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क्या बताता है बच्चे का मल आपके बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में ?

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Prasoon Pankaj

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क्या बताता है बच्चे का मल आपके बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में ?

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Dr. Manoj Yadav

पहली बार जब मैं मां बनी तो मुझे दाईयों ने कहा कि मैं अपने बच्चे के मल पर नज़र रखूं ताकि मैं उसके स्वास्थ्य के बारे में और अधिक समझ सकूं। यह बात थोड़ी मूर्खतापूर्ण लग रही थी लेकिन फिर भी मैं हर बार, हफ्तों, महिनों तक अपनी पुत्री के डायपर को चेक करने लगी। दूसरी ओर मेरे पति को लगने लगा कि मैं पागल हो गई हूं और मल के बारे में मनोग्रहीत हो गई हूं। इसके लगभग तील साल बाद मुझे बेटा हुआ, लेकिन तब तक मैं बच्चे के मल के बारे में बहुत कुछ जान गई थी और यह भी कि मुझे अपने बच्चे के स्वास्थ्य का अंदाजा किस प्रकार से लगाना है।

क्या आप जानते हैं कि आपके बच्चे का मल से भी उनके स्वास्थ्य का संबंध है। आप में से बहुत ऐसे लोग होंगे जो अभी हाल ही में पैरेंट्स बने होंगे। बच्चे के मल को समझने और इसका उनके स्वास्थ्य से क्या संबंध हो सकता है ये समझाने के लिए ये एक छोटा सा लेख है।

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    बच्चे का मल, बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में क्या बता सकता है ?/What Does Baby's Poop Color Say About His/Her Health? 

    आप में से बहुत ऐसे लोग होंगे जो अभी हाल ही में पैरेंट्स बने होंगे। बच्चे के मल का रंग, गंध, बनावट आदि बच्चे के पेट और पाचन बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं। बच्चे के मल को समझने और इसका उनके स्वास्थ्य से क्या संबंध हो सकता है ये समझाने के लिए ये एक छोटा सा लेख है। 

    प्रश्न 1: नवजात का मल और जातविष्ठा 

    किसी नवजात के मल को जातविष्ठा भी कहा जाता है, यह आमतौर पर गहरा और हरा काला दिखाई देता है। यह पूरी तरह से सामान्य है। गहरा रंग बिलिरूबिन की उपस्थिति के कारण होता है। पीला हरा रंग लाल कौशिकाओं के से होता है। लगातार काफी ढीला मल हो तो वह बिल्कुल सामान्य है।

    क्या करना चाहिए ? 

    जातविष्ठा अस्थायी है और आम तौर पर आपके बच्चे के जन्म के पहले तीन दिन बाद तक रहता है जिसके बाद मल का रंग पीले रंग में बदल जाता है।

    प्रश्न 2: चमकीला पीला और गंदा:

    स्तनपान करने वाले बच्‍चों का ढीला, हल्‍की गंध के साथ पीला मल होता है। यह डायरिया जैसा नज़र आ सकता है, लेकिन उन बच्चों के लिए यह पूरी तरह से सामान्य है जो केवल स्तनपान कर रहे है और मल में यह निरंतरता बनी रहती  है।

    क्या करना चाहिए ?

    कुछ नही! बिना चिंता किए अपने बच्चे को स्तनपान कराते रहें।

    फोटो साभार: Howcast

    प्रश्न 3: कालापन और स्‍थूलता:

    जो बच्चे नियत समय पर दूध पीते हैं, स्‍तनपान करने वाले बच्‍चों की तुलना में मल, सामान्य  गहरे रंग का होता हैं। यह निरंतर स्‍थूल और भूरे रंग का होता है। इस ब्लॉग को जरूर पढ़ ले:-  बच्चे का मुँह से दूध उलटना(Baby Posseting), जानें नवजात शिशु की दूध की उल्टी के कारण

    क्या करना चाहिए ?

    चिंता करने की कोई बात नही है। आप अपने बच्चे को स्‍तनपान की सामान्य दिनचर्या जारी रख सकते हैं। यदि आप नियमानुसार दूध पिलाना आरंभ करते हैं तो आपके बच्चे के मल की सतत बदलाव आ सकता है, लेकिन इसे एक - दो दिन में नियमित हो जाना चाहिए। 

    प्रश्न 4: हरा भूरा रंग

    जब आप अपने बच्चे को ठोस भोजन देना आरंभ करते है तो आपके बच्चे का मल बदलकर हरे भूरे रंग का हो सकता है। यदि आपके बच्‍चे को पूरक पौष्टिक दिया जाता है तो यह उसी समय भी हो सकता है। यह पूरी तरह से सामान्य है।

    क्या करना चाहिए?
    ऐसे मल को सामान्य समझा जाता है। यदि आप अपने बच्चे में किसी अन्य लक्षण जैसेकि ठंड, बुखार, या अत्यधिक चिड़चिड़ेपन को नोटिस करते हैं तो आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

     

    बच्चे के मल में​ चेतावनी के संकेत/ What's Normal & What's Not in Baby's Stool in Hindi

