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कैसे करें कंट्रोल अगर आपका बच्चा गुस्साने पर दाँत काटता या नोचता है?

3 to 7 years

Nivedita

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2 weeks ago

कैसे करें कंट्रोल अगर आपका बच्चा गुस्साने पर दाँत काटता या नोचता है?

छोटा बच्‍चा जब खुश होता है तब हंसता और खिलखिलाता है और पूरे घर को खुशियों से भर देता है। लेकिन जब वही बच्‍चा गुस्‍सा होता है तो रोने के अलावा अपने गुस्‍से को जाहिर करने के लिए दाँत भी काटता है। लेकिन कई बार यह बच्‍चे की आदत बन जाती है और जब वह किसी के पास जाता है तो दाँत काटता है। छोटे बच्‍चे अच्‍छे और बुरे में फर्क नहीं कर पाते हैं, इसीलिए तो वे कई बार गुस्‍से में नहीं बल्कि खुशी में दाँत काटते हैं। ऐसे मौके कई बार आएंगे जब आपका छोटा बच्चा गुस्सा दिखाएगा, और वह भी अलग-अलग तरीकों से।

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कई बार तो वह आप पर हाथ भी उठा देगा। वैसे भी 2-4 साल के बच्चों में आमतौर पर थप्पड़ मारने या चुटकी काटने जैसी आदतें देखी जाती हैं, और इसमें कई बुराई भी नहीं। गुस्सा एक भावना है जिसके बारे में जब बच्चे को पता चलता है तो वो इसे दर्शाना शुरु कर देता है। आपके लिए उसकी मदद करना और गुस्से का सामना करना ज़रूरी है। अगर आप उनकी इस हरकत पर गुस्‍सा होंगे तो हो सकता है बार-बार वे ऐसा सिर्फ आपका ध्‍यान आकर्षित करने के लिए करें। इसलिए जब आपका बच्‍चा दाँत काटे तो गुस्‍सा न हों बल्कि शांत रहें। अगर घर में मेहमान आये हों तो इससे आपको शर्मिंदगी भी महसूस हो सकती है। 

बच्चों के गुस्से पर काबू पाने के लिए इन उपायों को आजमाएं/ How To Handle An Angry Child In Hindi

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अगर आपका बच्‍चा दाँत काटता है या नोचता है तो उसकी आदत को छुड़ाना ही बेहतर है। लेकिन इसके लिए उसे डांटे और मारे नहीं बल्कि ऐसे तरीके अख्तियार करें जिससे आसानी से उसकी दाँत काटने की आदत छूट जाये। आइए जानतें हैं कुछ आसान और असरकारी नुस्‍खे...

  • अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा अधिक गुस्‍से में है और वह आपे से बाहर हो रहा है तो उसका ध्यान किसी और चीज की तरफ आकर्षित कीजिए। हालांकि इसके लिए आपको मशक्‍कत करनी पड़ सकती है, लेकिन इससे उसकी दाँत काटने की आदत छूट जायेगी।
     
  • जब बच्‍चे के दाँत निकलने लगते हैं तब अमूमन बच्‍चे दाँत काटते हैं। दाँत निकलने के दौरान दाँत काटना एक आम  समस्‍या है। ऐसे में बच्‍चों को एक टीथर दीजिए। इससे बच्‍चा उसमें उलझा रहेगा और दाँत नहीं काटेगा। हो सके तो टीथर को ठंडा करके दीजिए। दाँत निकलने के दौरान होने वाले दर्द से राहत के लिए ठंडा वॉश-क्‍लॉथ भी बच्‍चे को दे सकते हैं। 
     
