क्या आप Adventure Tourism ...
अपने देश में पर्यटन स्थलों की प्रचुरता है, देश-विदेश से हर साल हजारों लाखों सैलानी इन पर्यटन स्थलों पर प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाने के लिए पहुंचते हैं। अगर मैं खास तौर से पहाड़ी इलाकों की बात करूं तो यहां पर पहुंचने वाले सैलानी एडवेंचर टूरिज्म के दीवाने हैं। लेकिन क्या एडवेंचर टूरिज्म पूरी तरह से सुरक्षित है (Safety in Adventure Tourism )? क्या एडवेंचर टूरिज्म के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं? क्या किसी प्रकार की आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिए वहां पर पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हैं? हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बीड़ बिलिंग घाटी जो कि पैराग्लाइडिं के लिए काफी प्रसिद्ध है यहां हाल ही में एक हादसे में 12 साल के अद्विक की मौत हो गई।
पापा मैं बहुत प्रसन्न हूं, मैंने बर्फ देखी, मैंने बर्फ खाई और अब मैं पैराग्लाइडिंग के लिए भी जा रहा हूं….अपनी मौत से कुछ ही मिनटों पहले अद्विक ने अपने पापा ऋषभ से अपनी खुशियों का इजहार करते हुए यही शब्द कहा था। अद्विक अपने पापा ऋषभ त्रिवेदी, मां शारदा और 7 साल की छोटी बहन के साथ दिसंबर महीने में हिमाचल प्रदेश पहुंचा था। कुल्लू-मनाली घूम लेने के बाद अद्विक को बेसब्री से पैराग्लाइडिंग का इंतजार था। एडवेंचरस गेम्स में अद्विक की गहन अभिरूचि थी।
अद्विक के पिता ऋषभ बताते हैं कि दोपहर डेढ़ बजे के आसपास वे लोग उस जगह पर पहुंचे जहां पैराग्लाइडिंग होती है। पैराग्लाइडिंग एजेंसी के एजेंटों ने उन लोगों से संपर्क करना शुरू किया। बातचीत के बाद उन्होंने 1 एजेंसी को तय करिया। एजेंसी के द्वारा उन्हें बताया गया कि पैराग्लाइडिंग वाली जगह यहां से 10-15 किलोमीटर के फासले पर है और वहां तक उन्हें जीप के द्वारा ले जाया जाएगा। अद्विक की बहन 7 साल की ही थी और चूंकि वो एडवेंचरस गेम्स के लिए काफी छोटी थी तो वो वहीं पर रूक गई। अद्विक के परिवार से एक कागज पर साइन करवा लिया गया, इस पेपर में ये लिखा था कि किसी भी प्रकार के हादसे के लिए पैराग्लाइडिंग एजेंसी जिम्मेदार नहीं होगी। इस एग्रीमेंट पेपर में पैराग्लाइडिंग टेक-ऑफ के संदर्भ में किसी प्रकार का कोई जिक्र नहीं किया गया था। जिस जीप में इनको लेकर पैराग्लाइडिंग प्लेस पर पहुंचना था उसमें भी सुरक्षा का कोई सामान मौजूद नहीं था। आपको ताज्जुब होगा ये जानकर की उस जीप में 9 लोगों को सवार किया गया जबकि इस जीप को 5 लोगों को ले जाने के लिए ही डिजाइन किया गया था। इस दौरान रास्ते में तेज रफ्तार से आ रही स्कूटी की टक्कर में जीप ने अपना नियंत्रण खो दिया। इस हादसे में अद्विक की मौत हो गई जबकि उसके माता-पिता समेत कुल 9 लोग घायल हो गए।
अद्विक के पापा ऋषभ कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश व देश के अन्य पहाड़ी इलाकों में हादसे में कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है। ऋषभ की मांग है कि राज्य सरकार इस तरह के हादसों पर नोटिस ले। अद्विक के पापा ऋषभ ने इस संदर्भ में सोशल मीडिया व change Org के माध्यम से एक याचिका दायर की है। इस याचिका में अपनी बातों को रखते हुए ऋषभ कहते हैं कि पैराग्लाइडिंग जैसे एडवेंचर टूरिज्म के दौरान नागरिकों के हितों की अनदेखी करते हुए सुरक्षा को लेकर बड़ी चूक को उजागर करना चाहता हूं।
