निमोनिया (Pneumonia) का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। ये एक ऐसी बीमारी है जिसका शिकार बच्चे आसानी से बन जाते हैं। ध्यान रखें कि अगर निमोनिया का इलाज सही समय पर नहीं किया गया तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्युदर 16 % तक थी। तो आइये जानते हैं कि बच्चों में निमोनिया होने के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में इस ब्लॉग में।
कितने प्रकार का होता है निमोनिया? / Preventing pneumonia in children In Hindi
निमोनिया को आम बोलचाल की भाषा में फुफ्फुस प्रदाह या फेफड़ों की सूजन के नाम से भी जाना जाता है। आप इसको ऐसे समझें कि ये सीने या फेफड़ों में होने वाला इन्फेक्शन है। निमोनिया से पीड़ित बच्चे को खांसी आती है और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
- लोबर निमोनिया - इस परिस्थिति में फेफड़े का एक या ज्यादा भाग प्रभावित हो सकता है।
- ब्रोंकाइल निमोनिया - इस स्थिति में दोनों फेफड़े में चकत्ते बन जाते हैं।
- वॉकिंग निमोनिया - इस परिस्थिति में बच्चे थोड़ा सुस्त नजर आता है। इसे हल्का निमोनिया माना जाता है। ये 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है लेकिन इलाज में लापरवाही बरतने से ये सामान्य निमोनिया में बदल सकते हैं।
बच्चों में निमोनिया होने के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं ?
निमोनिया होने के मुख्य रूप से 3 कारण हो सकते हैं। पहला बैक्टीरिया,दूसरा है वायरस और तीसरा फंगल हो सकता है। वायरल निमोनिया बच्चों में होने वाला आम निमोनिया है लेकिन फंगल निमोनिया उन बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनका इम्यूनिटी सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होता है।
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों के पैरेंट्स को विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस समय तक बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है।
- ज्यादा धुएं और प्रदूषण के दुष्प्रभाव के चलते भी बच्चों के फेफड़ों में परेशानी हो सकती है और इन वजहों से भी निमोनिया हो सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को इस तरह की कठिनाइयां ज्यादा होने की संभावना बनी रहती है।
- जन्म के दौरान भी कुछ शिशुओं को निमोनिया होने का खतरा बना होता है। डिलीवरी के समय में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोककस के संपर्क में आने से नवजात शिशु निमोनिया का शिकार बन जाते हैं।
- एचआईवी-एड्स या कैंसर जैसे खतरनाकर रोगों के इलाज के कारण बच्चों की इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाती है और ऐसे बच्चों में इन्फेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है।
- जिनके फेफड़ों में पहले से ही इन्फेक्शन हो उनको निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस और अस्थमा जैसी परेशानियों के चलते संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों में निमोनिया के लक्षण / Pneumonia Symptoms In Hindi
सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि बच्चे को निमोनिया किन कारणों से हुआ है। निमोनिया होने के शुरुआती चरणों में इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं।
- खांसी होना और खांसी के साथ बलगम आना
- खांसी करते समय बच्चे के सीने में दर्द महसूस होना
- भूख में कमी महसूस करना
- उल्टी या दस्त होना
- बच्चे को थकावट महसूस होना
- बुखार भी हो सकता है
- गर्मी के मौसम में बच्चे को ठंड लगना
- बुखार के साथ पसीना या कंपकंपी होना
- सांस तेजी से चलना या सांस लेते समय आवाज आना
- बहुत ज्यादा खांसी होना और भूरा, गाढ़ा पीला या हरे रंग का बलगम निकलना
अगर आप अपने बच्चे में इस तरह के लक्षणों को देखते हैं तो आपको तत्काल नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर में दिखलाना चाहिए।
बच्चों में निमोनिया के लिए घरेलू नुस्खे व उपचार / Pneumonia Treatment and Home remedies In Hindi
बच्चे को निमोनिया होने की स्थिति में बहुत सारे ऐसे घरेलू उपचार हैं जिनको आजमाने पर बहुत लाभ मिल सकता है।
- हल्दी - अपने आयुर्वेदिक गुणों के चलते हल्दी बहुउपयोगी माना जाता है। हल्दी में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं और इसका प्रयोग करने से ये हमारे शरीर को कई बीमारियों से दूर रखने में सहयोग करते हैं। अगर बच्चे को निमोनिया हो गया है तो आप थोड़ी सी हल्दी पाउडर को लेकर इसको हल्के गर्म पानी में मिलाएं और इसको बच्चे की छाती पर लगाएं। इससे बच्चे को बहुत आराम मिलेगा।
- लहसुन - लहसुन के कई गुणों के बारे में आप जानते होंगे। निमोनिया होने की स्थिति में आप लहसुन की कुछ कलियां को मिक्सर में पीस कर उसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को रात में सोने से पहले बच्चे के सीने पर लगाएं। बच्चे के शरीर को गर्माहट भी मिलेगी और कफ बाहर निकल जाएगा।
- तुलसी - अगर आपका बच्चा 1 साल से ज्यादा बड़ा हो चुका है तो आप तुलसी की कुछ पत्तियों को पीस कर उसका रस निकाल लें। तुलसी के इस रस को दिन में 2 से 3 बार बच्चे को पिलाने से निमोनिया में बहुत आराम मिलता है।
- लौंग - अगर आपके बच्चे ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया है तो निमोनिया होने की स्थिति में लौंग बहुत फायदेमंद सिद्ध हो सकता है। आप एक ग्लास पानी में 6-7 लौंग, काली मिर्च, और एक ग्राम सोडा मिलाकर अच्छे से उबाल लें। जब ये ठंडा हो जाए तब इस घोल को दिन में 2 बार अपने बच्चे को पिलाएं। इसके अलावा लौंग का तेल सीने पर लगाने से भी आराम मिलता है।
इसके साथ ही आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे की निमोनिया और शारीरिक स्थिति अलग-अलग हो सकती है। इन उपायों को आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
निमोनिया से बचाव कैसे करें ?