    डॉक्टर के पास कब जाएं? बच्चे के डायपर में क्या है, इसके द्वारा आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं। आपके बच्चे के मल की बनावट, रंग और गंध कई प्रकार की हो सकती है। लेकिन, निम्नलिखित लक्षण पाए जाने पर, सलाह के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है।

    भूरा, पानी वाला या ढीला:

    आपके बच्चे का मल कभी कभी भूरा ढीला हो सकता है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। अपने बच्चे के डायपर पर नज़र रखें। अगर ढीला मल लगातार दो दिन या उससे अधिक दिनों तक जारी रहता है और इसके साथ अन्‍य कोई लक्षण -- जैसेकि बच्चे को बेचैनी, दूध पीने में प्रतिरोध, बुखार, उदासी आदि दिखाई देती है तो यह डायरिया (अतिसार) हो सकता है। डायरिया संक्रमण का एक संकेत हो सकता है और इससे पानी की कमी हो सकती है। यदि दस्‍त दो दिन से अधिक लगातार जारी रहे तो अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।

    सूखा, सख्त कंकड़ जैसा:

    इसकी निरंतरता इस बात का प्रतीक है कि आपके बच्चे को कब्ज़ हो सकती है। कभी कभार कब्ज ठीक उसी प्रकार से सामान्य बात है जैसेकि कभी कभी ढीला मल सामान्य होता है। नियम में बदलाव या ठोस खुराक देने के कारण आपके बच्चे को कब्ज हो सकती है। अपने बच्चे को कब्ज़ से राहत देने के लिए उसे कुछ अधिक स्तनपान कराए या नियत से अधिक दूध पीने के लिए दें। बड़े बच्चों को, समय समय से थोड़ा थोड़ा पानी पिलाएं। जब ठोस खुराक देना आरंभ करें तो अधिक फाइबर वाला खाना जैसे कि सब्जी और फल दे ताकि बच्चे को कब्ज़ से बचाया जा सके

    हरा, पतली धार वाला:

    तार के साथ हरी धारियां इस बात का संकेत है कि मल में बलग़म है। यह संक्रमण का संकेत हो सकता है और डॉक्‍टर के द्वारा जाँच कराने की जरूरत हो सकती है।

    इसलिए नई मां बनने वाली महिलाओं को अपने बच्चे के पोट्टी यानि मल पर ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।बच्चे के मल का रंग, गंध, बनावट आदि बच्चे के पेट और पाचन बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं।

    शिशु को अगर कब्ज की समस्या हो तो कौन सा घरेलू नुस्खा अपनाएं?

    आमतौर पर शिशु में कब्ज की समस्या कम ही देखी जाती है क्योंकि नवजात शिशु मां के दूध को आसानी से पचा लेते हैं। हालांकि फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने वाले बच्चे में कब्ज की समस्या अक्सर देखी जाती है। कब्ज की समस्या के दौरान आप कुछ घरेलू व कारगर नुस्खों को जरूर आजमा सकती हैं। 

    1. आप अपने शिशु के पैरों को हल्के से हिलाएं। साइकिल के पैडल की तरह आहिस्ते आहिस्ते उनके पैरों को चलाएं। 
       
    2. 6 महीने से उपर के बच्चों को सेब का रस निकालकर चम्मच से पिलाने से भी कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।
       
    3. हल्के गर्म पानी में बच्चे को नहलाने से भी उनको आराम मिलता है और बच्चे के तनाव में कमी आती है।
       
    4. अगर बच्चा 6 महीने से अधिक उम्र का है तो उनके खाने में नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर शिशु 6 महीने से कम है तो उसके गुदा भाग के आसपास नारियल का तेल लगा सकते हैं। 
       
    5. बच्चा 6 महीने से बड़ा है तो कब्ज होने पर टमाटर का जूस पीने को दे सकती हैं। टमाटर को पानी में उबाल लें और फिर इसको छान लें और ठंढ़ा होने दें। इस रस को दिन में 3 से 4 बार चम्मच से पीलाएं।
       
    6. सौंफ को पानी में उबाल लें, इसके ठंडा होने पर छान लें और दिन में 3-4 बार 6 महीने से ऊपर के बच्चे को पिलाएं। अगर शिशु 6 महीने से कम है तो उनकी मां दिन में 4 से 5 बार सौंफ चबाएं इससे शिशु को कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।
       
    7. 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चे के आहार में पपीता को शामिल कर सकते हैं। पपीता में पर्याप्त मात्रा में फाइबर नामका तत्व मौजूद होता है।
       
    8. कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए 6 महीने से अधिक के बच्चे के आहार में खूब सारा तरल पदार्थ शामिल करें जैसे कि सूप, ताजे फलों का जूस, दूध एवं पानी
       
    9. शिशु की मालिश नियमित रूप से करें। पेट औऱ पेट के नीचले भाग का मसाज करने से कब्ज की समस्या में तुरंत आराम मिल सकता है।
       
    10. 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चे के आहार में हरी सब्जियां और फल को जरूर शामिल करें। 

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