लता मंगेशकर के संघर्ष की ...
लता मंगेशकर का जन्म साल 1929 में इंदौर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ
लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर भी गायक थे
5 साल की उम्र से ही लता मंगेशकर ने गाना शुरू कर दिया
लता मंगेशकर अपने जीवनकाल में सिर्फ 2 दिन ही स्कूल जा पाईं, उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा और संगीत का प्रशिक्षण घर पर ही हुआ।
लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले गायकी के क्षेत्र से जुड़े रहे।
लता मंगेशकर जब 13 साल की थीं उस वक्त इनके पिता का निधन हो गया
पिता की मृत्यु के बाद घर की बड़ी बेटी होने के नाते परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी इनके कंधों पर आ गई।
शुरूआती दिनों में लता मंगेशकर को काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा।
पैसों की किल्लत के चलते लता मंगेशकर ने फिल्मों में छोटे रोल भी किए
पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के चलते लता मंगेशकर ने शादी भी नहीं की
पहली बार स्टेज पर गाना गाने के लिए उनको कमाई के तौर पर 25 रुपये मिले थे
फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को ये कहकर ठुकरा दिया था कि इनकी आवाज बहुत पतली है, नहीं चलेगी
लता मंगेशकर ने निराश होना नहीं सीखा और बाद में संगीतकार गुलाम हैदर ने उनको पहला ब्रेक दिया
साल 1942 में लता ने पहली बार मराठी फिल्म में गाना गाया
20 से अधिक भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए
संगीत को अपनी साधना मानने वाली लता मंगेशकर गाना गाने के दौरान चप्पल या जूते नहीं पहनती थी।
साल 2001 में लता मंगेशकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया
बच्चों के बीच में उनके गाए गीत 'चल मेरे घोड़े टिक-टिक टिक' और अनेक लोरियां काफी लोकप्रिय हुए
लता मंगेशकर के गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' को सुनकर आज भी हर भारतवासी भावुक हो जाते हैं
लता मंगेशकर ने अपने इंटरेस्ट और शौक को अपना करियर बनाया और तकरीबन 7 दशक तक इस करियर को मेहनत और निपुणता से निभाया जो अपने आप में बेमिसाल है और इसलिए वो हम सभी के बीच अपने गाने के माध्यम से हमाशा बसी रहेंगी।
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