न्यूमोकोकल वैक्सीन (pneum ...
इस बार के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि न्यूमोकोकल वैक्सीन (pneumococcal vaccine) को पूरे देश में लागू किया जाएगा। वित्त मंत्री ने जानकारी देते हुए ये भी बताया कि इस टीकाकरण के लागू होने से प्रत्येक साल 50 हजार बच्चों की जान बचाई जा सकेगी। अब हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताएंगे कि न्यूमोकोकल वैक्सीन क्या है और ये वैक्सीन बच्चे के लिए क्यों जरूरी होता है।
निमोनिया (pneumonia) नाम की बीमारी के बारे में आपने तो जरूर सुना होगा। न्यूमोकोकल वैक्सीन एक खास किस्म के फेफड़े के संक्रमण जिसको निमोनिया भी कहते हैं के रोकने की एक विधि है। मुख्य रूप से ये बीमारी न्यूमोकोकस नाम के जीवाणु के चलते होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि न्यूमोकोकस नाम के जीवाणु के कुल 80 प्रकार होते हैं जिनमें से 23 को इस वैक्सीन के द्वारा ठीक किया जा सकता है। छींकने, सांस लेने या खांसने के दौरान इस बैक्टीरिया के फैल जाने का खतरा होता है और ये हवा के माध्यम से संक्रमित कर सकता है।
जैसा कि हमने आपको पहले ही बता दिया कि न्यूमोकोकल संक्रामक बीमारी है और ये बहुत आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में निमोनिया के चलते 1 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई थी। 5 साल से कम उम्र के बच्चे की मृत्यु होने के प्रमुख वजहों में निमोनिया एवं डायरिया होते हैं। इसलिए ये बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को न्यूमोकोकल वैक्सीन जरूर करवाएं।
आप इस बात को भली भांति जानते होंगे कि कोई भी दवा या वैक्सीन को लेकर कुछ सीमाएं अवश्य तय की जाती है कि किसको कब कितनी मात्रा में खुराक लेने की आवश्यकता है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों को ये वैक्सीन दिया जाता है और फिर 65 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को भी न्यूमोकोकल वैक्सीन दिया जा सकता है।
2 साल से कम उम्र के शिशुओं को न्यूमोकोकल वैक्सीन की 4 खुराक दी जाती है।
न्यूमोकोकल वैक्सीन की पहली खुराक शिशु को 2 महीने की उम्र में, दूसरी खुराक 4 महीने की उम्र में, तीसरी डोज 6 महीने के होने पर और चौथी खुराक 12 से 15 महीने के बीच में दी जाती है।
65 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को न्यूमोकोकल वैक्सीन की एक डोज दी जाती है।
2 साल से 64 साल के बीच के लोगों को उनकी मेडिकल कंडीशन को देखते हुए डॉक्टर वैक्सीन दे सकते हैं।
हम आपको बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा पुणे स्थितर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा विकसित की गई न्यूमोककल वैक्सीन को शुरूआती दौर की मंजूरी मिल गई है।
न्यूमोककस जीवाणु की चपेट में आने पर निमोनिया, कान में संक्रमण(बहरापन), दिमागी बुखार, साइनस, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां के होने का खतरा बन सकता है।
2 2 साल से कम और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को
धूम्रपान करने वालों को या धूम्रपान करने वालों के आसपास रहने वालों को
प्रदूषित इलाके में रहने वालों को
गंदगी वाले घर में रहने वाले लोगों को
अस्थमा, सांस की बीमारी, डायबिटीज के मरीजों को
शराब पीने वालों को या एचआईवी से संक्रमित लोगों को
बचाव के लिए सबसे बेहतरीन उपाय (Prevention of pneumonia)यही है कि आप डॉक्टर की सलाह के मुताबिक वैक्सीनेशन जरूर करवाएं, अपने घर के अंदर और बाहर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, ये प्रयास रखें कि आपके घर में नमी ना हो, प्रदूषण ना हो और वेंटिलेशन का भी भरपूर ध्यान रखें।
डॉ. राकेश तिवारी के मुताबिक टीकाकरण कराकर इनसे काफी हद तक बचा जा सकता है। टीकाकरण करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है और कई खतरनाक बीमारियों और संक्रमण से बच्चे की सुरक्षा भी होती है।
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