प्रेगनेंसी में फैटी लिवर ...
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मेरे पड़ोस में रहने वाली प्रिया को प्रेग्नेंसी के दौरान उसके डॉक्टर ने फैटी लीवर (Fatty Liver in Pregnancy) की समस्या बता दी। अब प्रिया ये सोचकर परेशान थी की वो अपने खानपान का पूरा ध्यान रखती है और ना ही शराब का सेवन करती है तो फिर उसको क्यों ये परेशानी हो गई। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली लीवर की बीमारियों (Liver Disease in Pregnancy) के क्या कारण हो सकते हैं और बचाव के लिए आपको क्या करना चाहिए इन सभी पहलुओं पर इस ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
आपके डॉक्टर ने भी आपको बताया होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि आपको प्रेग्नेंसी के दौरान शारीरिक व कुछ मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ जाता है। प्रेग्नेंसी में फैटी लीवर होने की समस्या भी एक महत्वपूर्ण विषय है। दरअसल हम अपने खानपान में कुछ ऐसी चीजों को भी शामिल कर लेते हैं जो अनहेल्दी हो सकते हैं। हालांकि आपको बता दें कि अगर सही समय पर फैटी लीवर की समस्या की पहचान करने के बाद उपचार शुरू कर दिया जाए तो आप बिल्कुल स्वस्थ हो सकती हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादातर महिलाओं को एक्यूट फैटी लीवर नामकी बीमारी होने की प्रबल संभावनाएं बनी होती है। कुछ स्टडीज की माने तो ये ये मेटाबॉलिक विकारों से जुड़ा हो सकता है। इस समस्या के चलते शरीर में पल रहे भ्रूण को भी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
अगर लीवर में वसा ( Fat) की परत जम जाए तो भी फैटी लीवर की समस्या होने का डर बना होता है।
अगर पहले से ही लीवर में किसी प्रकार की कोई खराबी हो तो प्रेग्नेंसी के दौरान वायरल हेपेटाइटिस हो सकता है। समय पर इलाज नहीं होने पर लीवर को पूरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है।
दवाओं और विषाक्त पदार्थ- हम प्राय: सभी ब्लॉग में आपको ये सुझाव जरूर देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार की दवा का सेवन बगैर अपने डॉक्टर की सलाह के ना करें। कुछ दवाओं या विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने पर भी लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रेगनेंसी के समय फैटी लिवर की समस्या होने पर आपको कुछ संकेतों पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है जैसे कि पेट में दर्द होना, मतली या उल्टी होना, हर समय थकान महसूस होना। इसके अलावा अक्सर सिरदर्द की समस्या और पीलिया होने पर भी आपको सतर्क हो जाना चाहिए और तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
मतली और उल्टी- अगर आपको बार-बार मतली और उल्टी हो रही है तो इसको कतई हल्के में ना लें। सामान्य उपचार से भी अगर राहत नहीं मिल पा रहा हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
पेट के ऊपरी दाहिनी हिस्से में अगर तेज दर्द हो रहा है तो इसे नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए- पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में तेज दर्द होता है।
पीलिया- इस बीमारी के प्रमुख लक्षण होते हैं त्वचा और आंखों में पीलापन नजर आना। ये आपके लीवर के कमजोर हो रहे स्वास्थ्य की तरफ भी इशारा करता है।
थकान और कमजोरी- अगर बीते कुछ दिनों में आप कुछ ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस कर रही हैं तो फिर इसको आपको गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए
खून बहना- अगर मामूली खरोंच या कटने से भी ज्यादा समय तक खून बहने लगता है तो इस लक्षण पर भी ध्यान दें।
मानसिक स्वास्थ्य- अगर आप पिछले कुछ दिनों से भ्रम की स्थिति को महसूस कर रहे हैं या किसी काम को करने में आपका ध्यान केंद्रित नहीं हो पा रहा है तो इन लक्षणों पर भी गौर करें।
सूजन- अगर आप हाथ पैरों में सूजन महसूस कर रहे हैं तो आपको इसे ध्यान देना चाहिए
