संक्रमित पोलियो ड्रॉप: ...
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। केंद्र सरकार की तरफ से रोक के बावजूद भी गाजियाबाद की बायोमेड कंपनी से बनी संक्रमित पोलियो वैक्सीन (contaminated polio vaccine) देश के 10 राज्यों के तकरीबन 1 करोड़ बच्चों को पिला दी गई। 10 सितंबर 2018 को केंद्र सरकार की तरफ से जारी किए गए निर्देश के बावजूद राज्य सरकारें इस पर रोक नहीं लगा पाईं। संक्रमित पोलियो ड्रॉप पीने वालों में यूपी के ही 1 लाख बच्चे शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में सीएचसी-पीएचसी और अन्य सेंटरों में सप्लाई हो गई और बच्चों को धड़ल्ले से संक्रमित पोलियो की ड्रॉप (infected polio vaccine) पिलाई जा रही थी। हम आपको बता दें कि सितंबर में मिर्जापुर के कई बच्चों में टाइप-2 वायरस मिला था। मिर्जापुर में 5 अगस्त को पोलियो की वैक्सीन पिलाई गई थी। इसके बाद 7 अगस्त को एक बच्चे के पैरों में दिक्कत आई तो उसके बाद बच्चे के शौच के नमूने की जांच कराई गई। इसमें वायरस का पता चला। इसके बाद गाजीपुर एवं अन्य जिलों में भी केंद्रीय औषधि विभाग की तरफ से जांच की गई। इस जांच में भी पी-2 वायरस की पुष्टि की गई। वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, मऊ, इलाहाबाद, जौनपुर, आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ के अलावा अन्य कई जिलों में भी बच्चे प्रभावित थे। अब इस मामले के सामने आने के बाद से पूरे राज्य से इन दवाओं को वापस मंगाया जा रहा है।
Check This: Next Polio Vaccination Date in 2018
प्रतिरक्षण कार्यक्रम के डीसी डॉ. प्रदीप हलधर ने 3 अक्टूबर को सभी राज्यों के एनएचएम मिशन निदेशकों को पत्र लिखकर इस बारे में फिर अलर्ट किया। डॉ प्रदीप हलधर ने अपने पत्र में लिखा है कि गाजियाबाद की बायोमेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की पोलियो ऑरल वैक्सीन (Polio oral vaccine) का प्रयोग तत्काल रोक दिया जाए। इस संबंध में 10 सितम्बर 2018 को भी एक निर्देश ईमेल के जरिए भेजा गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि बैच नंबर बी-100318 की वैक्सीन को मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया है। इसके अलावा बैच नंबर बी-100218 और बी-100418 भी इसी श्रेणी में हैं। इन्हें राज्यों को भेजा गया है। डीसी प्रतिरक्षण ने निर्देशित किया है कि यदि संबंधित राज्यों में इन बैच के पोलियो वैक्सीन हैं तो उन्हें तत्काल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सूचित करें। साथ ही इनका प्रयोग किसी भी हाल में न होने पाए। संक्रमित बैच वाली दवाओं की खेप यूपी के अलावा आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, महाराष्ट्र समेत कुल 10 राज्यों में पहुंचाई गई थी।
इस पूरे मामले की जांच की जा रही है। जांच का सबसे प्रमुख पहलू ये है कि जब साल 2016 में ही इस वायरस को खत्म कर दिया गया और लैब से भी इसको खत्म करने के निर्देश थे तब इस कंपनी की लैब में ये वायरस कैसे रह गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा- वैक्सीन से संक्रमण का खतरा नहीं
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दावा किया जा रहा है कि इस पोलियो वैक्सीन(polio vaccine) से किसी प्रकार के संक्रमण होने का खतरा नहीं है। यह बेहद कमजोर किस्म का वायरस है और जिन क्षेत्रों में ये दवा पिलाई जा चुकी है वहां ऐहतियात के तौर पर बच्चों को पोलियो ड्रॉप दी जा चुकी है। फिलहाल कंपनी की तमाम वैक्सीन को वापस मंगा लिया गया है और अभी इनका प्रयोग कहीं नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग कि तरफ से मॉपअप राउंड चलाया जा रहा है। कंपनी के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। सरकार ने सभी माता-पिता एवं अभिभावकों को से अनुरोध किया है कि वे अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलाएं।
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