अद्विक के पापा ऋषभ इस याचिका में कहते हैं कि 22 दिसंबर को इस तरह की सुरक्षा में चूक के चलते हमने अपने लाडले 12 साल के अद्विक को खो दिया है।
अद्विक के पापा बैंगलोर में एक आईटी फर्म में काम करते हैं। ऋषभ बताते हैं कि पैराग्लाइडिंग समेत अन्य एडवेंचर टूरिज्म सेटअप पूरी तरह से असंगठित और अनियंत्रित क्षेत्र प्रतीत होता है और ऐसा लग रहा है कि सरकारी सिस्टम का इस पर किसी तरह का कोई कंट्रोल नहीं है। कुछ लोग मिल कर नियमों की अनदेखी करते हुए इसको चला रहे हैं।
ऋषभ ने अपने अनुभव को साझा करते हुए इस याचिका में लिखा है कि एडवेंचर टूरिज्म में सैलानियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की सजगता नहीं दिखाई जा रही है। उपभोक्ताओं को एक वेवर फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए कह दिया जाता है ताकि पैराग्लाइडर अपनी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएं। हम जैसे लोग ये मान लेते हैं कि ये पैराग्लाइडर इस क्षेत्र के एक्सपर्ट होंगे।
और तो और इस तरह की दुर्घटनाओं के लिए किसी प्रकार की बीमा की भी अवधारणा नहीं है। साइट पर किसी प्रकार का एंबुलेंस या चिकित्सा सुविधा तक उपलब्ध नहीं होता है।
पैराग्लाइडिंग, रोपवे, वाटर स्पोर्ट्स, रिवर राफ्टिंग या इससे मिलते जुलते सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों, एजेंसियों के लिए सुरक्षा इंतजामों में सुधार को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी किए जाएं। लापरवाही बरतने वाले सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ सख्त सजा या जुर्माना का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।
साइट के आसपास में ही स्थाई ट्रॉमा केयर एंबुलेंस हर वक्त मौजूद रहे और इसके अलावा प्राथमिक चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध होना चाहिए। इस तरह के साहसिक खेलों में भाग लेने वाले सभी यात्रियों के लिए बीमा प्रदान करना अनिवार्य हो।
इस याचिका के माध्यम से मांग की गई है कि एडवेंचर टूरिज्म को पेशेवर और संगठित किया जाए। इसके साथ ही जो कंपनी एजेंसी इस काम को करने में इच्छुक हों उनके लिए SoP (Standard Operating Procedure) अवश्य होना चाहिए।
इसके अलावा सर्विस प्रोवाइडर के लिए उपकरणों का मानकीकरण भी आवश्यक शर्त हो। सभी सर्विस प्रोवाइडर के काम काज का समय समय पर ऑडिट होना चाहिए। किसी प्रकार की चूक या लापरवाही बरते जाने पर लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान होना चाहिए।
ऋषभ लोगों से अपील करते हुए कहते हैं कि हम जानते हैं कि अद्विक को वापस नहीं ला सकते हैं और ये हमारे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति के समान है लेकिन हम चाहते हैं कि कोई पेरेंट्स अपने अद्विक को नहीं खोए। इस याचिका के समर्थन में इस ब्लॉग को लिखे जाने तक 2 लाख से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर करके अपना समर्थन कर दिया है। अगर आप भी अद्विक के पिता ऋषभ की मांगों का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि एडवेंचर टूरिज्म को सुरक्षित बनाया जाए तो इस लिंक पर क्लिक करके हस्ताक्षर कर सकते हैं: Ensuring safe Adventure Tourism in India
Be the first to support
Be the first to share
Comment (0)