नार्मल डिलीवरी चाहती हैं तो इन आसान योगासन को जरूर करें

नार्मल डिलीवरी, सिजेरियन डिलीवरी की तुलना में आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए बहुत ही अच्छी होती है। नार्मल डिलीवरी में महिला चालीस दिनों के बाद रिकवर हो जाती है, जबकि सिजेरियन डिलीवरी में छ: महीनो का टाइम लग जाता है। नार्मल डिलीवरी के विपरीत सिजेरियन डिलीवरी महिला के शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। पर नार्मल डिलीवरी हो इसके लिए आप क्या कर सकती है। इसके लिए आप एक बहुत ही बेहतर उपाय योगासन कर सकती है। योगासन करने से आपका और आपके शिशु दोनों का शरीर स्वस्थ होगा और आप एक स्वस्थ बच्चे को नार्मल डिलीवरी से जन्म दे पाएंगी। प्रेगनेंसी में योगासन एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपके गर्भाशय की मॉस-पेशियों को नार्मल डिलीवरी प्रोसेस के लिए तैयार करती है। प्रेगनेंसी के दौरान योगासन करने से आप डिलीवरी के बाद भी जल्दी रिकवर हो जाती है। इसे करने से आपके हिप मसल्स में फ्लेक्सिबिल्टी आती है जो नार्मल व आसन डिलीवरी में सहायक होती है और कमर दर्द में भी राहत मिलती है। तो आईये आज हम आपको कुछ ऐसे आसन बताते है जो नार्मल डिलीवरी में काफी मददगार होते है। पर इन्हें करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से सलाह जरुर ले। क्योकि सबकी फिजिकल कंडीसन अलग-अलग होती है।
नार्मल डिलीवरी के लिए योग विशेषज्ञ की सलाह के बाद करें ये योग / Yoga for the normal delivery in Hindi
- सहज पछिमोत्तानासन: इस आसन को करने के लिए पैर सीधे करके बैठ जाये और पंजो में हलकी दुरी रखें। अब गहरी साँस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठायें और साँस को छोड़ते हुए पंजो को छूने की कोशिश करें। ज्यादा स्ट्रेस ना ले और साँस सामान्य कर ले। मन में दस तक गिने और फिर सीधे अवस्था में आ जाएँ। इस आसन को आप एक दिन में ज्यादा से ज्यादा सिर्फ तीन बार करें। इस आसन से गर्भावस्था के दौरान रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और कमर दर्द कम होता है। इस आसन को करने से तनाव भी कम होता है और मॉस-पेशियाँ भी मजबूर होती है।
- सहज वक्रासन: इस आसन को करने से पहले आप पदमसान, अथ पद्मसान, या सुखासन में बैठ जाएँ। कमर सीधी रखें। दाई हथेली को बाएं घुटने पर रखते हुए गहरी साँस ले। फिर साँस को छोड़ते हुए बाएं हाथ को कमर पर रखकर बायीं ओर मुडे। इस अवस्था में दस तक गिनती गिने और सामान्य अवस्था में आ जाएँ। अब इसी प्रक्रिया को बायीं हथेली और दाई हथेली से भी दोहराए। इस आसन से कमर की मांसपेशिया और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। इसके आलवा ये आसन गर्भवस्था में शुगर के स्तर को सामान्य रखता है।
- भद्रासन: इस आसन में जमींन पर बैठकर पैर के दोनों तलवों को आपस में मिला ले। अब पैरो को शरीर के नजदीक लाने की कोशिश करें। जितना स्ट्रेच कर सकते है करें। पर शरीर पर ज्यादा जोर ना डालें। आप चाहे तो हाथों की सहायता से पैर के तलवों को जोड़ कर रखें। अब हाथों को घुटनों पर रखें। और गहरी साँस ले। ये आसन गर्भावस्था के दौरान युट्रेसीयस की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। और कमर को मजबूत करता है।
- प्राणायाम: गर्भावस्था में प्राणायाम आपके और आपके शिशु के स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है। जब सांस लेते हैं तो भीतर जा रही हवा या वायु पांच भागों में विभक्त हो जाती है या कहें कि वह शरीर के भीतर पांच जगह स्थिर हो जाती है। पांच भागों में गई वायु पांच तरह से फायदा पहुंचाती है, लेकिन बहुत से लोग जो श्वास लेते हैं वह सभी अंगों को नहीं मिल पाने के कारण बीमार रहते हैं। प्राणायाम इसलिए किया जाता है ताकि सभी अंगों को भरपूर वायु मिल सके, जो कि बहुत जरूरी है
- अनुलोम-विलोम: गर्भावस्था में अन्लोम-विलोम करना बहुत ही फायदेमंद होता है। इस आसन को आराम-आराम से करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान इस आसन को करने से माँ की कई समस्याए अपने आप ही दूर हो जाती है।
- पैदल चलना: गर्भावस्था के दौरान पैदल चलना, टहलना माँ और होने वाले शिशु के लिए बहुत ही अच्छा रहता है। पैदल चलने से ब्लड प्रेसर भी नियंत्रित रहता है। और अत्यधिक फैट शिशु पर जमा नहीं होने पाती जिससे शिशु के ओवरवेट होने का खतरा कम रहता है। पैदल चलने से पैरो में सुजन की समस्या से भी राहत मिलती है।
नार्मल डिलीवरी चाहते है तो योगासन है एक बहुत ही बेहतर उपाय। इससे आपका और आपके शिशु का स्वास्थ भी अच्छा होगा लेकिन आप ये आसन करते समय किसी योग टीचर की देख-रेख में रहें। ताकि आसन करते समय आपको कोई भी दिक्कत ना हो।
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