खेलकूद में सक्रिय बच्चे क ...
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क्या आपका बच्चा भी स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहता है? पेरेंट्स होने के नाते आप क्या अभी ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि बच्चे को स्पोर्ट्स में अपना भविष्य तलाशना चाहिए या नहीं? यकीन मानिए, तब आपको क्रिकेटर सूर्या यादव के पेरेंट्स के अनुभवों के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए। क्रिकेट सूर्या यादव का नाम आज की तारीख में कौन नहीं जानता है। क्रिकेट की दुनिया में उन्हें नया मिस्टर 360 डिग्री के नाम से जाना जाता है। पिच पर अपने धुआंधार शॉट्स और रनों की बारिश के चलते वे क्रिकेट प्रेमियों के बीच में अत्यंत लोकप्रिय हैं।
एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुकात रखने वाले क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव का जन्म यूपी के गाजीपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम अशोक कुमार यादव है जो कि एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के परमाणु ऊर्जा विभाग, मुंबई में कार्यरत हैं अशोक कुमार यादव। बचपन के दिनों से ही सूर्य कुमार यादव को खेलों में गहरी अभिरूचि थी। अपने शुरुआती दिनों में सूर्य यादव क्रिकेट और बैडमिंटन दोनों ही गेम्स खेला करते थे।
छोटी उम्र से ही अपने बच्चे को खेल के प्रति रूझान को देखकर पिता अशोक यादव खुश तो बहुत होते थे लेकिन कहीं ना कहीं भविष्य की अनिश्चितताओं को महसूस कर करियर के प्रति सशंकित भी रहते थे। जब सूर्या यादव 12 साल के ही थे तब किसी खेल विशेषज्ञ ने उनको बताया कि उनके बच्चे के अंदर काफी क्षमताएं हैं और वो बहुत प्रतिभाशाली है। इसके बाद पिता अशोक यादव ने अहम फैसला लेते हुए सूर्या यादव का प्रशिक्षण एल्फ वेंगसरकर अकादमी में दाखिला करवा दिया। प्रसिद्ध क्रिकेटर रह चुके दिलीप वेंगसरकर के कुशल प्रशिक्षण में सूर्य कुमार को अपने खेल में निखार लाने का अवसर प्राप्त हुआ।
निष्कर्ष- आपने देखा कि सूर्य यादव के पिता ने सही वक्त रहते और बचपन में ही अपने बेटे की प्रतिभा को देखते हुए उनका प्रशिक्षण सही कोचिंग कैंप में करवा दिया। आज उसका ही नतीजा है कि सूर्य यादव की प्रतिभा में और निखार आता चला गया। यानि कि अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे के अंदर खेल की किसी विधा में गहरी रूचि है और वो खेल को बड़ी गंभीरता से ले रहा है तो निश्चित रूप से किसी अच्छे प्रशिक्षण केंद्र में उसका दाखिला करवा दें।
जैसा कि आप जानते हैं कि सूर्य यादव के पिता मुंबई के भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर है। जाहिर है वो जिस सोसाइटी में रहते होंगे वहां ज्यादातर साइंटिस्ट और इंजीनियर रहते होंगे। इस सोसाइटी में रहने वाले अधिकांश बच्चों का फोकस पढ़ाई के प्रति था। अगर हम सूर्या की बात करें तो वे पढाई-लिखाई में औसत छात्र थे और उनका रूझान खेल में ज्यादा रहता था। सूर्या के माता-पिता ने इस बात को लेकर कभी उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया बल्कि उनको खेलने के प्रति प्रोत्साहित ही किया। आज इसका परिणाम सबके सामने है।
निष्कर्ष- अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा पढ़ाई में बहुत बेहतर नहीं कर रहा है और उसका रूझान खेल या अन्य किसी प्रकार की गतिविधियों में ज्यादा है तो आप उसको उसका मनपसंदीदा क्षेत्र चयन करने की आजादी प्रदान करें। अपनी बातें अपने बच्चे पर नहीं थोपें। आपका बच्चा जिस किसी काम को मनोयोग से करता है उस काम से संबंधित करियर के विकल्पों का चयन करने की स्वतंत्रता दें। इस काम में आप उसकी मदद कर सकते हैं और उत्साहवर्धन कर सकते हैं।
