मेडिकल इंश्योरेंस उठाएगा ...
बाजारीकरण के इस युग में हर चीज महंगी होती जा रही है। इसी कड़ी में हेल्थ सुविधा भी शामिल है। खासकर प्रेग्नेंसी के दौरान व बाद में होने वाले खर्चों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इस वृद्धि ने दंपत्तियों को इसकी भरपाई के लिए ऑप्शन ढूंढने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे दंपत्तियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस के तहत आने वाला मैटर्निटी इंश्योरेंस संजीवनी बूटी जैसा है। इसे अपनाकर प्रेग्नेंसी के दौरान आने वाले बेतहाशा खर्चों से आसानी से निपटा जा सकता है। पर इसके लिए मैटर्निटी इंश्योरेंस से जुड़े सभी पहलुओं को समझना बेहद जरूरी है। यहां हम आपको बताएंगे मैटर्निटी इंश्योरेंस से जुड़ी हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं और वो बात जिसकी मदद से आपकी हर उलझन दूर हो जाएगी।
दरअसल बीमा कंपनियां मैटर्निटी कवरेज को लाइफ इंश्योरेंस पैकेज में राइडर के तौर पर रखती हैं। कुछ कंपनियां इसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान लेती हैं, तो कुछ एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लेतीं हैं।
आईआरडीए (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ) की ओर से 2013 में जारी किए गए सर्कुलर में बच्चे के जन्म पर आने वाले खर्च के मानक को परिभाषित किया गया है। इसलिए सभी बीमा कंपनियों के लिए इसे मानना जरूरी है। मैटर्निटी इंश्योरेंस में निम्नलिखित खर्चे शामिल किए जाते हैं...
- डिलिवरी के लिए हॉस्पिटल में एडमिट होने से पहले 30 दिन तक के और बच्चे के जन्म के 60 दिन बाद तक के खर्चा बीमा में शामिल होता है।
- मैटर्निटी इंश्योरेंस के तहत सर्जरी से होने वाले और सामान्य तरीके से होने वाले बच्चे के जन्म का खर्च जोड़ा जाता है। अगर बच्चे के जन्म के बाद भी मां को कोई दिक्कत होती है, तो उसका खर्च भी दावे की रकम में जोड़ा जा सकता है।
- इसके अलावा इस इंश्योरेंस में हॉस्पिटल या नर्सिंग होम के कमरे का किराया, नर्स और सर्जन का खर्च, डॉक्टर की फीस, इमरजेंसी एंबुलेंस का खर्च भी जुड़ा होता है।
- अगर बच्चे को कोई पैदाइशी दिक्कत या फिर कोई गंभीर बीमारी हो, तो कवरेज का विस्तार 1 से 90 दिन तक भी किया जा सकता है।
- इसके अलावा गर्भवती की सेहत की जरूरत के मुताबिक गर्भ गिराने और पहले का खर्च भी इसमें कवर होता है।
- मैटर्निटी इंश्योरेंस का लाभ लेने के लिए पॉलिसी खरीदने वाले की उम्र सीमा 45 साल तक रखी गई है।
- अगर गर्भ ठहरने के 12 हफ्ते में ही गर्भ गिर जाए, तो इससे जुड़े इलाज का खर्च बीमा में शामिल नहीं होता है।
- आसामान्य तरीके (टेस्ट ट्यूब बेबी या सरोगेसी) से गर्भधारण करके बच्चे को जन्म देने पर आने वाले खर्च को भी इस बीमा में शामिल नहीं किया जाता है।
मैटर्निटी इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए पॉलिसी की खरीद के बाद 2 से 4 साल तक इंतजार की मियाद होती है। इस दौरान कोई दावा नहीं किया जा सकता है। कुछ पॉलिसी में इसकी समयावधी 6 साल भी होती है। वहीं कुछ कंपनियां ऐसी स्कीम भी दे रहीं हैं, जिसमें ये मियाद 9 महीने भी होती है। हालांकि ऐसी योजना बहुत कम हैं। ऐसे में जरूरी है कि जल्द से जल्द मैटर्निटी इंश्योरेंस कराया जाए।
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