प्रेग्नेंसी के दौरान फैटी लिवर की स्थिति को लेकर आपके डॉक्टर क्या सुझाव दे रहे हैं इसको जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर वाकई में स्थिति गंभीर है तो डॉक्टर मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए भी कह सकते हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनको समुचित मेडिकल सुविधा मुहैया कराया जा सके।
डॉक्टर जिस किसी दवा के बारे में निर्देश दें उसका जरूर पालन करें, बिना डॉक्टर की सलाह के किसी प्रकार की दवा का सेवन नहीं करें। अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें और इस दौरान तेल मसालेदार खाना से बिल्कुल परहेज रखें।
प्रेग्नेंसी के दौरान एक्यूट फैटी लिवर में बच्चे की डिलीवरी कराकर मां की जान बचाई जा सकती है। एल्कोहलिक फैटी लीवर मुख्य तौर से मोटापे व जल्द प्रेग्नेंट होने के चलते होती है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर के चलते डायबिटीज होने की समस्या बन जाती है इसके साथ ही बच्चे के बड़े होने पर भी उसमें फैटी लिवर की समस्या बनी रह सकती है।
जीवनशैली में बदलाव - फैटी लिवर को आप लाइफस्टाइल बीमारियों की श्रेणी में भी रख सकते हैं इसलिए डॉक्टर आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव करने का सुझाव दे सकते हैं। शराब को तत्काल प्रभाव से बंद करना, स्वस्थ आहार लेने की आदत को विकसित करना, वजन को नियंत्रित रखना और प्रतिदिन एक्सरसाइज करने जैसी बातें आपको अपनी दिनचर्या में लाने की जरूरत है।
मोटापा होने पर बैरीयेट्रिक सर्जरी का भी विकल्प होता है
फैटी लिवर के इलाज में लापरवाही बरते जाने पर लिवर के फैलियर होने की संभावनाएं बन सकती है। इस परिस्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प होता है। लिवर ट्रांसप्लांट से पूर्व और बाद में अनेक प्रकार की सावधानियों को बरतना मरीज के लिए खास तौर पर जरूरी है।
प्रेग्नेंसी में लिवर खराब होने से प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। लिवर की खराबी के चलते महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा मासिक पीरियड और ओव्यूलेशन को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए स्वाभाविक तौर से गर्भधारण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अपने डॉक्टर का सुझाव अवश्य लें। इसके बावजूद भी सफल प्रेग्नेंसी के होने की संभावनाएं तब बन सकती है अगर प्रेग्नेंसी से पूर्व लिवर की समस्याओं का किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की निगरानी में अच्छे से इलाज किया जाए। कुछ गंभीर मामलों में प्रेग्नेंसी से पहले लिवर ट्रांस्पलांट या अन्य खास किस्म के उपाय करने के लिए बताए जा सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आप कुछ उपायों का पालन कर सकती हैं।
नियमित तौर पर देखभाल- अपने डॉक्टर के संपर्क में बने रहें और वे आपको जिस किसी प्रकार के जांच कराने को कहें उसे जरूर कराएं। कुछ भी ऐसे लक्षण जो आपको कुछ हटकर लगें उसके बारे में डॉक्टर से जरूर चर्चा करें।
स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं- प्रेग्नेंसी के दौरान अपने डाइट की रूटीन का अनुसरण करें। शराब तंबाकू और सिगरेट से दूरी बना लें। नियमित तौर पर शारीरिक गतिविधियों में खुद को सक्रिय बनाए रखें।
प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का उपचार कराएं
प्रेग्नेंसी के दौरान आपके डॉक्टर ने जिन दवाओं का सेवन करने के लिए कहा उसको सही समय पर लेते रहें।
ध्यान रहे कि गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों का ही स्वास्थ्य का सही रहना बहुत आवश्यक होता है। आंकड़ों के मुताबिक 3 से 10 फीसदी महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान लिवर से संबंधित समस्याएं होते हैं इसलिए ये जरूरी है कि आप इसको नजरंदाज नहीं करें और डॉक्टर का फीडबैक जाने पर ही किसी नतीजे पर पहुंचे।
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