सूर्या के माता-पिता जिस सोसाइटी में रहते थे वहां के अधिकांश बच्चे पढाई-लिखाई में बहुत बेहतर थे वहीं दूसरी तरफ सूर्या की दिनचर्या में से ज्यादातर समय खेलकूद में खर्च होता था। इस बात को लेकर पड़ोसी और रिश्तेदार सूर्या के माता-पिता को ताना देते थे कि खेल में क्या रखा है और इसमें बच्चे का क्या करियर बन सकता है? सूर्या के माता-पिता के ऊपर इस तरह के तानों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उनको इस बात का पूरा विश्वास था कि सूर्या प्रतिभाशाली और मेहनती है इसलिए उसका चयन कम से कम रणजी ट्रॉफी जैसे चैम्पियनशिप में जरूर होगा। वे इस बात को लेकर भी सकारात्मक थे कि खेलकूद के कोटे में बेहतर करने पर नौकरियों में भी उसको अवसर मिल सकते हैं।
निष्कर्ष- मुमकिन है कि आपके आसपास के लोग भी आपके बच्चे को लेकर ताना देते होंगे लेकिन आप अपने बच्चे की प्रतिभा पर विश्वास बनाए रखें। योग्य व्यक्तियों से सुझाव अवश्य लें लेकिन किसी के कहने-सुनने पर अपने फैसले में बदलाव नहीं लाए। ध्यान रखें कि माता पिता होने के नाते आप अपने बच्चे की क्षमता की परख सबसे ज्यादा कर सकते हैं। सदैव सकारात्मक बने रहें और बच्चे को ईमानदारी से परिश्रम करते रहने के लिए प्रेरित करें।
आपको याद भी होगा साल 2020 के IPL टुर्नामेंट का वो दौर जब सूर्य कुमार बेहतरीन फॉर्म में चल रहे थे। हर कोई मानकर चल रहा था कि सूर्य यादव का सलेक्श इंडियन टीम में जरूर होगा। लेकिन किन्हीं कारणों से जब ऐसा नहीं हुआ तो सूर्या कुमार निराश और गुस्से में आ गए। सूर्या यादव के माता पिता ने उनको धैर्य रखने और अपना काम लगन के साथ करने का सुझाव दिया। टीम की घोषणा के अगले ही दिन का वाकया है। सूर्या की मुंबई इंडियंस और विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स का मुकाबला था। 165 के टारगेट का पीछा कर रही मुंबई इंडियंस के विकेट एक के बाद एक लगातार गिर रहे थे। उस मैच में सूर्या ने 43 बॉल पर 79 रनों की बेहतरीन पारी खेलकर मुंबई को जीता दिया। इस मैच में सूर्या ने 10 चौके और 3 छक्के लगाए। आज सूर्या टीम इंडिया में हैं।
निष्कर्ष- हर किसी के जीवन में अच्छे और बुरे दौर आते हैं। बुरे दौर के समय में अपने बच्चे का हौसला बढ़ाते रहें और कर्म पर विश्वास रखने का सुझाव दें।
सूर्या के लिए उनके माता-पिता सर्वाधिक महत्व रखते हैं। यही वजह है कि सूर्या ने अपने माता-पिता का टैटू भी बनवा रखा है। सूर्या प्रत्येक मैच से पहले मां को फोन करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। मैच के बाद भी वे मां को फोन कर अपनी पारी और टीम के प्रदर्शन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
निष्कर्ष- किसी इंसान के लिए उसका परिवार सबसे बड़ी ताकत होती है। सूर्या यादव के माता पिता ने बचपन से ही उनके अंदर इस तरह के संस्कार दिए कि वे परिवार की वैल्यू को बखूबी समझते हैं। जब कभी आप खुद को हताश निराश महसूस करते हैं तो उस समय में आपके परिवार के सदस्य ही आपके अंदर विश्वास को भरते हैं। सूर्या यादव एक सामान्य पृष्ठभूमि के परिवार से आते हैं और टीम इंडिया में मुकम्मल जगह बनाना अपने आप में बहुत बड़ी सफलता है।
इस ब्लॉग में सूर्या यादव के माता-पिता ने जो अनुभव साझा किए हैं वो उन सभी पेरेंट्स के लिए मददगार साबित हो सकता है जिनके बच्चे खेल या अन्य किसी प्रकार की गतिविधियों में अपना करियर बनाना चाहते हैं।
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