ब्रेस्ट कैंसर के साथ बच्च ...
किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो, तो वह पहले से ही हताश रहती है। ऐसे में यदि उसका बच्चा छोटा हो, तो उसके सामने सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि वह अपने बच्चे को फ़ीड कराए या नहीं। इसका जवाब है कि यह अलग-अलग स्थिति पर निर्भर करता है। यदि वर्तमान में ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिला का इलाज किया जा रहा है, तो उसका ऑन्कोलॉजिस्ट सलाह दे सकता है कि वह ब्रेस्ट फ़ीड न कराए। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में की जाने वाली दवाएं, जैसे कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी या सर्जरी के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली एनेस्थीसिया बच्चे को पास हो सकती हैं। इसके अलावा, ब्रेस्ट फ़ीड कराने वाले ब्रेस्ट की जांच और ऑपरेशन करना ज्यादा कठिन हो सकता है। आज इस ब्लॉग में जानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर के साथ एक महिला कैसे अपने बच्चे को फ़ीड करा सकती है।
किसी भी तरह की ब्रेस्ट सर्जरी के बाद, ब्रेस्ट फ़ीड सुरक्षित और अमूमन संभव है। इस समय दूध की आपूर्ति कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे ब्रेस्ट का स्थान, सर्जरी की गहराई और सर्जरी के दौरान नसों और मिल्क डक्ट्स (दूध नलिकाओं) को कितना नुकसान पहुंचा है।
इस समय बच्चे को फीड कराना संभव है लेकिन शोध कहते हैं कि ब्रेस्ट के दूध उत्पादन की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में उस ब्रेस्ट से फीड कराया जा सकता है, जिसकी सर्जरी नहीं हुई है। यदि सिर्फ एक ब्रेस्ट की सर्जरी या रेडिएशन हुआ है, तो दूसरा ब्रेस्ट इतने दूध का उत्पादन कर सकता है कि बच्चे को पर्याप्त फीड मिल जाता है।
कई तरह की ड्रग थेरेपी के बाद, जिसमें कीमोथेरेपी भी शामिल है, ब्रेस्ट मिल्क में प्रवेश कर जाते हैं और आपके बच्चे तक पहुंच सकते हैं। इसलिए इलाज के दौरान ब्रेस्ट फीड कराने से मना किया जाता है। शरीर से कीमोथेरेपी को बाहर आने में समय लगता है लेकिन जब यह पूरी तरह से बाहर आ जाता है, तो आप बच्चे को फ़ीड करा सकती हैं। लेकिन इसके लिए बेहतर तो यह होगा कि अपने डॉक्टर से सलाह ली जाए कि ब्रेस्ट फीड को कब शुरू किया जा सकता है।
कुछ महिलाएं रेडिएशन के बाद बच्चे को फ़ीड कराना जारी रख सकती हैं, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी थेरेपी किस तरह की हुई है।
कई महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के साथ बच्चे को फ़ीड करना चाहती हैं, जो कि डॉक्टर ही ज्यादा बेहतर ट्रीके से बता सकता है। लेकिन फिर भी कुछ उपाय किये जा सकते हैं -
ब्रेस्ट कैंसर के साथ बच्चे को फ़ीड करना चुनौती से कम नहीं है। इस समय महिला खुद एक मानसिक और शारीरिक तनाव से गुजर रही होती है, ऐसे में बच्चे का खयाम उसे अंदर तक तोड़ देता है। लेकिन ऐसे में हिम्मत हारने नहीं बल्कि जागरूक होकर बच्चे का ख्याल रखने की कोशिश करनी चाहिए। एक डॉक्टर से बेहतर कोई और नहीं बताया सकता है कि ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिला कब अपने बच्चे को और कैसे फ़ीड करा सकती है।
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