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फायदेमंद योगासन गर्भवती महिलाओं के लिए और क्या हैं इसके फायदे?

Pregnancy

Supriya jaiswal

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3 years ago

फायदेमंद योगासन गर्भवती महिलाओं के लिए और क्या हैं इसके फायदे?
रोग प्रबंधन और खुद की देखभाल
घरेलू नुस्खे

योग हर उम्र के लोगो के लिए फायदेमंद होता है। यहां तक की गर्भावस्था में भी आप योगासन कर सकती है जिससे आपको अनेको लाभ मिलते है | इसके साथ ही ये भी बहुत महत्वपूर्ण है कि गर्भावस्था के दौरान सभी तरह के आसनों को नहीं करना चाहिए नहीं तो इसके नुकसान भी हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात की उन्हीं योग को करें जिसे आप सहजता से कर सकें। तो आइये हम आज आपको इस ब्लॉग में बताते हैं उन योग आसनों के बारे में जिन्हें आपको गर्भावस्था के दौरान करना चाहिए फिर भी हमारी सलाह है कि आप इनको करने से पहले किसी योग एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें।

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6 योगासन गर्भवती महिलाओं के लिए और इसके फायदे / 6 Amazing Prenatal Yoga Benefits In Hindi

 

#1. भ्रामरी प्राणायाम --

यह प्राणायाम मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को आराम देता है और मस्तिष्क के हिस्से को विशेष लाभ प्रदान करता है । यदि गर्भावस्था में आपको अधिक गर्मी लग रही है या सिरदर्द हो रहा है तो यह प्राणायाम करना लाभदायक है। आत्मविश्वास बढ़ता है,उच्च रक्त-चाप सामान्य हो जाता है। किसी भी शांत वातावरण, जहाँ पर हवा का प्रवाह अच्छा हो बैठ जाएँ । अपनी आँखों को बंद रखें। अपने शरीर में शांति व तरंगो को महसूस करें। तर्जनी ऊँगली को अपने कानों पर रखें। आपके कान व गाल की त्वचा के बीच में एक उपास्थि है। वहाँ अपनी ऊँगली को रखें। एक लंबी गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए, धीरे से उपास्थि को दबाएँ। आप उपास्थि को दबाए हुए रख सकते हैं अथवा ऊँगली से पुनः दबा य छोड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया करते हुए लंबी भिनभिनाने वाली (मधुमख्खी जैसे) आवाज़ निकालें। पुनः लंबी गहरी साँस ले और इस प्रक्रिया को ३-४ बार दोहराएँ।

#2. योग निद्रा--

साधारण रूप से प्रयास रहित आराम योग निद्रा द्वारा किसी भी योगासन क्रम के बाद आवश्यक हैं। योगासन शरीर को गरमाहट देता हैं और शरीर को शांत करता हैं।योगासन अभ्यास शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाते हैं। योग निद्रा इस ऊर्जा को संरक्षित एवं समेकित करती हैं जिससे शरीर व मन को विश्राम मिलता है।

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#3. नाड़ी शोधन प्राणायाम --

नाड़ी शोधन प्राणायाम साँस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। गर्भावस्था में नाड़ी शोधन (अनुलोम विलोम आसन) करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। इसे करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है| प्रेगनेंसी में तनावरहित रहने के लिए इस आसन को जरूर करना चाहिए|इस आसन को करने के लिए सबसे पहले तो सुखासन में बैठे। इसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे से नाक का दाया छिद्र बंद करें और अपनी सांस अंदर की ओर खींचे। फिर उसी हाथ की दो उंगलियों से बाईं ओर का छिद्र बंद कर दें और अंघूटे को हटाकर दाईं ओर से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को फिर नाक के दूसरे छिद्र से दोहराएँ।

#4. पर्वतासन –-

गर्भावस्था में पर्वतासन करने से कमर के दर्द से निजाद मिलती है| इसे करने से आगे चलकर शरीर बेडौल नहीं होता है| इस आसन को करने के लिए सर्व प्रथम सुखासन में आराम से बैठे। इस वक्त आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए|अब सांस को भीतर लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों को नमस्ते की मुद्रा में जोड़ लें। कोहनी सीधी रखें। कुछ समय के लिए इसी मुद्रा में रहें और तत्पश्चात सामान्य अवस्था में आ जाएं। इस आसन को दो या तीन से ज्यादा ना करे|

#5. उष्ट्रासन –

उष्ट्रासन करने के लिये जमीन पर दरी बिछाकर घुटनों के बल खड़े हो जाएं| अब अपने दोनों घुटनो को मिलाकर एवं एड़ी और पंजों को मिलाकर रखें। इसके पश्चात सांस को अंदर खींचते हुए धीरे-धीरे शरीर को पीछे की और झुखाये| अब दोनो हाथों से दोनो एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें। इस स्थिति में ठोड़ी ऊपर की ओर करके रखें और गर्दन को सीधा रखें| आपके दोनो हाथ भी सीधे होने चाहिए|सांस लेते हुए इस स्थिति में 30 सैकेंड से 1 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। इस आसन को नियमित रूप से करने पर रीढ़ की हड्डी में मजबूती आती है| इसे करने से खून का प्रवाह सुचारू होता है और एनर्जी का लेवल भी बढता है।

#6. तितली आसन –-

तितली आसन को गर्भावस्था के तीसरे महीने से कर सकते है| शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए यह आसन किया जाता है| इसे करने से शरीर के निचले हिस्से का तनाव खुलता है| इससे प्रजनन के दौरान गर्भवती महिला को दिक्कत कम होती है।तितली आसन करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर मोड़कर, तलवे मिला लें, यानी पैरों से नमस्ते की मुद्रा बननी चाहिए। इसके पश्चात दोनों हाथों की उंगलियों को क्रॉस करते हुए पैर के पंजे को पकड़ें और पैरों को ऊपर-नीचे करें। आपकी पीठ और बाजू बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। इस क्रिया को 15 से अधिक बार ना करे।

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