कोरोना काल में बच्चे को इन 10 तरीकों से करें मोटिवेट

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Deepak Pratihast

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5 years ago

कोरोना काल में बच्चे को इन 10 तरीकों से करें मोटिवेट

अभी आप और हम ऐसे दौर से गुजरें और गुजर रहे हैं, वह बेहद मुश्किल है। हम सबकी दिनचर्या को कोरोना ने अस्त-व्यस्त कर दिया है। हम आप तो बडे हैं, एडजस्ट कर लेते हैं लेकिन, सोचा है कि बच्चों पर क्या बीत रही है? उनके सामने क्या दिक्कत है ? क्या आपने उनसे बात की है ? उनके बारे में सोचा है ? यदि अब तक नहीं, तो इस पर सोचिए। आपको उनकी चिंता करनी चाहिए। उन्हें मोटिवेट करना चाहिए। कोई नहीं बेटा, डाॅन्ट वरी। सबकुछ ठीक हो जाएगा। मैं हूं न। कुछ ऐसी ही बातें करें उनसे।  यकीन मानिए, उन्हें अच्छा लगेगा।

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  • कोरोना काल में बच्चों को स्कूल का काम घर से ही करना पडता है। ऑनलाइन क्लास का बोझ है। पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों को अभी ऑनलाइन क्लास करना पड रहा है। मोबाइल और लैपटाॅप पर कई घंटे गुजारते हैं तो तो आंखों में भी दिक्कत होगी ही। इसलिए आप उसके साथ कुछ समय बिताएं। उसे आप मोबाइल विडियो या अन्य माध्यम से नई नई पोयम और कहानिया सिखाएं। यदि उसका मन खेल में रमता है, तो उसे कुछ समय गेम खेलने दें।
  • आपने भी तो यह गौर किया होगा कि आज के समय में हर माता-पिता की एक या दो संतान होती है। माता- पिता का कर्तव्य होता है कि उन्हें सही दिशा प्रदान करें, ताकि वे अपने भविष्य का बेहतर निर्माण कर पाए। अब बात उठती है बेहतर भविष्य की तो उसके लिए आवश्यक होगा कि आप बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार दें, क्योंकि, एक मजबूत नीवं पर ही तो मजबूत  भवन खड़ा किया जा सकता है।
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कोरोनाकाल में कैसे करें अपने बच्चों को मोटिवेट?

बच्चों की खुशियों में अपनी खुशियां तलाशें। उनके खेलों में हिस्सा लें और अगर वे जीतते हैं, तो उनकी कामयाबी को सेलिब्रेट करें। इससे उन्हें अहसास होगा कि आप उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं।

  1. जब बच्चा किसी काम में सफल हो, तो उसका उचित प्रोत्साहन करें और जब वह असफल हो तब भी उसके साथ खड़े रहकर उसे मार्गदर्शन दें।
     
  2. आप आंकलन करें कि आपके बच्चे की खासियत क्या है? चाहे पढ़ाई की बात हो या खेल की या फिर कलात्मक प्रतिभा की, आपको उसकी प्रतिभा के हिसाब से उसे मोटिवेट करना चाहिए।
     
  3. बच्चे की हर छोटी से छोटी उपलब्धि में उसका प्रोत्साहन करे, जैसे एक्जाम में अच्छे नंबर आने पर गिफ्ट दें या एक फैमिली ट्रिप प्लान करे ताकि बच्चों का उत्साह बना रहे।
     
  4. जब तक आप पढ़ाई को लेकर उसकी समस्या को नहीं समझेंगी तब तक आप पढ़ाई को लेकर उसके नकारात्मक रवैये को नहीं समझ पाएंगी। एक बार जब आप समस्या की जड़ तक पहुंच जाएंगे। उसके बाद आप उसका समाधान भी निकाल लेंगे।
     
  5. ऐसा हो सकता है कि बच्चा आपसे एक ही सवाल कई बार करे और आपको उसे कई बार समझाना पड़े।बच्चों को पढ़ाने से पहले यह बात अपने दिमाग में बैठा लें कि उनको पढ़ाने का काम में धैर्य वाला काम है, इसलिए आपको अपना धैर्य बनाएं रखना होगा।
     
  6. बच्चे अपनों से प्रेरणा पाकर बहुत जल्दी नया सीखते हैं। उन्हें जब भी अपनी मेहनत या सफलता की बातें बताएं, तो प्यार से समझाएं ताकि वह स्ट्रगल और सैक्रिफाइस का महत्व समझें।
     
  7. बच्चा चाहे अच्छा करता है, या बुरा, आपको हमेशा उनके साथ सहानुभूति दिखानी होगी कि आप उनकी कैसे मदद कर सकते हैं? इससे उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया जा सकता है।
     
  8. इस समय बच्चे से अपने अनुभव साझा करे, ताकि वह उनसे कुछ सीख पाये। और अपनी बाते भी आपकों खुलकर बता पाये।
     
  9. बच्चे के परफॉर्मेंस पर नहीं बल्कि उसके लर्निंग प्रोसेस पर ध्यान केंद्रित करें। इस बात का ध्‍यान रखें कि अगर बच्चा एक बार चीजों को अच्छी तरह से सीख-समझ लेगा, तो उसके परफॉर्मेंस में अपने आप सुधार होने लगेगा।
     
  10. आपको उनकी बातें क्यू अच्छी लगी उन्हे बताए और वे इसमें और क्या बेहतर कर सकते है यह भी उन्हे बताए। अपने बच्चों को उनकी खूबियों से अवगत करायें और उसे निखारने में उनका साथ दें।

 जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि हर उम्र में बच्चे को एक अलग प्रोत्साहन की जरूरत होती है। माता-पिता का कर्तव्य होता है कि उन्हें सही दिशा प्रदान करें, जिससे वे अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें। एक माता पिता के रूप में आपकी जिम्मेदारी सबसे अधिक है। याद रखिए, कोरोना केवल आपके लिए ही संकट ले कर नहीं आया है। आपके बच्चों को भी दिक्कत है। इसलिए उनका बेहतर साथ निभाएं।

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