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मैं एक IAS होने के साथ मां भी हूं तो फिर मेरी इस तस्वीर पर एतराज क्यों?

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Prasoon Pankaj

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2 years ago

मैं एक IAS होने के साथ मां भी हूं तो फिर मेरी इस तस्वीर पर एतराज क्यों?
सामाजिक और भावुकता
Story behind it

सोशल मीडिया पर लोग खुलकर अपनी राय रखते हैं। अलग-अलग विषयों के अलावा आम लोगों की अभिरूचि सभी क्षेत्रों के लीडर्स के द्वारा की जाने वाली पोस्ट पर विशेष रूप से होती है। अभी सोशल मीडिया पर केरल के पथानामथिट्टा की डीएम  दिव्‍या एस. अय्यर (Kerala IAS Officer Divya S Iyer) की एक तस्वीर पर खुलकर प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। केरल के इस डीएम की इस तस्वीर में ऐसा क्या खास है और इस तस्वीर को देखकर आपके मन में क्या प्रतिक्रियाएं आ रहे हैं उसे भी आप कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें। पेरेंट्स होने के नाते अगर आप केरल की डीएम दिव्या एस अय्यर के विचारों का समर्थन करते हैं तो इस ब्लॉग को शेयर भी अवश्य करें। फिलहाल हम आपको इस ब्लॉग में विस्तार से सारी बातों की जानकारी देने जा रहे हैं।

डीएम दिव्या एस अय्यर की इस तस्वीर में क्या खास है?  

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    इस तस्वीर में डीएम दिव्या एस अय्यर अपने बच्चे को गोद में लेकर भाषण देती नजर आ रही हैं। इस तस्वीर के सामने आने के बाद कुछ लोग एतराज भी जता रहे हैं तो वही दूसरी तरफ इनके समर्थन में भी लोग सामने आ रहे हैं। दरअसल एक निजी फिल्म महोत्सव के पुरस्कार वितरण समारोह में डीएम दिव्या एस अय्यर को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इस समारोह में दिव्या अपने साढ़े 3 साल के बेटे को साथ लेकर पहुंची। जो तस्वीरें सामने आई है उसमें दिव्या अपने बच्चे के साथ मंच पर बैठी हुई, बच्चे को प्यार से गला लगाते हुए और बाद में जब वो भाषण देने के लिए खड़ी हुईं तो बच्चे को गोद में लेकर पुचकारते हुए नजर आई।   

    देखते ही देखते उनकी ये तस्वीर और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। सोशल मीडिया पर इस बात पर बहस छिड़ गई कि किसी अधिकारी का इस तरीके से सार्वजनिक कार्यक्रम में अपने बच्चे को साथ में लेकर संबोधित करना सही है या नहीं? इनके पक्ष में और विरोध में भी लोग अपने विचार रख रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि किसी उच्चाधिकारी के लिए ये व्यवहार ‘उचित’ नहीं है, वहीं दूसरी तरफ आईएएस अधिकारी के पति सहित उनका समर्थन करने वाले अधिकांश लोगों का कहना है कि एक महिला अपने जीवन में अनेक प्रकार की भूमिकाओं का निर्वहन करती है और किसी भी महिला को ये पूरा अधिकार है कि वो अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताए।
     

    image


    दिव्या एस अय्यर ने सफाई देते हुए क्या कहा?

    दिव्‍या अय्यर कहती हैं कि मेरा मां होना मेरे आईएएस होने से कम महत्‍वपूर्ण नहीं है।  जिस तरह मैं चौबीस घंटे एक जिलाधिकारी हूं, उसी तरह मैं चौबीस घंटे एक मां भी हूं। गुरुवार को फेसबुक पर अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि वो अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहने वाली महिला हैं और जहां तक बात रही अपने कर्तव्य के निर्वहन की तो  सोमवार से शनिवार तक आधिकारिक काम करती हैं, सिर्फ रविवार को वह अपने बेटे के साथ रहना चाहती हैं और इसलिए यात्रा, बैठकों और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने से बचती हैं। दिव्या एस अय्यर ने कहा है कि कुछेक ऐसी परिस्थितियां आती है जहां जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है तो ऐसे हालात में वो आयोजकों को पहले से सूचित कर देती हैं कि वो अपने बेटे के साथ ही उपस्थित हो पाएंगी।

    हम आपको याद दिला दें कि Parentune पर हमने आपको न्यूजीलैंडी की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डन की कहानी के बारे में भी बताया था कि साल 2018 में जब वो संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने पहुंची तो उनके साथ 3 महीने की बेटी भी मौजूद थी। भाषण देने के दौरान भी जैसिंडा अर्डन के सहयोगी ने अपनी बच्ची को गोद ले रखा था। अय्यर का समर्थन करने वाले लोग जैसिंडा अर्डन का भी उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ लें- क्या मां ऑफिस में बच्चे को साथ ले कर काम करने जा सकती है, क्या कहता है कानून ? 

    भारत देश में वर्किंग प्लेस में क्रेच की सुविधा को लेकर क्या है कानून?

    इस ब्लॉग को पढ़ लेने के बाद अब आपके मन में भी ये सवाल हो रहे होंगे कि वर्किंग पेरेंट्स के लिए वर्क प्लेस पर बच्चे को साथ में लेकर जाने को लेकर अपने देश में क्या कानून बने हुए हैं और क्या वर्किंग पेरेंट्स की सुविधाओं का ध्यान रखने को लेकर भी कुछ अधिकार दिए गए हैं? आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे देश में भी नन्हे शिशु को लेकर ऑफिस में क्रेच (central guidelines for crèches facility at workplaces) की सुविधा मुहैया कराने को लेकर कानून पहले से ही मौजूद हैं।

     मैटरनिटी बेनिफिटी एक्ट 2017(Maternity Benefit Amendment Act) के मुताबिक सभी सरकारी, गैर सरकारी, फैक्ट्री  व ऑफिस में जहां कुल स्टाफ की संख्या 50 या उससे ज्यादा है वहां क्रेच की सुविधा जरूर होनी चाहिए। 

    • ये सुविधा 6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चों के लिए है और कार्यक्षेत्र पर क्रेज बनवाने का नियम है।
       
    • नियमों के मुताबिक ऑफिस से क्रेच की दूरी 500 मीटर के दायरे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
       
    • ऑफिस में काम करने की टाइमिंग के मुताबिक क्रेच की टाइमिंग होनी सुनिश्चित की गई है यानि कि कम से कम 8 से 10 घंटों के लिए क्रेच का खुला होना चाहिए।
       
    • क्रेच के लिए एक और नियम यह है कि इसको ग्राउंड फ्लोर पर होना चाहिए। पूरा एरिया पक्का होना चाहिए और प्रत्येक बच्चे के लिए पर्याप्त स्पेस होनी चाहिए।
       
    • क्रेच में बच्चों की आवश्यकता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और बच्चे के बारे में पूरी जानकारी कंप्यूटर अथवा रजिस्टर में जरूर दर्ज हो।
       
    • बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए सुरक्षाकर्मी/गार्ड का होना आवश्यक है और इनका पुलिस वेरिफिकेशन भी किया जाना अनिवार्य है
       
    • क्रेच में अंदर आने जाने वालों के लिए पास इश्यू किया जाए और पूरे क्रेच परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे होने चाहिए।
       
    • क्रेच संचालकों के लिए बच्चों को सेक्सुअल और फिजिकल एब्यूज से बचाने की पर्याप्त व्यवस्था करना जरूरी है।

    उम्मीद करता हूं कि इस ब्लॉग में बताई गई जानकारियां आपके लिए उपयोगी होंगे। आप अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।

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