स्कूली बच्चों के मेंटल हे ...
क्या आप जानते हैं कि मेंटल हेल्थ की समस्या से सिर्फ बड़े लोग ही नहीं बल्कि स्कूल जाने वाले बच्चे भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। कोविड के चलते लगभग 2 साल तक घरों में बंद रहने के बाद अब जबकी बच्चे फिर से स्कूल जा रहे हैं तो ऐसे हालात में स्कूली बच्चों के साथ भी मानसिक स्वास्थ्य की समस्या चिंताजनक बनती जा रही है। इसके बाबत NCERT ने स्कूली बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सर्वे करवाया और सर्वे के नतीजे सामने आने के बाद अब गाइडलाइंस भी जारी किया है। हम आपको इस ब्लॉग में इस सर्वे के परिणाम और दिशानिर्देश को लेकर जो भी महत्वपूर्ण बाते हैं उनके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
इस सर्वे के मुताबिक क्लास 6 से लेकर 12वीं के लगभग 73 फीसदी छात्र स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं हालांकि वहीं 33 फीसदी बच्चे ऐसे भी हैं जो किसी ना किसी बात को लेकर ज्यादातर समय दबाव महसूस करते हैं।
NCERT की मेंटल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 29 फीसदी छात्रों में एकाग्रता की की कमी पाई गई जबकी 43 फीसदी ऐसे भी छात्र हैं जिनका मन पढाई में नहीं लगता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान ज्यादातर स्कूल व संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई के तरीकों पर ज्यादा बल दिया गया। इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 51 फीसदी छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई से संबंधित सामग्रियों को समझने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
ऑनलाइन क्लासेज के दौरान 28 फीसदी छात्रों को अपने प्रश्न पूछने में झिझक महसूस हुई।
हम आपको बता दें कि इस सर्वे में कुल 3.79 लाख छात्र शामिल हुए
सर्वे की सबसे अहम बात जो सामने आई है उसके मुताबिक कुल 81 फीसदी बच्चे पढ़ाई, परीक्षा और रिजल्ट को सबसे बड़ा तनाव मानते हैं। हालांकि इस सर्वे का दूसरा पहलू ये भी है कि ज्यादातर बच्चों ने स्कूली जीवन से खुशी और संतुष्टि का इजहार किया। मिडिल स्कूलों में ज्यादातर स्कूली बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट दर्ज की गई है।
Mental Health, NCERT Guidelines) स्कूली बच्चों में मेंटल हेल्थ की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए NCERT ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। NCERT का स्पष्ट मानना है कि स्कूली बच्चों में मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए स्कूली स्तर पर भी सजगता बढ़ाना आवश्यक है।
एनसीईआरटी (NCERT) ने मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति (Mental Health Counselors Committee) का गठन करने के निर्देश दिए है।
. स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच कराए गए मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (Mental Health Survey) के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने यह निर्णय लिया है.
NCERT के मुताबिक स्कूल मैनेजमेंट, शिक्षकगण व स्कूल के कर्मचारी और छात्र साल में तकरीबन 220 दिन साथ में बिताते हैं। ऐसी परिस्थितियों में में सभी बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण, स्वास्थ्य और भलाई सुनिश्चित करना विद्यालयों की जिम्मेदारी है।
NCERT के दिशा-निर्देशों में कहा गया है सभी स्कूल को एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनाने की आवश्यकता है।
NCERT ने एक और अहम बात जो बताई है उसके मुताबिक माता-पिता और शिक्षक बच्चों को प्रारंभिक संकेतों के बारे में बताएं।
स्कूल में योग ध्यान और सकारात्मक बातों के बारे में चर्चा करने पर भी बल दिया गया है।
स्कूल में बच्चों के व्यवहार, मादक द्रव्यों के सेवन, डिप्रेशन और विकास संबंधी चिंताओं की पहचान करने और फर्स्ट एड मुहैया कराने की बात की गई है।
शिक्षकों को भी विशेष प्रकार के प्रशिक्षण मुहैया कराने की बात की गई है ताकि वे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी शुरुआती लक्षणों को समझ कर उचित कार्रवाई कर सकें।
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