बच्चों को मीजल्स (खसरा) औ ...
भारत में खसरा से होने वाले संक्रमण (Measles Infection) के मामलों में तेजी देखी जा रही है। इस साल भारत में अब तक कुल 12 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हम आपको ये बता दें कि पिछले चार साल में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। महाराष्ट्र, झारखंड, गुजरात, केरल और बिहार जैसे राज्यों में खसरे के मामले बढ़ रहे हैं। मीजल्स (खसरा) एवं रूबेला टीका अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तैयारी जोरों पर है। इसके तहत उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई और राज्यों में व्यापक रूप से टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है।
खसरा एक संक्रामक बीमारी है और 'पैरामाइक्सोवायरस' नाम के विषाणु के संक्रमण से फैलता है। खसरे से संक्रमित होने के खतरे के बारे में आप इसको ऐसे समझें कि अगर खसरे से पीड़ित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो हवा में वायरस के फैलने से दूसरा स्वस्थ आदमी भी इसके प्रभाव में आकर संक्रमित हो सकता है।
पहली खुराक जब बच्चा नौ से 12 महीने की उम्र का होता है और दूसरी खुराक तब होती है जब बच्चा 16 से 24 महीने का हो जाता है.
अगर आपके यहाँ भी छोटे बच्चे है तो नीचे दी गयी ऍमआर टीकाकरण डेट (MR Vaccination Dates) से जुडी जरुरी जानकारी से अवगत होना होना जरुरी है.! पूरा पढ़ें...
बच्चों का टीकाकरण अभियान तीन चरण में चलेगा। नौ से 20 जनवरी तक पहले चरण में, दूसरे चरण में 13 से 24 फरवरी तक और तीसरे चरण में 13 से 24 मार्च तक बच्चों को टीका लगाने की तैयारी है।
भारत सरकार ने खसरा और रूबेला (Measles & Rubella) जैसी बीमारियों को ख़त्म करने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया हुआ है। जिसकी अलग अलग राज्यों में अलग अलग तारीख निर्धारित हैं! इनको जरूर देखें और अपने बच्चे को पास के वैक्सीनेशन केंद्र पर टीकाकरण के लिए जरूर ले जाएँ।
City or State | MR Vaccination Dates |
Delhi | 16 Jan’19 से शुरू |
Uttar Pradesh | 27 Nov’18 से शुरू |
West Bengal | 27 Nov’18 से शुरू |
Maharashtra | 27 Nov’18 से शुरू |
Punjab | 27 Nov’18 से शुरू |
रूबेला संक्रमण को जर्मन मीजेल्स के नाम से भी जाना जाता है। ये बीमारी मुख्य रूप से रूबेला वायरस की वजह से ही होता है।
गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है रूबेला। गर्भावस्था के दौरान रूबेला से संक्रमित हो जाने पर ये संक्रमण गर्भ में पल रहे भ्रूण तक भी पहुंच जाता है। खास कर के प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान रूबेला वायरस से संक्रमण होने की स्थिति में गर्भपात या फिर समय से पूर्व प्रसव का जोखिम बना होता है। यदि भ्रूण बच भी जाए तो 80 फीसदी तक इस बात की संभावनाएं होती हैं कि जन्म लेने वाले बच्चे में बहरापन, आंखों की समस्याएं, हृदय संबंधी समस्याएं, मानसिक रूप से मंदता, हड्डियों में जख्म एवं अन्य तरह के रोग से ग्रसित हो सकता है। इस तरह की विकृतियों को CRS यानि Congenital Rubella Syndrome कहते हैं। इसलिए महिलाओं को गर्भधारण करने से पहले रुबेला प्रतिरक्षा क्षमता की जांच करा लेनी चाहिए। [जरूर पढ़ लें - स्कूलों में MR टीकाकरण अभियान : आपके सवाल-एक्सपर्ट के जवाब]
UNICEF के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रफुल्ल भारद्वाज ने जानकारी देते हुए कहा कि इस अभियान का मकसद बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना और मीजल्स रूबेला जैसी बीमारियों को जड़ से खत्म करना है। मीजल्स रूबेला के टीके के संदर्भ में उन्होंने बताया की विश्व के कुल 163 देशों में इस टीके का इस्तेमाल किया जा चुका है और ये पूरी तरह से सुरक्षित है।
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