  • अगर माँ- बाप बच्‍चे की जरूरत को नहीं समझ पाते हैं तो वह अपनी तरफ ध्‍यान आकर्षित करने के लिए भी ऐसा कर सकता है। इसलिए ऐसे में इस बात को समझें कि यह वक्‍त बच्‍चे को प्रतिक्रिया देने का तरीका है। इसलिए आप बच्चे पर पूरा ध्यान रखें ताकि उन्हें ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ और न करना पड़े।
  • यदि बच्चा हिंसक हो रहा है तो उसका कारण जानने का प्रयास करें। उसे वक़्त दें, उसकी बात सुनें और उसकी सोच को भटकने न दें। माता-पिता के झगड़े और पारिवारिक कलह भी इसके लिए जिम्मेदार है। टेलीविजन पर हिंसात्मक फिल्मों को देख कर बालमन हिंसक हो उठता है। सामाजिक हिंसा और उस से पड़ने वाला असर भी बच्चों को आक्रामक बनाता है। समाज में फैली जातिवाद की भावना, अमीरी- गरीबी का भेद, बच्चों की अंतरात्मा पर प्रभाव डालता है। दूसरों के द्वारा महत्त्वहीन समझा जाना उस में एक प्रकार की हीन भावना भर जाता है जो उस के हिंसक बनने का मूल कारण बनता है। वयस्कों में भी हिंसक प्रवृत्ति होने के मनोवैज्ञानिक कारण ही होते हैं फिर बच्चे तो बच्चे ही हैं। वे अपनी मानसिक कमजोरी के चलते ही हिंसक हो उठते हैं अपराध हो जाने के बाद ही वे समझ पाते हैं कि उन से कोई भयंकर भूल हो गई है।
     
  • बच्चे के गुस्सा होने पर आपका गुस्सा दिखाना स्थिति को और गम्भीर बनाने का ही काम करेगा और बच्चे का व्यवहार और बिगड़ जाएगा। आप बच्चे से जैसे बर्ताव की उम्मीद करते हैं उसके सामने वैसा ही व्यवहार करें। अगर आपके बच्चे को गुस्सा आ रहा है तो आप गुस्सा न करें। खुद को शांत और नियंत्रित रखें, फिर उसे शांत कराएं। उससे बात करें, उसका ध्यान भटकाएं या उसे पानी पिलाएं। लेकिन जिस भी तरीके से उसका ध्यान बंटें वह बांटने की कोशिश करें।
     
  • अगर आपका बच्चा इतना बड़ा है कि अच्छे और बुरे बर्ताव के बीच का अंतर समझ सके या वो जानता हो कि किसी पर हाथ उठाना खराब है, तो हम बताते हैं कि आपको क्या करना है। जब भी वह आपको थप्पड़ मारे तो उसकी आंखों में देखकर उसे मना करें। जिससे उसे समझ आ जाए कि उसका ऐसा व्यवहार ग़लत है और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
     
  • गुस्सा दबाया जा सकता है, लेकिन आपको बच्चे को गुस्से वाली स्थिति से बाहर निकलने में मदद करनी होगी। अगर हंसी-मज़ाक या गुदगुदी करने से उसका गुस्सा शांत होता है तो वह भी ट्राई कर सकती हैं।
     
  • ये टिप्स आपको बच्चे के गुस्से को उसकी आदत बनने से पहले काफी मददगार साबित हो सकती हैं। लेकिन, अगर आपके बच्चे को बहुत अधिक गुस्सा आता है तो उसे किसी साइकोलॉजिस्ट से मिलाएं। 
  • ब से बड़ी बात है कि अभिभावक अपने बच्चों की हिंसात्मक प्रवृत्ति को छिपाते हैं या अपने स्तर पर ही समझा- बुझा कर मामला रफा- दफा करना चाहते हैं। वह यह मानने को कतई तैयार नहीं होते कि उन का बच्चा किसी मानसिक रोग से पीडि़त है और उसे मनोचिकित्सक की सलाह की जरूरत है जबकि बच्चों में पनपती इस हिंसा को रोकने के लिए उन्हें मनोचिकित्सा की जरूरत होती है। दंड देना या जलील करना उन्हें और ज्यादा आक्रामक बना जाता है।​
  • केवल बुरे बर्ताव की बुराई करने से काम नहीं होगा, आपको अपने बच्चे की अच्छी आदतों और अच्छे बर्ताव की तारीफ करनी होगी। जब भी आपका बच्चा उसे गुस्सा दिलानेवाली बातों पर गुस्सा नहीं करता, तो उसकी तारीफ करना ना भूलें।
  • इसके साथ ही आपको उन लोगों के व्यवहार पर भी नज़र रखनी चाहिए, जिनके साथ आपका बच्चा बातें करता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि चीज़ें फेंकने की उसकी आदत उसने किसी और से सीखी हो? क्या आपके लिए अपने ही गुस्से पर काबू पाना मुश्किल है? ये कुछ ऐसी बातें हैं जिनपर आपको ध्यान देना चाहिए।

 

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