आपके नन्हे शिशु में सोचने ...
लाडले के गोद में आते ही मन में कई तरह के विचार आने लगते हैं। महज, वह कैसे बोलेगा, कैसा दिखेगा, मुझे देख-समझकर खुद क्या सोचेगा। सच तो यह है कि आपका नन्हा शिशु आपको ही देख-सुनकर सीखता है। हां, यह जरूर है कि इसके लिए वह अपनी इंद्रियों का इस्तेमाल करता है। चीजों को छूकर, मुंह में डालकर, आपकी आवाज और संगीत सुनकर और अपने आस-पास बिखरे रंगों को देखकर वह यह सोचता है कि आखिरकार ये सब क्या है। अपने एक्सप्लोर करने की इसी आदत को लेकर शिशु एक साल की उम्र तक किसी भी चीज के पीछे के कारण को समझते हैं।
उसने आपके हाथ पर खिलौना दे मारा और आपके मुंह से निकला ओह! ऐसे नहीं करते। आप साथ में मना करने के अंदाज में हाथ भी हिलाते हैं। अपनी फेवरेट खिलौने को घुमाते ही उससे निकलने वाली आवाज से आपका नन्हा शिशु चौंक जाता है। वह बार-बार उस खिलौने को हिलाता है और खुश हो जाता है। ब्लॉक्स फिट करके, उसे मुंह में लेकर वह उसके आकार को भी समझने की कोशिश करता है। आप उसके सामने उसका पसंदीदा खिलौना रख देते हैं और इशारे से कहते हैं कि वह आगे बढ़े और उसे पा ले। वह घुटने के बल खिसकते हुए वहां पहुंच जाता है। आपके द्वारा की जाने वाली कोशिश और उसके सीखने का अंदाज उसके अंदर सोचने की क्षमता को विकसित करने में मदद करता है।
आप एक मां या पिता के तौर पर अपने लाडले में सोचने की क्षमता को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ ज्यादा कोशिश करने की जरूरत नहीं पड़ती है। बस रोजाना के छोटे-मोटे काम करके आप अपने नन्हे शिशु के अंदर सोचने की क्षमता विकसित करने में मदद कर सकते हैं।
आप अपने लाडले में सोचने की क्षमता को विकसित करना चाहती हैं, तो इसके लिए आप उसे अलग-अलग तरह की चीजें दे सकते हैं। जैसे - विभिन्न टेक्सचर के फैब्रिक, चिपकने वाले मास्किंग टेप से बनी बॉल, सॉफ्ट बॉल, उछलने वाली बॉल, लकड़ी का चम्मच। इन अलग-अलग तरह के मटीरियल की चीजों को छूकर वह यह सोचने पर मजबूर हो पाएगा कि ये सब आखिरकार हैं क्या।
वह जिस भी चीज को देखेगा, उसके अंदर उस चीज को लेकर जानने की भावना आएगी। आप भी उसके अंदर इस भावना को जगा सकते हैं, उसे सोचने के लिए बढ़ावा दे सकते हैं। आप शब्दों के जरिए उसके अनुभव को उसे ही बताने की कोशिश कीजिए। जैसे - यह बॉल है। तुम एक यलो बॉल को देख रहे हो। तुम्हें यह बॉल अच्छी लग रही है, तुम्हें यह बॉल चाहिए क्या?
यदि वह किसी चीज को करना चाह रहा है लेकिन उसमें उसे सफलता नहीं मिल रही है, तो आप उसकी मदद कीजिए। उदाहरण के लिए, यदि वह ब्लॉक्स निकालने के लिए ढक्कन नहीं हटा पा रहा है, तो आप उसे दिखाते हुए बोलिए और हटा दीजिए। इसके बाद फिर ढक्कन लगा दीजिए और उसे कहिए कि वह कोशिश करे।
लुका-छिपी का खेल हर शिशु को बहुत पसंद आता है। इस खेल के जरिए वह यह सीखता है कि छीजने भले ही सामने न हों लेकिन वह फिर भी कई बार होती हैं। आप इसके लिए चीजों को छिपाने वाला खेल भी खेल सकते हैं। उसके सामने उसके पसंदीदा खिलौने को छिपा दें और उसे ढूंढने के लिए कहें।
उसे अलग-अलग तरह से खिलौनों का अनुभव करने देने से भी आपके नन्हे शिशु में सोचने की क्षमता विकसित होती है। छूने, घुमाने, पटकने, हिलाने से आपका लाड़ला यह जान पाएगा कि चीजें क्या-क्या कर सकती हैं। इसके बारे में उससे बात भी करें। उदाहरण के लिए, वह बॉल को फेंक कर पकड़ रहा हो, तो उसे कहें कि अरे वाह, तुम्हें तो बॉल को फेंकना और पकड़ना भी आता है।
जब भी आप उसे बाहर गार्डन या पार्क में ले जाते हैं, तो अलग-अलग तरह की चीजों से उसे टच कराएं। जैसे पेड़ के पत्ते से उसका हाथ टच कराएं। फिर पत्ते को तोड़ें और उसे आवाज का अनुभव करने दें। उसे बताएं कि इसे पत्ता कहा जाता है और यह हरे रंग का है। उसे वह हर चीज के बारे में बारीकी से बताएं, जो आप दोनों मिलकर करते हैं।
उसके साथ समय बिताते हुए उसे बातों-बातों में कोई नई चीज बताई जा सकती है। महज, एक गिलास में चम्मच रखने दें। कभी स्टील का चम्मच दें तो कभी लकड़ी का। उसे बताएं कि दोनों चीजों को जब जमीन पर टच कराया जाता है, तो दोनों से अलग-अलग आवाज आती है। यह सब आप उससे बातें करते हुए बता सकते हैं।
नन्हा शिशु एक माटी का बर्तन होता है। उसे सजाना, संवारना और उसके अंदर सोचने की क्षमता विकसित करने में आपका योगदान बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। ऊपर बताए गए टिप्स की मदद से आप अपने नन्हे शिशु में सोचने की क्षमता विकसित करने में मदद कर सकते हैं।
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