सर्दियों में त्वचा पे रैश ...
सर्दियों का कठोर मौसम आपके बच्चे के लिए काफी कठिन साबित हो सकता है। सर्दियों में सबकी त्वचा रूखी और अनाकर्षक हो जाती है और आपका बच्चा और भी ज़्यादा संवेदनशील होता है।जरा सी नादानी से बच्चों को काफी परेशानी हो सकती है। ऐसे में आपको चाहिए अपने छोटे से बच्चे की त्वचा का पूरा खयाल रखें। जानियें विंट्रस मे स्किन रैशेज कि शिकायत को कैसे करे दूर|
त्वचा को रखें सूखी -- बच्चे की त्वचा को सूखी रखने की कोशिश करें, नहीं तो उसे डायपर रैशेज हो सकते हैं। डायपर्स बदलते समय त्वचा को अच्छी तरह से सुखाने के बाद ही दूसरा डायपर बच्चे को पहनायें। अगर जल्दबाजी में आप ऐसा करना भूल जाती हैं तो त्वचा में रह गई नमी से उसे बच्चे को रैशेज हो सकते हैं जो संक्रमण का कारण बनते हैं।
ओलिव आयल या नारियल का तेल --बच्चों में यदि स्किन रैशेस दिखाई पड़ता है , तो उस पर ओलिव आयल या नारियल का तेल लगाने से उन्हें तुरंत आराम मिलेगा और जलन और खुजली में भी आराम मिलेगा। इसके अलावा विटामिन ई आयल में कॉर्ड लिवर आयल मिलाकर रैशेस पर लगाएं और रात भर छोड़ दे ,सुबह तक रैशेस ख़त्म हो जायेंगे।
स्क्रैच से बचायें--बच्चे की त्वचा को सुरक्षा की जरूरत होती है। बच्चे हाथों के नाखूनों से खुद को स्क्रैच लगा सकते हैं। इससे बचाव के लिए उसके हाथों को बेबी ग्लव्ज से पहनाकर रखें। इससे आपका बेबी अंगूठे और अंगुलियों को मुंह में भी नहीं लेगा। इससे बच्चे को अगूठे चबाने की आदत भी नहीं पड़ेगी।
तुलसी के पत्ते -- तुलसी के पत्ते के लेप में लहसुन , नमक, काली मिर्च तथा ओलिव आयल मिलाकर लगाएं। इसके आलावा , एक चम्मच विनेगर में शहद डालकर एक गिलास पानी में मिलाकर स्किन पर लगाने से राहत मिलती है।
मालिश के वक्त -- बच्चों को मालिश बहुत जरूरी है, बच्चों की मालिश कीजिए। लेकिन मालिश के वक्त तेल का चयन करते वक्त ध्यान रखें। बहुत ज्यादा सुगंधित तेलों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि कुछ सुगंधों से त्वचा में एलर्जी या खुजली हो सकती है। 1 साल तक के बच्चों को सरसों के तेल से मालिश न करें।
साबुन के प्रयोग के वक्त सावधानी--बच्चों को साबुन लगाने से परहेज करें, क्योंकि इसके कारण बच्चे की त्वचा पर संक्रमण हो सकता है। हालांकि, कुछ बच्चों की त्वचा स्ट्रॉग हो सकती है लेकिन अधिकांशत: बच्चों की त्वचा बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती है। ऐसे में साबुन में मौजूद डिटर्जेट उसकी त्वचा में खुजली और संक्रमण पैदा कर सकते हैं। इसलिए बच्चे को नहलाते वक्त माइल्ड सोप का ही इस्तेमाल करें।
नहलाते वक्त ध्यान रखें--जन्म के 10 दिन बाद बच्चे को हल्के गरम पानी से नहला सकते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वह फर्श पर चलने की प्रैक्टिश करता है ऐसे में उसकी त्वचा गंदी हो जाती है और ऐसे में त्वचा का संक्रमण फैलने की संभावना भी रहती है। इसलिए बच्चे को नहलायें, नहलाने से पहले शरीर की बेबी ऑयल से जरुर मालिश करें। त्वचा को हमेशा नमी देती रहें क्योंकि साबुन की वजह से बच्चे की त्वचा रूखी हो सकती है।
त्वचा को मॉइस्चराइस करें--बाज़ार में कई तरह के बेबी क्रीम्स और मॉइस्चराइज़र्स उपलब्ध हैं। आप अच्छी कंपनी के ही उत्पाद खरीदें तथा इसका प्रयोग अपने बच्चे की त्वचा पर करें। इससे आपके बच्चे को पपड़ीदार और फटी त्वचा, फ्रॉस्ट बाईट और गंभीर स्थितियों में खून निकलने की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। परन्तु अपने बच्चे की त्वचा को लेकर काफी सावधान रहें और उस पर लोशन और क्रीम लगाते रहें। बच्चे की त्वचा को नमी देते वक़्त उसे उसकी उम्र के मुताबिक़ गुनगुना पानी पिलाएं। इससे भी उसकी त्वचा अच्छी रहेगी।
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