भावनाओ को छूती एक लघु कहा ...
मेरी पढाई पूरी होने से पहले ही मेरे घर वालो ने मेरी शादी तय कर दी | जब मैंने बोला कि मै और पढ्ना चाहती हू । माता -पिता ने बोला बेटा तेरे ससुराल वालो ने बोला है कि "तुझे पढाएंगे और अगर तू आगे जाके नौकरी करना चाहती है ,तो उन्हे कोई परेशानी नही है।" एक सामान्य लड़की के जीवन का दर्शन उन अनेको माओ में, जिन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य समय देकर हमारे समाज की रचना की है...
इसके आगे....वो निश्चिंत होके शादी कर लेती है,उसके दिमाग मे यही था कि उसके ससुराल वाले बहुत खुले विचारो के है। हर माता -पिता का यही सपना होता है कि उनकि बेटी अच्छे घर मे जाए जहा उसे किसी चीज की कमी ना हो।
अब वही लड़की जो शादी के पहले चुलबुली, बेफिक्र और मनमौजी से रहती थी, शादी के बाद एक सन्स्कारी बहू बन गयी,अब उसक सारे फैसले उसके नही रहे ,किससे मिलना है,क्या पहनना है सब बहुत सोच समझ कर और ससुराल वालो की पसंद से करना पड्ता है ।
उसकि उम्र से ज्यादा उसके सर पे ज़िम्मेदारियाँ आ गयी, अचानक से आये इतने सारे बद्लाव से वो घबरा गई और गलती करने पर ससुराल वालो कि डांट और ताने बस सुन के रह जाती ,और बाथ्रुम या किचेन में रो के अपना मन हल्का कर लेती थी। सपने तो दूर कि बात है जिम्मेदरियों के बीच में खुद के लिये भी समय निकलना मुश्किल था ,साँस बोला करती थी कि तुम तो बहुत खुशकिस्मत हो ,हमने तो बहुत कुछ झेला है ,जो आज कल कि लड़कियां कभी सह नही सकती। लड़की के लिये इस नये माहौल मे खुद को ढालना आसान नही था पर वक्त के साथ सीख रही थी ।
एक दिन उसने अपने पति से बोला कि वो नौकरी करना चाहती है,पती ने बोला क्या हुआ "किसी चीज कि कमी है क्या,?" उसने बोला नही तो,पती ने बोला फिर क्यो? क्युकि मै कुछ बनना चहती हूं , पति ने बोला "खरीदरी करनी है या पैसे चाहिए तो मुझसे बोलो इसके लिए नौकरी करने कि क्या जरुरत है", बात वही ख़त्म हो गयी।
कुछ दिनो मे उसे पता चला कि वो माँ बनने वाली है, उसे समझ नही आ रहा था कि वो इतनी बडी जिम्मेदारी के लिये तैयार है या नही क्युकि अभी तो उसने नये महौल मे ढ्लना सिखा ही था। खुश थी कि माँ बनने वाली है पर उसे ये भी पता था कि अब उसकी यहि उसकी जिंदगी है,की वह एक ग़ृहणी है,अब वह एक लड़की से औरत बन चुकी है ।
आज उसकी एक साल कि बेटी है।शायद वो अपनी बेटी के लिये ऐसी जिंदगी नही चाहेगी और उसके सारे सपने पूरे करेगी जो वो अपने लिए कभी पूरे ना कर पायी।
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