शिशु में अच्छे गर्भ संस्क ...
श्रेष्ठ संतान के लिए किया जाता है गर्भसंस्कार। इंसान कितना ही मॉडर्न क्यों न हो जाये, उसे अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहना चाहिए। हिन्दू धर्म में ऐसी कई मान्यताएं हैं, जिन्हें वैज्ञानिक तथ्यों का भी प्रमाण हासिल है। हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों का उल्लेख किया गया है। गर्भ में शिशु के रूप में आने से लेकर मृत्यु तक ये सोलह संस्कार संपन्न किये जाते हैं। इनमें पहला संस्कार होता है 'गर्भसंस्कार' और आखिरी होता है 'अंतिम संस्कार'. इन सभी संस्कारों में गर्भसंस्कार को विशेष महत्त्व दिया गया है। जानिए क्यों है सभी 16 संस्कारों में ये है सबसे महत्वपूर्ण। [जरूर पढ़ें: क्या हैं हिंदू धर्म के अनुसार 16 संस्कार?]
इसके साथ ही पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण आदि संस्कार भी शिशु का जगत से संबंध स्थापित किये जाने के लिए किये जाते हैं।हमारे ग्रंथों में श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति के लिए पूर्ण विधि उपलब्ध है। कहा जाता है कि इसका पालन करने से बच्चे को फ़ायदा होता है।
जब माता-पिता संतान चाहते हों, तो उन्हें कम-से-कम तीन महीने पहले से इसके लिए मानसिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से खुद को इसके लिए तैयार करना चाहिए। इस दौरान जो भी वो करते हैं, उसका असर बच्चे पर भी होता है।
"आपने सुना होगा कि महाभारत में अभिमन्यु ने भी गर्भ में ज्ञान लिया था और आज भी उन्हें एक शूरवीर के रूप में याद किया जाता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे में भी ऐसे तेजस्वी गुण हों, तो गर्भसंस्कार से ये संभव हो सकता है। अगर संक्षेप में कहें तो गर्भ संस्कार का मतलब है, बच्चों को गर्भ से ही संस्कार देना।"
गर्भवती महिला की दिनचर्या, आहार, प्राणायाम, ध्यान, गर्भस्थ शिशु की देखभाल आदि का वर्णन गर्भ संस्कार में किया गया है। बच्चे के गर्भ में आने के बाद ही उसमें जान आ जाती है। जन्म के बाद दिए गए संस्कार ही नहीं, उससे पहले दिए गए संस्कार भी उस पर असर डालते हैं। न सिर्फ़ वो अपने आस-पास होने वाली घटनाओं को महसूस करता है, बल्कि उनसे प्रभावित भी होता है। [जरूर पढ़ें: किन बातों का रखें ख्याल अन्नप्राशन संस्कार के दौरान?]
वैज्ञानिकों का मानना है कि चौथे महीने में शिशु की सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है और अगले महीनों में उसकी बुद्धि व मस्तिष्क का भी विकास होने लगता है। इसके अनुरूप उसे संस्कार दिए जाने चाहियें.
हमारी संस्कृति ऐसी है जिसमें सभी तरह की समस्याओं का निवारण छुपा हैं। इसमें दी गयी विधियों को अपना कर आज भी लाभ होता है।
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