क्या बच्चे की बौद्धिक क्ष ...
संस्कृत में एक सूक्ति है - 'अति सर्वत्र वर्जयेत्' और अंग्रेजी में भी कहा गया है कि 'Excess of everything is bad' - यानि कि किसी भी चीज का अति उपयोग हमेशा नुकसानदेह साबित होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम यहां 'अति' शब्द पर विशेष जोर क्यों दे रहे हैं? आपने बड़े-बुजुर्गों से अक्सर सुना होगा कि संतुलित जीवन जीने वाला इंसान ही सफल हो सकता है इसलिए जीवन में संतुलन का होना बहुत आवश्यक है। स्मार्ट फोन, टीवी, कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो गए हैं। जाहिर है कि हमारे बच्चे भी इन चीजों का प्रयोग करने में एक्सपर्ट हैं लेकिन क्या आपने नोटिस किया है कि आपके बच्चे दिन भर में कितनी देर स्मार्ट फोन, कंप्यूटर या टीवी के संपर्क में बने रहते हैं? अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि अगर बच्चे दिन भर में 2 घंटे से ज्यादा समय गैजेट्स के संग गुजारते हैं तो ये उनकी बौद्धिक क्षमता को कमजोर कर सकता है।
अमेरिकी सीएचईओ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 8 साल से 11 साल तक की उम्र के कुल 4500 बच्चों के डेली रूटीन पर नजर बनाए रखा। इस दौरान रोजाना 2 घंटे से ज्यादा समय तक टीवी, कंप्यूटर और स्मार्ट फोन से चिपके रहने वाले बच्चों की बौद्धिक क्षमता और उनकी तार्किक क्षमता 5 फीसदी कम मिली। इसके अलावा इन बच्चों में एकाग्रता और याददाश्त से संबंधित समस्याएं भी नोटिस की गई है। मुख्य रिसर्चर डॉ जेरेमी वॉल्श के मुताबिक इंटरनेट, टीवी, सोशल मीडिया और वीडियो गेम्स की लत बच्चों में ना सिर्फ शारीरिक असक्रियता बल्कि नींद में कमी का भी कारण बनता जा रहा है। इन आदतों की वजह से इस उम्र के बच्चे मोटापा की चपेट में भी आ रहे हैं। डॉ जेरेमी वॉल्श के मुताबिक बच्चों का दिमागी या मानसिक विकास भी बाधित हो रहा है। इस रिसर्च के नतीजे 'द लैसेंट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ जर्नल' में प्रकाशित किए गए हैं।
मोबाइल के घातक परिणाम को देखते हुए आयरलैंड के शहर ग्रेस्टोन में प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए स्मार्टफोन बैन किए जा रहे हैं। अच्छी बात ये है कि बैन लगाने के लिए आठ प्राइमरी स्कूल्स के बच्चों के माता-पिता एकजुट हुए हैं। पेरेंट्स का कहना है कि यह प्रतिबंध सुरक्षा के लिए और उन्हें ऐसी कंटेंट देखने से रोकने के लिए लाया गया है जो उनके लिए ठीक नहीं है। इस तरह के नियमों को लागू करने का मकसद बच्चों के मेंटल हेल्थ की देखभाल करने में मदद करना भी है। आयरलैंड में इस नियम के मुताबिक बच्चों को तब तक मोबाइल की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि वे सेकेंडरी स्कूल में नहीं पहुंच जाते हैं। हम आपको बता दें कि मार्च 2022 में भारत आईटी मंत्रालय ने संसद में रखे गए आंकड़ों में बताया कि भारत में 24% बच्चे सोने से पहले स्मार्टफोन चेक करते हैं और 37% बच्चे एकाग्रता यानी फोकस करने की क्षमता से जूझ रहे हैं।
शुरु-शुरू में बच्चे की मोबाइल और टीवी की लत को छुड़ाने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन इन टिप्स का लाभ आपको बहुत जल्द देखने को मिल सकता है।
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