गर्भावस्था में अवसाद (Dep ...
क्या गर्भावस्था में अवसाद खत्म करने की दवाइयां लेना सुरक्षित है? नहीं, हमेशा नहीं? क्या आपको यह लेते रहना चाहिये? शायद हाँ।
गर्भावस्था के समय डिप्रेशन खत्म करने की दवाइयां लेना बड़ी बहस और उलझन का मामला है। आस-पास के लोग और परिवार की मान्यताएं आपको यकीन दिलाती हैं कि मां बनना आपके जीवन की सबसे खुशगवार घटना होती है। काफी हद तक वे सही हैं माँ बनना एक कामयाबी भरा सफर होता है। हार्मोन के उतार-चढ़ाव, शारीरिक बदलाव, नसों में ऐंठन, सुबह-सुबह जी मिचलाना, भूख बढ़ जाना और खाने का मन भी न होना जैसी बातों की वजह से आपका मन और शरीर आपस में लुका-छिपी का खेल खेलते हैं और इन अचानक होने वाले शारीरिक बदलावों की आपको कोई चेतावनी नहीं मिलती।[ जरूर पढ़ें - क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?]
मुझे गलत न समझें। बेशक, एक खुश और सेहतमंद शिशु की चाह रखना ही वह कीमती चीज है जो गर्भावस्था के तनाव से निपटने के लिये आपको तैयार करती है पर इस सफर का मजा लेने के लिये क्या हम जीवन की वास्तविकताओं से अपने-आप को हमेशा दूर रख सकते हैं। अक्सर आपके दोस्त-यार और परिवार के लोग सलाह देते हैं कि शिशु की सलामती के लिये आपके तन-मन की सलामती सबसे ज्यादा जरूरी है और आपको हमेशा खुश रहना चाहिये। इस तरह के बंधन और अटकलों ने लम्बे समय से महिलाओं को अपने शरीर, मन और डाक्टर की सलाह की अनदेखी करने के लिये मजबूर किया है।
इसमें किसी बहस की गुंजाइश नहीं है कि निराशा खत्म करने की दवाइयां अपने साथ इसके बुरे असर और खतरों का बोझ साथ लाती हैं। हालांकि, इसके फायदे अक्सर इसके खतरों पर भारी पड़ते हैं। सबसे पहले हमें समझना चाहिये कि गर्भावस्था में अवसाद का इलाज शुरू करना क्यों जरूरी है। निराशा खत्म करने की दवायें लेना शिशु के लिये खतरनाक है या दवायें न लेना माँ के लिये नुकसानदेह हो सकता है, इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल होने की वजह से दो बेगुनाह लोगों की जान अधर में लटकी रहती है और हम अपने मुताबिक इलाज का तरीका चुन सकें, वैसा कभी होता ही नहीं है। हर शरीर अनोखा होता है और हालात भी अलग-अलग होते है। इलाज शुरू होने से पहले अवसाद की मियाद, इसकी वजह और गंभीरता के साथ-साथ कौन सी दवायें लेना ठीक है, शरीर की बर्दाश्त करने की ताकत कितनी है और पेट में पलने वाले शिशु को इससे होने वाले खतरों पर ध्यान देना जरूरी है। लेकिन, सबने कहा और हमने किया, यह गर्भवती माँ की हालत होती है जबकि यह सब उसके डाक्टर को तय करना चाहिये इसीलिये ज्यादातर डाक्टर इसके खतरों को साफ-साफ बताने में नहीं हिचकते और इसकी कड़ी निगरानी पर जोर देते हैं।
गर्भावस्था में अवसाद और तनाव से बचने के लिये दवाईयां लेना ठीक है पर जरूरी नहीं कि इसे खत्म करने के लिये आप दवाइयों पर ही भरोसा करें। इससे बचने के और भी तरीके हैं जो गर्भावस्था में आपके जीवन में उमंग और खुशी से भर सकते हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि माँ-बच्चे का बंधन अमर होता है पर माँ होना एक अकेले चलने वाला सफर नहीं होता। जो महिलायें गर्भावस्था के समय निराशा खत्म करने वाली दवाइयां लेने की वहज से एक अलग तरह के हालात का सामना कर रही हैं, उन्हें इस सफर को आरामदायक बनाने के लिये उन्हें इन तीन बातों का ध्यान रखना चाहिये।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सा तरीका चुनती हैं पर जो बात आपको हमेशा ध्यान रखनी है वो यह कि इस कठिन राह पर आपको बड़ी सावधानी से चलना है। पैदा होने वाला शिशु आपकी सारी चिंताओं को खत्म कर देगा और आपके जीवन में खुशी और उमंगों का एक नया आयाम जोड़ेगा।
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