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शारीरिक स्वास्थ्य की तरह हमारे लिए मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना उतना ही आवश्यक है। हर दिन भागमभाग वाली हमारी जिंदगी में हमारे लिए मानसिक तौर पर स्वस्थ बने रहना उतना ही अनिवार्य है जितना कि फिजिकली फिट रहना। कोरोना महामारी ने दुनिया के सामने जीने के तौर तरीकों में काफी हद तक बदलाव कर दिया। कोरोना महामारी ने हमारे कामकाज के तौर तरीकों व बच्चों की शिक्षा से लेकर अन्य कई चीजों में व्यापक परिवर्तन ला दिए। कोरोना के दौरान आपने इस बात को महसूस भी किया होगा कि तमाम डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स बार बार मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने पर बल देते रहे हैं। शारीरिक बीमारियों के इलाज के महंगे खर्च से बचने के लिए अधिकांश लोग समझदारी दिखाते हुए हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी ले लेते हैं लेकिन क्या मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी इंश्योरेंस कंपनीयां बीमा कवरेज देती हैं? इस ब्लॉग में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं कि अब से बीमा कंपनियों को मानसिक बीमारियों के लिए भी कवरेज देना होगा और इसकी प्रक्रिया क्या होगी इसके बारे में भी आपको जरूर जान लेना चाहिए।
Mental Health Insurance Cover: IRDAI ने बाजाप्ता निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी इंश्योरेंस कंपनियां मानसिक बीमारीयों से जुड़े कवर देंगे और एमएचसी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का पालन करेंगे। तमाम बीमा कंपनियों से 31 अक्टूबर 2022 से पहले इस अनुपालन की पुष्टि करने का अनुरोध किया गया है। हम आपको बता दें कि मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 का उद्देश्य मानसिक बीमारियों के लिए चिकित्सा उपलब्ध कराना है। इससे पहले साल 2018 में भी IRDAI ने सभी इंश्योरेंस कंपनियों को इसका पालन करने का निर्देश जारी किया था। IRDAI ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि बीमा कंपनियों को को शारीरिक और मानसिक बीमारियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए।
मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 के बारे में आपको जरूर जानकारी होनी चाहिए ताकि आप मानसिक बीमारियों से संबंधित अपने हक के बारे में बीमा कंपनियों से खुलकर बात कर सकें। इस एक्ट का उद्देश्य ही ये है कि मानसिक बीमारियों का सामना कर रहे प्रत्येक व्यक्ति को सही स्वास्थ्य देखभाल और सुविधाएं मिल सके। अब जबकि IRDAI ने सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दे दिया है तो मानसिक बीमारीयों के लिए कवरेज मिल सकेंगे। निर्देश के जारी होने के बाद अब पॉलिसीधारक को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिल सकेगा हालांकि इसके साथ ही अभी तक ये पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ पॉलिसी में मेंटल हेल्थ से संबंधित किन तरह की समस्याओं को शामिल करने जा रहे हैं।
WHO के अनुमान के मुताबिक भारत के सामने मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है। आंकड़ों की माने तो 1 लाख की आबादी पर आयु समायोजित खुदकुशी दर 21.1 है। इतना ही नहीं, अनुमान के मुताबिक बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के चलते आर्थिक नुकसान 1.03 ट्रिलियन डॉलर तक हो सकते हैं। खास तौर से कोरोना महामारी के बाद नौकरी, व्यापार, व्यवसाय, शिक्षा और अन्य प्रकार की बीमारियों के चलते मेंटल हेल्थ के मामले बड़ी तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। असुरक्षा की भावना उत्पन्न होने के बाद मानसिक बीमारियों के मामले खूब बढ़ रहे हैं।
शारीरिक और मानसिक दोनों बीमारियों की कवरेज के लिए कंप्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी काफी मददगार है। अगर आप स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदने के बारे में प्लान कर रहे हैं तो आपको शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही प्रकार की बीमारियों को कवरेज करने वाली पॉलिसी के बारे में विचार करना चाहिए। मेंटल हेल्थ से संबंधित परेशानियों का उपचार लंबे समय तक चल सकता है और कई महिनों तक थेरेपी, मेडिकल काउंसलिंग कराना पड़ सकता है। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य का कवरेज करा लेने पर खर्च के संदर्भ में होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं।
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