पैप स्मीयर जांच के पहले क ...
पैप स्मीयर यूटरस कैंसर या सर्विक्स कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है। स्तन कैंसर के बाद सर्विक्स कैंसर दूसरी ऐसी बीमारी है जो आज कल बहुत सी औरतो में पाया जा रहा है। बीमारी ऐसी है कि अंदर ही अंदर शुरू भी हो जाती है और पता तक लगने नहीं देती। गर्भावस्था में यह और भी जरुरी हो जाता है क्यूंकि इसकी वजह से आपके बच्चे का समय से पहले जन्म या बच्चे में अंधापन जैसी समस्या हो सकती है। इसी का पता लगाने के लिए पैप स्मीयर टेस्ट किया जाता है की आपके सर्विक्स में कोई ऐसे बीमारी वाले सेल्स मौजूद है या नहीं क्युंकि जितनी जल्दी इसका पता चल जाएगा उतनी ही जल्दी इसको ख़तम किया जा सकता है लेकिन पैप स्मीयर के जांच के लिए जाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें।
कुछ लक्षण जिनके होने पर आपको जांच कराने जरूर जाना चाहिए जैसे की गर्भाशय के नीचे की तरफ एक दाने की तरह बनना। पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने के दौरान ब्लीडिंग की समस्या का होना। जब तक इन लक्षणों का पता चलता है तब तक कैंसर काफी फैल चुका होता है। कुछ दुसरे लक्षण जैसे की यौन संबंध के दौरान दर्द, भूख में कमी, वजन में कमी, पीठ में दर्द, एक पैर में सूजन, गर्भाशय से यूरिन निकलना भी एचवीपी वायरस के संक्रमण के संकेत हो सकते हैं !
यदि आप माँ बनने की सोच रही हैं तो कोशिश करे की उससे पहले आप पैप स्मीयर की जांच करा ले या फिर आप गर्भावस्था के शुरूआती महीनो में ही जांच करा ले इससे आपके बच्चे पे आने वाले परेशानियों का पता चल सकता है |
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ओव्यूलेशन के दौरान एस्ट्रोजन-प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोंस की वजह से सर्विक्स मुलायम होती हैं और खुल जाती हैं और जांच में आसानी होती है | इसलिए जांच के लिए यह बेहतर समय होता है। लेकिन जांच के 24 घंटे पहले तक शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें।
किसी भी तरह की खुशबु का इस्तेमाल वजाइना के नोर्मल पर्यावरण को ख़राब कर देगा इसलिए इस जांच से पहले वजाइना में किसी तरह की क्रीम या इत्र का प्रयोग न करें।
कोशिश करे की आरामदायक कपड़े पहन कर जाए जिन्हें निकालने और पहनने में परेशानी और शर्मिंदगी ना हों क्यूंकी कई बार कपड़ो की वजह से डॉक्टर के सामने शर्मिंदगी महसूस होती है।
अगर आपकी उम्र 30 या उससे ज्यादा है तो आपको यह जांच करवाना जरूरी है। यह टेस्ट उन महिलाओं के लिए भी जरूरी है, जो सेक्शुअली एक्टिव हैं। इसे 1 से तीन साल में रिपीट करवाते रहना चाहिए। अगर सेल्स में किसी तरह के बदलाव पाए जाते हैं, तो यह टेस्ट इससे भी कम समय में रिपीट करवाना पड़ सकता है। दरअसल, कई बार यह प्रॉब्लम तब पता चलती है, जब बहुत देर हो चुकी होती है।
पैप स्मियर टेस्ट में यूटरस से कुछ सेल्स लेकर उनका टेस्ट किया जाता है। इसमें इन सेल्स को माइक्रोस्कोप से देखकर यह पता लगाया जाता है कि कहीं ये सेल्स कैंसर से ग्रस्त तो नहीं हैं। अगर हैं, तो कैंसर की यह कौन सी स्टेज है। यही नहीं, इस टेस्ट से कैंसर से पहले बॉडी में आने वाले बदलावों के बारे में भी पता चल जाता है। इससे घबराने की जरुरत नहीं है यह बस एक नार्मल जाँच है।
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