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जानिए क्या है मल्टीपल बर्थ और उसके नुकसान?

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स्पर्धा रानी

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2 years ago

जानिए क्या है मल्टीपल बर्थ और उसके नुकसान?
गर्भावस्था के दौरान जोखिम

पिछले महीने पाकिस्तान से एक खबर आई थी, जिसमें पता चला कि एक महिला ने एक बार में ही छह बच्चों को जन्म दिया। यह एक असामान्य घटना थी, जिसमें एक बच्चे की मृत्यु तुरंत हो गई और बाकी पांच बच्चों को बच्चों के स्पेशल हॉस्पिटल में ट्रांसफ़र कर दिया गया था। लेकिन अगले दिन उन पांचों बच्चों की भी मृत्यु हो गई। बच्चों के हॉस्पिटल के अनुसार, ये सभी सेक्सटूपलेट्स प्रीमैच्योर होने के साथ ही बहुत कम वजन के थे। डॉक्टर के अनुसार, यह मल्टीपल बर्थ से जुड़ा था। आज इस ब्लॉग में जानते हैं कि क्या है  मल्टीपल बर्थ और इसके नुकसान क्या हो सकते हैं। 

क्या है मल्टीपल बर्थ - What is multiple birth in hindi 

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    यदि कोई महिला एक से ज्यादा बच्चे को जन्म देती है, तो उसे मल्टीपल बर्थ कहा जाता है। दो बच्चे साथ में जन्म लेते हैं, तो उन्हें ट्विन्स यानी जुड़वां कहा जाता है। यदि टीन बच्चे एक साथ जन्म लेते हैं, तो उन्हें ट्रिपलेट्स कहा जाता है। इन दिनों मल्टीपल प्रेग्नेंसी और मल्टीपल बर्थ आम होता जा रहा है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं फर्टिलिटी इलाज करवा रही हैं और अधिक उम्र में प्रेग्नेंट हो रही हैं। पाकिस्तान में छह बच्चों का एक साथ जन्म हुआ था, तो उन्हें सेक्सटूपलेट्स कहा गया। 

    क्या है मल्टीपल बर्थ के नुकसान - What are the side effects of multiple births in hindi

    संभावित मल्टीपल बर्थ के बारे में पता तभी चल जाता है, जब प्रेग्नेंसी में अल्ट्रासाउन्ड कराया जाता है। इस टेस्ट के दौरान यूटरस के अंदर की इमेज को देखकर पता चल जाता है कि गर्भ में कितने बच्चे हैं। यूं तो प्रेग्नेंसी में कई बार कॉम्प्लिकेशन होते ही हैं लेकिन बात जब मल्टीपल प्रेग्नेंसी और मल्टीपल बर्थ की आती है, तो ये जोखिम कई गुणा अधिक बढ़ जाते हैं। आइए विस्तार से मल्टीपल बर्थ के नुकसान के बारे में जानते हैं। 

    • समय से पहले बच्चों का जन्म - Premature birth of babies : मल्टीपल बर्थ का सबसे आम कॉम्प्लिकेशन समय से पहले लेबर का होना है। आंकड़ों के अनुसार, मल्टीपल बर्थ के मामले में लेबर 37 हफ्तों से पहले ही हो जाता है। यदि बच्चे प्रीमैच्योर जन्म लेते हैं, तो उनका वजन बहुत कम रहता है, जो अपने आपमें एक बड़ा जोखिम है। 
       
    • जेस्टेशनल हाइपरटेंशन - - Gestational hypertension : हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन कहा जाता है। जब यह प्रेग्नेंसी के दौरान होता है, तो इसे प्रीक्लैंपसिया कहा जाता है। यह खतरा मल्टीपल प्रेग्नेंसी और मल्टीपल बर्थ वाली महिलाओं को ज्यादा राहत है। 
       
    • जेस्टेशनल डायबिटीज - Gestational diabetes : मल्टीपल बर्थ के समय प्लैसेंटा का साइज और उससे निकलने वाले हार्मोन की मात्रा भी बहुत बढ़ जाती है। ऐसे में डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है। 
       
    • फ़ीटल ग्रोथ रीस्ट्रिक्शन - Foetal growth restriction : इस कंडीशन को इंट्रायूटरीन ग्रोथ रीस्ट्रिक्शन (intrauterine growth restriction) यानी आईयूजीआर भी कहा जाता है। यह कंडीशन तब होती है, जब गर्भ में पल रहा एक या ज्यादा बच्चा सही तरह से विकसित नहीं हो रहा होता है। इसकी वजह से बच्चों का जन्म समय से पहले और कम वजन में हो जाता है।
       
    • सीजेरियन सेक्शन - Caeserean section : मल्टीपल बर्थ बिना सी सेक्शन के लगभग असंभव है। सी सेक्शन से बच्चों के जन्म के बाद मां को रीकवर होने में ज्यादा समय लगता है और लेबर के दौरान भी जोखिम बना रहता है। 
       
    • मिसकैरिज - Miscarriage : मल्टीपल बर्थ में मिसकैरिज का खतरा कई गुणा ज्यादा बढ़ जाता है। कई मालों में एक या जीतड़ बच्चे गर्भ के अंदर ही दम तोड़ देते हैं और इसके बारे में लंबे समय तक पता भी नहीं चलता है, जब तक कि अल्ट्रासाउन्ड ना कराया जाए। 
       
    • प्रीमैचोरिटी का खतरा - Complications of prematurity : मल्टीपल बर्थ के दौरान बच्चों को भी कड़ी तरह की समस्याएं होने का जोखिम बना रहता है। अपरिपक्व फेफड़ों की वजह से बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। उन्हन पेट और इंटेस्टाइन ट्रैक्ट समबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, ब्रेन से खून बहना और ब्रेस्टफीडिंग की समस्या भी हो सकती है। कुछ बच्चों में लर्निंग डिसएबिलिटी भी देखा गया है। 

    मल्टीपल बर्थ में प्रेग्नेंट महिला एक से ज्यादा बच्चों को जन्म देती है, जिसमें ट्विन्स से लेकर ट्रिपलेट्स, सेक्सटूपलेट्स भी शामिल हैं। इसके नुकसान के तौर पर ना सिर्फ मां बल्कि बच्चों को भी कई जोखिम रहते हैं, जिसमें प्रीमैच्योर बर्थ, जेस्टेशनल डायबिटीज, मिसकैरिज, प्रीमैचोरिटी का खतरा शामिल है।

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