क्यों है गर्भावस्था में व ...
आपने विटामिन-ए की खासियतों व इससे मिलने वाले फायदों के बारे में खूब सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्भावस्था में इसका महत्व और बढ़ जाता है। दरअसल आम दिनों की तुलना में प्रेग्नेंसी में ज्यादा विटामिन-ए की जरूरत पड़ती है। एक्सपर्ट के अनुसार गर्भावस्था में एक महिला को रोजाना 100mcg विटामिन-ए की जरूरत पड़ती है। विटामिन-ए न सिर्फ गर्भवती को फायदा पहुंचाता है बल्कि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को भी कई लाभ होते हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे आखिर गर्भावस्था में क्यों जरूरी है विटामिन-ए और इसकी कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में विटामिन-ए महिला की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। इससे गर्भावस्था के दौरान उसके बीमार पड़ने की आशंका कम रहती है। इसके अलावा पेट में पल रहे शिशु का भी विकास लगातार होता है, जिस वजह से विटामिन-ए की जरूरत और बढ़ जाती है। अगर महिला गर्भावस्था में विटामिन-ए ठीक से ले तो इससे बच्चे का विकास भी तेजी से व अच्छे से होता है। यही वजह है कि प्रेग्नेंसी के दौरान इसे इतना जरूरी माना गया है।
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि गर्भावस्था में विटामिन-ए का सेवन करने से कई फायदे होते हैं, लेकिन शरीर में अगर इसकी मात्रा कम हो जाए तो यह नुकसानदायक भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इसका सेवन करते समय इसकी मात्रा पर भी ध्यान दें। डॉक्टर से बीच-बीच में जरूर सलाह लेतीं रहें। आइए जानते हैं विटामिन-ए की कमी के परिणाम।
विटामिन-ए की कमी से महिला व बच्चे दोनों को काफी नुकसान पहुंचता है। इसकी कमी की वजह से कई लक्षण भी सामने आने लगते हैं। इन्हें पहचानना आपके लिए बहुत जरूरी है। विटामिन-ए की कमी के लक्षण हैं – नींद न आना, रात को बहुत कम दिखना (नाइट ब्लाइंडनेस), निमोनिया की शिकायत व कमजोर इम्यून सिस्टम।
ज्यादा विटामिन-ए लेने से भी बचें
विटामिन-ए वैसे तो गर्भवती महिलाओं व शिशु दोनों के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा से नुकसान भी पहुंच सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इसकी मात्रा पर विशेष ध्यान दें। समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर इसकी मात्रो को लेकर बात करें। आइए जानते हैं इसकी अधिक मात्रा होने से क्या होते हैं नुकसान।
विटामिन-ए के स्रोत
आपको विटामिन-ए कई चीजों में मिलता है। आप इन चीजों को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। जिनमें विटामिन-ए मिलता है, वो इस प्रकार हैं – संतरा, चुकंदर, साग, ब्रोकली, साबुत अनाज, दूध, दही, मक्खन, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, मिर्च, बींस, राजमा, पपीता, धनिया, चीकू, मटर, कद्दू, लाल मिर्च, सी फूड, शलजम, टमाटर, शकरकंद, तरबूज, मकई के दाने, मीट, मछली, अंडा, पीले व नारंगी रंग के फल आदि।
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