Numerology की मदद से कैसे ...
आपके घर में नन्हे मेहमान ने दस्तक दे दी है, शिशु की किलकारियां घर में गूंजने लगी है। परिवार के सभी सदस्य और आपके दोस्त व करीबी लोग बधाई दे रहे हैं लेकिन आपके दिमाग में अब बस एक ही बात चल रही है कि आखिर अपने शिशु का नामकरण क्या करें? हर कोई अपने-अपने तरीके से आपको नाम भी सुझा रहे होंगे और आप यकीनन बच्चे के नाम (Baby Name) को लेकर मंथन में जुटे होंगे। बच्चे के नाम को चयन करने से पहले कई बातों का ध्यान रखा जाता है और उसमें अंक शास्त्र यानि न्यूमेरोलॉजी (Numerology) का भी प्रमुख स्थान है। आज हम आपको इस ब्लॉग में अंक शास्त्र यानि Numerology के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं और Numerology की मदद से कैसे आप अपने बच्चे के लिए सही नाम का चयन कर सकते हैं इसके बारे में भी आपको बताने जा रहे हैं।
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अंक शास्त्र भी एक विज्ञान है जिसमें अंकों की मदद से नाम का चयन किया जाता है। गणित के कुछ नियमों का प्रयोग कर व्यक्ति के जीवन के अलग-अलग पहलुओं का आंकलन कर उनके व्यक्तित्व व कार्यक्षेत्र को लेकर अनुमान लगाए जाते हैं। अंक शास्त्र के मुताबिक जन्म तिथि व जन्म वर्ष के आधार पर मुलांक निकाला जाता है और फिर उसके आधार पर सही नाम का चयन किया जाता है।
अंक शास्त्र का प्रयोग सबसे पहले मिस्र में आज से तकरीबन 10 हजार साल पहले किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। मिस्र के प्रसिद्ध गणितज्ञ पाइथागोरस ने अंकों के महत्व के बारे में दुनिया को जानकारी दी थी। पाइथागोरस ने कहा था कि अंक यानि Numbers ही इस ब्रम्हांड पर राज करते हैं यानि हमारे जीवन में भी अंकों का अत्यधिक महत्व है।
भारत में प्राचीन ग्रंथ स्वरोदम शास्त्र के माध्यम से भी अंक शास्त्र के विशिष्ट उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। अब तक मिल रहे साक्ष्यों के मुताबिक मिस्र की जिप्सी जनजाति का सबसे अत्यधिक योगदान रहा है।
मूल अंक 1 से लेकर 9 माने गए हैं और इन सभी अंकों को किसी ना किसी ग्रह का प्रतीक माना गया है। भारतीय सनातन संस्कृति के मुताबिक सौर मंडल में 9 ग्रहों की परिकल्पना की गई है और इन सभी ग्रहों के लिए 1 अंक निर्धारित किए गए हैं।
अंक शास्त्र की गणना के आधार पर व्यक्ति की सोच, तर्क शक्ति, स्वास्थ्य की स्थिति और करियर को लेकर अनुमान लगाने का दावा किया जाता है।
किसी व्यक्ति की जन्म तिथि को जोड़ने से जो अंक प्राप्त होता है उसे ही उस व्यक्ति का मूलांक कहा जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति की जन्म तारीख 25 है तो 2+5= 7, अगर किसी व्यक्ति की जन्म तारीख 10 है तो उसका मूलांक 1+0=1 मूलांक हुआ। अगर किसी की जन्मतिथि 23 तारीख है तो 2+3=5 तो 5 मूलांक हुआ।
मूलांक के अलावा अंक शास्त्र में भाग्यांक का भी बहुत महत्व होता है। भाग्यांक यानि कि किसी व्यक्ति की जन्मतिथि, जन्म मास और जन्म के साथ को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होते हैं उसे उस व्यक्ति का भाग्यांक माना जाता है। अब उदाहरण के लिए इसको ऐसे समझें, अगर किसी बच्चे का जन्म 30 जून 2021 है तो उस बच्चे का भाग्यांक 3+0+0+6+2+0+2+1 = 9 हुआ। एक और उदाहरण देना चाहूंगा ताकि आपको भाग्यांक समझने में किसी प्रकार की कठिनाई ना हो, अगर किसी बच्चे का जन्म 25 मई 2021 है तो उस बच्चे का भाग्यांक 2+5+0+5+2+0+2+1= 17, 1+7= 8 यानि कि इस बच्चे का भाग्यांक 8 हुआ।
अंक शास्त्र में नामांक का अत्यधिक महत्व होता है। किसी बच्चे के नाम से जुड़े अक्षरों को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है उसे ही उस बच्चे का नामांक माना जाता है। इसको भी आप इस उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। अब मान लीजिए कि किसी बच्चे का नाम RAM है तो अंग्रेजी वर्णमाला के मुताबिक जो नंबर इन अक्षरों का आता है उसको जोड़ने के बाद नामांक निकाल सकते हैं। R का स्थान अंग्रेजी वर्णमाला में 18वें नंबर है यानि कि 18, 8+1= 9+(A) 1+ M (13, 1+3), 9+1+4= 14= 1+4= 5 यानि कि जिस बच्चे का नाम RAM है तो उसका नामांक 5 होगा। अब इस गणना के आधार पर आप अपने बच्चे का नामांक भी आसानी से जान सकते हैं।
हर अक्षर से जुड़े अंक का विवरण निम्नलिखित है :
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z
1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9
यहां क्लिक करें: बच्चे के लिए सर्वष्ठ नाम का चयन कैसे करें?
अब जैसा कि आप समझ चुके होंगे कि बच्चे का मूलांक और भाग्यांक ये दोनों ही उसके जन्म तिथि के आधार पर निकाले जाते हैं और इसे आप यकीनन किसी भी हालत में बदल नहीं सकते हैं। अंक शास्त्र की मान्यताओं के आधार पर अगर किसी का नामांक उसके मूलांक और भाग्यांक से मेल खाता है तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में सफलताएं हासिल हो सकते हैं। आप बच्चे का मूलांक और भाग्यांक तो नहीं बदल सकते हैं लेकिन नामांक यानि नाम के अंक को तो अपनी इच्छा के मुताबिक रख सकते हैं।
अंकशास्त्र को अंकों का विज्ञान कहा गया है और हमारे दिनचर्या में अंकों का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष, महीना, तिथि, घंटा, मिनट और सेकेंड की गणना अंकों के आधार पर ही की गई है और हम अपना नियमित रूटीन भी अंकों के आधार पर ही तो तय करते हैं। हमारे भविष्य की योजनाएं भी तो अंकों के आधार पर ही तो तय होते हैं। किसी बच्चे का एडमिशन भी अंकों के आधार पर होता है और बच्चे को परीक्षा में मिले अंक के आधार पर ही अगली कक्षा में नामांकन होते हैं। नौकरी में भी प्राप्तांकों का महत्व होता है। काम-काज के दौरान हमारे लक्ष्य भी अंकों के आधार पर ही तय किए जाते हैं यानि कि कुल मिलाकर अंकों के बगैर हमारे जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।
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