मन को शांत रखने क लिए योग ...
गर्भावस्था ऐसा समय होता है जब शरीर में सबसे ज्यादा हार्मोंस में बदलाव आता है। आने वाले बच्चे को लेकर माँ बहुत खुश रहती है, पर उसके लिए प्रेगनेंसी का समय बहुत ही तनावपूर्ण भी होता है। जब आप पहली बार माँ बनने वाली होतीं है, तब तो यह तनाव दोगुना रहता है। ऐसे में आपकी और बच्चे की अच्छी सेहत के लिए मन का शांत रहना बहुत जरुरी है ,योग के जरिये ना केवल मन शांत और तनाव दूर होता है, बल्कि प्रसव के दौरान होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। योग आसन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
कौन से महीने में कौन से योगा करे-- गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान खड़े रहने वाले कुछ योगासन करने चाहिए क्योंकि यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं,शरीर में अच्छे से रक्त का संचार करते हैं, ऊर्जा प्रदान करते हैं और पैरों में होने वाली अकड़न व सूजन को भी दूर करते हैं|गर्भावस्था के बीच के तीन महीनों के दौरान, थका देने वाले, ज्यादा फुर्तीले आसन नहीं करनी चाहिए| बीच के तीन महीनों के दौरान प्राणायाम व ध्यान पर ज्यादा समय लगाना चाहिए। गर्भावस्था के १०वे से १४वे हफ्ते तक कोई भी योगासन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह समय गर्भावस्था का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। ध्यान दें आप उतना ही करें जितना आप सहजता से कर सकें|
शवासन –गर्भावस्था के दौरान शवासन करने महिलाओं को मानसिक शांति मिलती है|यह एक बेहतरीन प्रेगनेंसी योगा है| इस आसन की खासियत यह है की इसे करने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छी तरह होता है। इस आसन को करने के लिए बिस्तर पर सीधा लेट जाएं और अपने हाथ और पैरो को खुला छोड़ दें। फिर पूरी तनावमुक्त हो जाएं और धीरे-धीरे लंबी सांस ले और छोड़ें।
पर्वतासन -- गर्भावस्था में पर्वतासन करने से कमर के दर्द से निजाद मिलती है| इसे करने से आगे चलकर शरीर बेडौल नहीं होता है| इस आसन को करने के लिए सर्व प्रथम सुखासन में आराम से बैठे। इस वक्त आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए|अब सांस को भीतर लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों को नमस्ते की मुद्रा में जोड़ लें। कोहनी सीधी रखें। कुछ समय के लिए इसी मुद्रा में रहें और उसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं। इस आसन को दो या तीन से ज्यादा ना करे|
उष्ट्रासन – इस आसन को नियमित रूप से करने पर रीढ़ की हड्डी में मजबूती आती है| इसे करने से खून का प्रवाह सुचारू होता है और एनर्जी का लेवल भी बढता है।उष्ट्रासन करने के लिये जमीन पर दरी बिछाकर घुटनों के बल खड़े हो जाएं| अब अपने दोनों घुटनो को मिलाकर एवं एड़ी और पंजों को मिलाकर रखें। इसके पश्चात सांस को अंदर खींचते हुए धीरे-धीरे शरीर को पीछे की और झुखाये| अब दोनो हाथों से दोनो एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें। इस स्थिति में ठोड़ी ऊपर की ओर करके रखें और गर्दन को सीधा रखें| आपके दोनो हाथ भी सीधे होने चाहिए|सांस लेते हुए इस स्थिति में 30 सैकेंड से 1 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
अनुलोम विलोम – गर्भावस्था में अनुलोम विलोम आसन करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। इसे करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है| प्रेगनेंसी में तनाव रहित रहने के लिए इस आसन को जरूर करना चाहिए|इस आसन को करने के लिए सबसे पहले तो सुखासन में बैठे। इसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे से नाक का दाया छिद्र बंद करें और अपनी सांस अंदर की ओर खींचे। फिर उसी हाथ की दो उंगलियों से बाईं ओर का छिद्र बंद कर दें और अंघूटे को हटाकर दाईं ओर से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को फिर नाक के दूसरे छिद्र से दोहराएँ।
तितली आसन –तितली आसन को गर्भावस्था के तीसरे महीने से कर सकते है| शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए यह आसन किया जाता है| इसे करने से शरीर के निचले हिस्से का तनाव खुलता है| तितली आसन करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर मोड़कर, तलवे मिला लें, यानी पैरों से नमस्ते की मुद्रा बननी चाहिए। इसके पश्चात दोनों हाथों की उंगलियों को क्रॉस करते हुए पैर के पंजे को पकड़ें और पैरों को ऊपर-नीचे करें। आपकी पीठ और बाजू बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। इस क्रिया को 15 से अधिक बार ना करे|
Be the first to support
Be the first to share
Comment (0)