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7 असरदार उपाय PUBG या अन्य ऑनलाइन गेम्स की लत छुड़ाने के

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Prasoon Pankaj

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3 months ago

7 असरदार उपाय PUBG या अन्य ऑनलाइन गेम्स की लत छुड़ाने के

पहले ब्लू व्हेल, फिर मोमो चैलेंज और अब एक और ऑनलाइन गेम PUBG खेलने की लत बच्चों में तेजी के साथ लगती जा रही है। हाल ही में गुजरात सरकार ने PUBG गेम पर बैन लगा दिया है। कई और राज्यों में भी इस गेम पर बैन लगाने की मांग की जा रही है। गुजरात सरकार की तरफ से स्कूलों को निर्देश जारी कर कहा गया है कि बच्चों को इस गेम से होने वाले नुकसानों के बारे में जागरुक करें। आज हम इस ब्लॉग में आपको PUBG जैसे ऑनलाइन गेम्स खेलने की लत से होने वाले नुकसानों के बारे में बताएंगे और इसके अलावा उन 7 कारगर उपायों के बारे में भी जानकारी देंगे जिन्हें आजमाकर आप अपने बच्चे को इस एडिक्शन से मुक्ति दिला सकते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चे जिन्हें इस तरह के ऑनलाइन गेम्स की लत लग चुकी है वे अमूमन 3 से 4 घंटे तक खेलने में समय बिताते हैं। एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल से आने के बाद  बच्चे मोबाइल पर अपने दोस्तों के साथ ऑनलाइन पब्जी खेलने में व्यस्त हो जाते हैं। एक छात्र ने तो यहां तक बताया कि जिस समय में वे गेम्स नहीं खेल रहे होते हैं उस समय में भी उनके दिमाग में यही गेम चलता रहता है। अभिभावकों व पैरेंट्स की माने तो इस गेम की वजह से उनके बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है और वे पहले के मुकाबले ज्यादा चिड़चिड़े हो गए हैं।

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    जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूछा ये PUBG वाला है क्या?’

    दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के दौरान एक मां मधुमिता सेन गुप्ता ने सवाल पूछा कि मेरा बेटा 9वीं कक्षा का छात्र है, पहले मेरा बेटा पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करता था लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऑनलाइन गेम्स खेलते रहने की वजह से उसकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मैं अपने बच्चे को बहुत समझाने का प्रयास कर रही हूं लेकिन वो मानता नहीं है। इस प्रश्न का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूछा कि ये PUBG वाला है क्या? पीएम मोदी ने कहा कि इस समस्या का समाधान भी है। हमें बच्चों को तकनीक की तरफ जाने के लिए बढावा देना चाहिए लेकिन इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि क्या ये तकनीक उसको रोबोट में बदल रही है या फिर इंसान बना रही है। इस बात की निगरानी करना जरूरी है 

    कैसे छुड़ाएं PUBG ऑनलाइन गेम्स की लत? / How to Relief from Gaming Addiction in Hindi

    इसके अलावा भी PUBG गेम्स के एडिक्टेड बच्चों को कई और तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसा की आप भली-भांति जानते हैं कि लत किसी भी प्रकार की हो उसको एक झटके में छुड़ाया नहीं जा सकता है। अपने बच्चे से PUBG जैसे ऑनलाइन गेम्स की लत को छुड़ाने के लिए भी आपको धैर्य बनाए रखना होगा इसके अलावा आप कुछ असरदार उपायों को आजमा सकते हैं।

    • मोबाइल से गेम को अनइंस्टॉल कर दें - सबसे पहला काम तो आप ये करें कि मोबाइल से PUBG गेम को अनइंस्टॉल कर दें। इसकी वजह ये है कि अगर मोबाइल में गेम मौजूद रहेगा तो ना चाहते हुए भी गेम खेलने का दिल कर जाएगा। और अगर मोबाइल में गेम उपलब्ध नहीं रहेगा तो फिर बहुत हद तक हम नियंत्रण कर पाएंगे।
       
    • गेम खेलने के समय में किसी दूसरे काम में बच्चे का ध्यान डाइवर्ट करें - आप अपने बच्चे के डेली रूटीन के बारे में भली-भांति जानती होंगी। जिस समय में आपका बच्चा इस गेम को खेलता है उस समय में किसी अन्य काम में बच्चे को व्यस्त रखने का प्रयास करें। अब जैसे कि मान लिया जाए कि स्कूल से आने के बाद अगर बच्चा सीधे मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त हो जाता है तो आप ठीक उसी समय में किसी अन्य गतिविधि में बच्चे को बिजी कर लें। आप बच्चे के साथ कहीं बाहर जाने का प्लान कर लें, इनडोर गेम्स खेलें या अन्य कोई भी काम जो आपको सही लगे। इसका फायदा ये होगा कि आपके बच्चे का ध्यान किसी अन्य काम पर केंद्रित हो जाएगा तो फिर उसके दिमाग में से पब्जी खेलने की दिलचस्पी धीरे-धीरे कम होती जाएगी।
       
