किशोरावस्था की उम्र में ब ...
इंटरनेट की सर्वसुलभता के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन इसके साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। इंटरनेट पर आप जो कुछ भी सर्च करते हैं उससे संबंधित कंटेंट आपको आसानी से मिल जाते हैं। इंटरनेट ने हमारी जिंदगी को आसान कर दिया है, दूसरे शब्दों में कहें तो इंटरनेट के बगैर आप एक दिन भी बड़ी मुश्किल से काट पाएंगे। इंटरनेट ने बच्चों की पढ़ाई लिखाई को भी बहुत मदद पहुंचाया है और तमाम प्रकार के कोर्स मेटेरियल और ऑनलाइन क्लासेज के फायदों से हम सभी भली भांति परिचित है। लेकिन इसके साथ ही क्या हमारे बच्चे इंटरनेट का सिर्फ सदुपयोग कर रहे हैं या दुरुपयोग कर रहे हैं ये जानना भी बहुत जरूरी है। इंटरनेट पर जहां पाठ्य सामग्री उपलब्ध हैं वहीं पॉर्न साइट्स और अश्लील कंटेंट की भी बहुतायत है। किशरावस्था में बच्चों के पॉर्न एडिक्टेड होने के ज्यादा चांसेंज होते हैं, कैसे पता करें कि बच्चा पॉर्न देखने का लती हो चुका है और पॉर्न साइट देखने की लत को कैसे छुड़ाएं इसके बारे में ही हम इस ब्लॉग में विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं।
अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस युग में इंटरनेट गांव-गांव में उपलब्ध हो गया है और ऐसे में ज्यादा संभावनाएं इस बात को लेकर भी है कि किशोरावस्था की उम्र के बच्चों के लिए पॉर्न फिल्मों तक पहुंचना काफी आसान हो गया है। अक्सर अपने दोस्तों के उकसाने या खुद को बड़ा और परिपक्व साबित करने के कारण भी किशोर बच्चे पॉर्न देखने के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार में छपे एक लेख में मां ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उसके 11 साल के बच्चे ने एक पॉर्न फिल्म देख ली। इस फिल्म को देखने के बाद के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को बताते हुए महिला कहती हैं कि उनका बच्चा अब उखड़ा-उखड़ा रहने लगा है। बच्चा पहले की तुलना में ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है और वो अब छोटी बातों पर भी गुस्सा दिखाने लगा है।
हम आपको बता दें कि इंग्लैंड का ‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ हेड टीचर्स’ ने सिलेबस में पॉर्न फिल्मों के असर को शामिल करवाना चाहते हैं। इस संस्था का मानना है कि बच्चे को 10 साल की उम्र से ही सेक्स के बारे में सकारात्मक और सही जानकारी दी जाए। संस्था मानती है कि ऐसा करने से बच्चे को असुरक्षित और विकृत सेक्स की पहचान करने और उससे बचने के बारे में भी जानकारी दी जा सकती है।
‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ हेड टीचर्स नामकी संस्था ने एक सर्वे का हवाला देते हुए जानकारी दी की हर सेकेंड कम से कम 30 हजार लोग पॉर्न साइट देखते हैं। इंटरनेट पर होने वाले सर्च में 25 फीसदी पॉर्न से संबंधित सामग्रियां होते हैं।
बीबीसी में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक किशोरावस्था में पॉर्न कंटेंट देखने का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि सेक्स को लेकर उनके मन में कई प्रकार की भ्रांतियां पैदा हो रहे हैं। आने वाले दिनों में पेरेंट्स और अभिभावकों के लिए ये परेशानी का सबब बन सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 में यूरोप में किए गए एक सर्वे के मुताबिक 9 से 16 साल की उम्र के एक तिहाई बच्चों ने पॉर्न से संबंधित सामग्रियां देख चुके थे।
किशोरावस्था में कदम रखते ही लड़के और लड़कियों में शारीरिक मानसिक और व्यवहारिक बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। पॉर्न से संबंधित सामग्रियों को देखकर वे कई प्रकार की गलत धारणाएं भी बना लेते हैं।
कुछ परिस्थितियों में ऐसा भी देखने को मिलता है कि पॉर्न साइट्स देखने के लती शारीरिक और मानसिक तौर पर बीमार होने लगते हैं।
अपने देश में पॉर्न फिल्में दिखाने वाले कई सारे वेबसाइट्स पर बैन लगा दिया गया था लेकिन इसके बावजूद कुछ फेरबदल के साथ ये फिर से उपलब्ध हो जाते हैं। सर्वे में ये भी पाया गया है कि ज्यादातर लड़के व लड़कियां मोबाइल पर ही पॉर्न साइट्स देखते हैं। कुछ परिस्थितियों में ये भी देखा गया है कि वीडियो डाउनलोड करने के बाद सीडी की मदद से भी लैपटॉप पर देखते हैं।
क्रोम ब्राउजर में जाकर सेटिंग में जाएं। इसमें स्क्रॉल करके नीचे जाएं और साइट सेटिंग ऑप्शन पर टैप करें। यहां अगर कुकीज ऑप्शन ऑफ है तो इसे ऑन कर दें। इसके बाद सर्च हिस्ट्री डिलीट होने के बाद भी आपको ब्राउज की गई साइट्स के बारे में पता चल जाएगा।
क्रोम ब्राउजर या फायरफॉक्स यूज करते हैं तो प्राइवेसी ऑप्शन में जाकर रिमूव इंडिविजुअल कुकीज पर क्लिक करके ब्राउजिंग हिस्ट्री चेक कर सकते हैं।
प्ले स्टोर में कीलॉगर, किड्स पैलेस पैरेंटल कंट्रोल, पैरेंटल कंट्रोल एंड डिवाइस मॉनिटर आदि कई ऐसे एप्स हैं, जिनसे आप किसी की इंटरनेट सर्च पर नजर रख सकते हैं।
पेरेंट्स को अगर ये पता चल जाए कि उनका बच्चा छुपकर पॉर्न फिल्में देखता है तो उनके साथ जोर जबरदस्ती, डांटना फटकारना या मारपीट ना करें।
- अभिभावक बच्चों से खुलकर बात करें
- उनके लिए समय निकालें, उनकी दिनचर्या जानें
- इस उम्र में हारमोन्स में बदलाव आते हैं, यह उन्हें समझाएं
- हस्तक्षेप न करें, लेकिन उनका दोस्तों का सर्किल कैसा है यह जानें
- कुछ गलत लगे तो प्यार से समझाएं, डांटें नहीं
सबसे जरूरी बात की आप अपने बच्चे की काउंसलिंग करवाने पर फोकस करें। स्थानीय अस्पतालों में या किसी मनोविज्ञान विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं। आप अपने बच्चे को प्यार से समझाने का प्रय़ास करें और उनको कहें कि पॉर्न फिल्में देखने की लत भी एक बीमारी या नशे के समान है। अपनी बातें उनसे खुलकर शेयर करें और उनको भी खुलकर बातचीत करने का अवसर प्रदान करें।
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