत्व देते हैं। अगर उनको लगता है कि किन्हीं कारणो से उनसे किसी प्रकार की भूल हो गई है तो वे माफी मांगने से भी नहीं हिचकते हैं।
साल 2019 में उनको अपने दाहिने कोहनी की सर्जरी करानी पड़ी इसके अलावा कोविड के चलते लागू प्रतिबंधों के चलते अभ्यास करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन वे अपने लक्ष्य पर अडिग रहे।
नीरज चोपड़ा के इन गुणों के बारे में आप अपने बच्चे को जरूर बताएं इसके साथ ही अपने बच्चे को ये समझाना भी जरूरी है कि हम निरंतर अभ्यास से अपने अंदर की खामियों को कैसे दूर कर सकते हैं। कमियां हम सबके अंदर हो सकती है लेकिन अगर मन में लगन हो और कर्मठता की भावना तो फिर हम यकीनन लक्ष्य प्राप्ति को कर सकते हैं।
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