    • कहीं आप भी तो  PUBG  नहीं खेलती हैं - देखा गया है कि सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े लोग भी इस गेम को बड़े चाव से खेलते हैं। तो सबसे ज्यादा जरूरी है कि पहले आप खुद इस गेम को खेलना छोड़ दें। आप खुद ही इस गेम को खेलती रहेंगी तो आप कैसे अपने बच्चे को इस गेम को छोड़ने के लिए प्रेरित कर पाएंगी।
       
    • आउटडोर गेम्स खेलने के लिए बच्चे को प्रेरित करें - ऑनलाइन गेम्स की लत को छुड़ाने का सबसे सही और सटीक रास्ता ये है कि आप अपने बच्चे को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए उत्साहित करें। आप पहले ये नोटिस करें कि आपके बच्चे की रूचि किस गेम में है। अगर आपके बच्चे की रूचि क्रिकेट, लॉन टेनिस, बैडमिंटन, हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल या अन्य किसी गेम में है तो उसका दाखिला इस गेम के कोचिंग कैंप में भी करवा सकते हैं। जरूरी ये नहीं कि कोचिंग कैंप में डालने का मकसद स्पोर्ट्स मैन ही बनाना है बल्कि शारीरिक गतिविधियों एवं फिटनेस के लिहाज से भी ये सही है।
    • हॉबी क्लास - अगर मान लिया जाए कि आपके बच्चे की रूचि गेम्स में नही है तो उसकी हॉबी को जरूर वॉच करें। सिंगिंग, डांसिंग, पेंटिंग या अन्य किसी भी तरह की हॉबी अगर आपके बच्चे में है तो इसको विकसित करने के लिए हॉबी क्लासेज ज्वाइन करवा सकते हैं। आपका बच्चा अगर इन कामों में व्यस्त हो जाए तो फिर खुद ब खुद ऑनलाइन गेम्स खेलने की लत को छोड़ सकता है।
       
    • सामाजिक मेल-जोल बढ़ाएं - वीकेंड पर या जब कभी आपको छुट्टी मिले तो अपने पारिवारिक मित्रों के संग समय बिताएं। इसका मकसद बच्चे को सामाजिक होने के लिए प्रेरित करना है। अपने बच्चे को दोस्तों के संग समय बिताने के लिए भी समझाएं।
       
    • ऑनलाइन गेम से होने वाले नुकसानों के बारे में बच्चे को समझाएं - आप अपने बच्चे को प्यार से समझाने का प्रयास करें। अखबारों एवं न्यूज चैनलों पर इस गेम से होने वाले नुकसानों को लेकर केस स्टडी के बारे में बच्चे को बताएं।

     

    PUBG जैसे ऑनलाइन गेम्स खेलने के नुकसान / How Harmful PUBG Gaming Addiction in Hindi

    PUBG यानि कि प्लेयर्स अननोन्स बेटल ग्राउंड पर बैन लगाने के फैसले के साथ ही गुजरात सरकार ने बच्चों को इसकी लत छुड़ाने के लिए काउंंसलिंग भी कराने का निर्णय लिया है। यानि की आप समझ सकते हैं कि बच्चे इस गेम की लत में कितनी बुरी तरह से फंस चुके हैं।

    • पैरेंट्स के मुताबिक  PUBG गेम खेलते रहने से बच्चों का पढ़ाई में कम मन लग रहा है।
    • मानसिक तनाव बढ़ने से व्यवहार में बदलाव और हिंसक होने की संभावना
    • चिड़चिड़ापन का बढ़ना, चिंतित होना या दुखी महसूस करना
    • नींद में कमी यानि अनिद्रा की समस्या
    • झूठ बोलने की आदत
    • परिवार एवं मित्रों से कट जाना
    • शारीरिक सक्रियता में कमी आना, आउटडोर गेम्स खेलने में दिलचस्पी नहीं होना
    • समय पर भोजन नहीं करना
    • पढ़ाई-लिखाई में खराब प्रदर्शन करना
    • आंखों में जलन व अन्य समस्याएं
    • एक ही मुद्रा में निरंतर मोबाइल पर लगे रहने की वजह से गर्दन संबंधी समस्याओं का पैदा होना
    • हर वक्त थका-थका सा महसूस करना

    आप चाहें तो अपने बच्चे के मोबाइल और कंप्यूटर पर समय व्यतीत करने के समय को सीमित कर दें। इसके अलावा इंटरनेट का इस्तेमाल करने के समय को भी फिक्स कर दें। बच्चे की इंटरनेट एक्टविटीज पर भी नजर बनाए रखें।

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