निमोनिया का बैक्टीरिया ना फैले इसके लिए आपको अपने बच्चे को साफ-सफाई के महत्व के बारे में जरूर बताना चाहिए जैसे की छींकते या खांसते समय में हमेशा मुंह और नाक को ढक लेना चाहिए। कुछ भी खाने से पहले बच्चे को हाथ धो लेने के बारे में जरूर सीखाएं।
- खांसते समय में अपने मुंह पर नैपकीन या रूमाल जरूर रखें।
- अगर आपके बच्चे को खांसी है तो जब तक वह ठीक ना हो जाए तब तक स्कूल ना भेजें नहीं तो दूसरे बच्चों को भी संक्रमण का शिकार होने का खतरा हो सकता है।
- अगर एक हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो डॉक्टर को जरूर दिखलाएं।
- अगर आप किसी परिचित को देखने के लिए अस्पताल जा रही हैं तो वहां छोटे बच्चों को साथ में लेकर जाने से परहेज करना चाहिए।
- छोटे बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत होती है। सर्दी के मौसम में उनको कुछ देर के लिए धूप में जरूर रखें।
- प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें और मास्क का प्रयोग करें।
- घर में या सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान ना करें और किसी को करने भी नहीं दें।
- बदलते मौसम में विशेष ध्यान रखें। गर्मी के मौसम में बहुत ज्यादा ठंडी चीजें बच्चे को ना खिलाएं।
- पर्याप्त पोषण दें:- बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपने बच्चे को पर्याप्त पोषण दें। 6 महीने से कम के शिशु को नियमित रूप से समय-समय पर स्तनपान कराते रहें। अगर आपके बच्चे ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया है तो उसके डाइट चार्ट में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें।
संपूर्ण टीकाकरण: निमोनिया के खतरे से बचाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके बच्चे को सभी जरूरी टीके जरूर लग जाएं। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) लगाने से निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव होता है। ध्यान रखें की 2 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया की रोकथाम के लिए PCV13 टीका लगाया जाता है। ये टीका करीब 13 प्रकार के निमोनिया से रक्षा करता है। लेकिन अगर 2 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों में टीका लगाया जाता है तो PPSV23 लगता है। यह 23 तरह के निमोनिया से रक्षा करता है।
नवजात शिशु में निमोनिया के लक्षण को कैसे समझें?
नवजात शिशु में कुछ लक्षणों को देखकर आप निमोनिया का अनुमान लगा सकते हैं।
- अगर 2 महीने के नवजात शिशु की सांसें 1 मिनट में 60 बार से ज्यादा चल रही हों तो आप सतर्क हो जाएं।
- 1 साल तक के शिशु की सांसें अगर 1 मिनट में 50 से ज्यादा चल रही हों
- बच्चे के होंठ या हाथ पैर की उंगलियों का नीला पड़ जाना
- दूध पीना छोड़ देना
- शिशु का अचानक सुस्त पड़ जाना
- शौच या पेशाब से खून का आना
- तेज बुखार का होना
- शरीर का ठंडा पड़ जाना
- पेट का फूलना और उल्टियां होना
- हथेली और तलवों का पीला पड़ जाना
ये सभी लक्षण निमोनिया के हो सकते हैं। इन लक्षणों को महसूस करते ही डॉक्टर से संपर्क करें।