कंबल और रजाई से होने वाली फैब्रिक एलर्जी (Fabric Allergy) के लक्षण व बचाव के उपाय

मधु अपने 5 साल के बेटे के साथ सर्दी की छुट्टियों में ट्रेन से पटना जा रही थी। रास्ते में अचानक उसके बेटे की तबियत खराब हो गई। शरीर पर लाल लाल चकत्ते के निशान नजर आने लगे और लगातार छींक आने लगी। अब मधु को कुछ समझ में आ नहीं रहा था कि ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाए? संयोगवश उसी ट्रेन में एक डॉक्टर भी सफर कर रहे थे उन्होंने फौरन कुछ दवाएं दी और उसके बाद डॉक्टर ने पूछा कि क्या उनके साथ में खुद का कंबल है। अगर है तो ट्रेन में दी गई कंबल को हटाकर अपने साथ लाई हुई कंबल ओढ़ा दें। डॉक्टर ने बताया कि आपके बेटे को कंबल और रजाइयों से एलर्जी (Fabric Allergy) हो सकती है। ये सुनकर आपको भी कुछ अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन ये सच है कि बच्चों को कंबल और रजाई से भी एलर्जी हो सकती है। तो आइये जानते हैं इस ब्लॉग में कंबल और रजाई से एलर्जी होने के क्या कारण हैं और इससे बचने के लिए किन उपायों को आजमाया जाए।
कंबल और रजाई से एलर्जी होने के लक्षण/ Fabric Allergy Symptoms in Hindi)
सबसे पहले तो ये जानिए कि कंबल और रजाई से एलर्जी (Fabric Allergy) होने के लक्षण क्या-क्या हैं?
- अगर अचानक से आपके बच्चे को बहुत अधिक छींक आना शुरू हो जाए और छींक आने का सिलसिला रूक-रूक कर कुछ अंतराल के बाद होता रहे
- पूरे शरीर पर या शरीर के कुछ हिस्सों पर लाल-लाल चकत्ते या लाल दाने उभर आना
- नाक बहने लगना या नाक का जाम हो जाना या सांस संबंधी समस्याओं का हो जाना
- बच्चों की त्वचा (Skin) बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं और इसके साथ ही उनकी इम्यूनिटी पावर भी कमजोर होती है तो उनको एलर्जी होने का खतरा ज्यादा होता है
- यूं तो बच्चों को एलर्जी कई चीजों से हो सकती है जैसे कि कुछ खाद्य पदार्थों, धूप, धूल, मिट्टी एवं अन्य से लेकिन कंबल और रजाइयों से भी कुछ बच्चों को एलर्जी हो सकती है
कंबल और रजाई से किन वजहों से होती है बच्चे को एलर्जी /Causes of Fabric Allergy to Children in Hindi
अब आप ये जानिए कि आखिर किन कारणों से रजाइयों और कंबलों से बच्चे को एलर्जी हो सकती है। इन वजहों को जानना बहुत आवश्यक होता है ताकि आप पहले से ही सतर्क रह सकें।
धूल मिट्टी या गंदगी (Dust-Dirt) -
अब एक प्रश्न का जवाब दीजिए। सर्दी का मौसम जैसे ही खत्म होता है तो आप अपने कंबल और रजाईयों का क्या करते हैं? आपका जवाब यही होगा कि उनको पैक करके किसी बॉक्स में बंद कर देते हैं। अब जरा सोचकर देखिए कि इस रजाई या कंबल को फिर 7-8 महीनों के बाद ही वापस निकाला जाता है। दरअसल इनकी अच्छे से सफाई नहीं हो पाती है और बड़े शहरों में तो ऐसे भी बिल्डिंग होते हैं जहां धूप अच्छे से आ नहीं पाती है। धूप दिखाने की महज औपचारिकता पूरी की जाती है और इसका परिणाम ये होता है कि इनमें मौजूद धूल और गंदगी की अच्छे से सफाई नहीं हो पाती है। अब इसी कंबल या रजाई को जब बच्चों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाता है तब इस वजह से एलर्जी होने की संभावना बन जाती है।
केमिकल्स (Chemicals) -
जैसा कि आप जानते हैं कि अधिकांश कंबल या रजाई को बनाने के लिए रूई यानि कॉटन का इस्तेमाल किया जाता है। रूई की खेती के दौरान बहुत तरह के कीटनाशक और फर्टीलाइजर्स का प्रयोग किया जाता है। इनमें मिले केमिकल्स से भी बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है और ये भी एलर्जी का कारण बन सकता है।
ब्लीच या डाई (Bleach & Dye) -
रूई के तैयार होने के बाद उनपर ब्लीच या डाई का प्रयोग किया जाता है और ये भी खतरनाक केमिकल्स होते हैं। क्या आप जानते हैं कि अधिकांश बिस्तर और तकिया भी पालीऊरेथन से बनते हैं। अधिकांश रजाइयों को तैयार करने में पोलिएस्टर का इस्तेमाल किया जाता है। बिस्तर हो या कंबल-रजाई इनमें मौजूद खतरनाक रसायन भी एलर्जी के प्रमुख कारण हो सकते हैं। इसके अलावा आप ये भी जान लें कि सर्दी के मौसम में बच्चे को पहनाए जाने वाले स्वेटर या अन्य गर्म कपड़ों से भी एलर्जी हो सकती है।
कैसे बचाएं बच्चे को एलर्जी से /Treatment Remedies to Save Child from Fabric Allergy in Hindi
कंबल या रजाई से होने वाले एलर्जी से अपने बच्चे को बचाने के लिए आपको कुछ विशेष एहतियात बरतने की आवश्यकता है। अब हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जो आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
- आपके घर में मौजूद जितने भी कंबल या रजाई हों उनको इस्तेमाल करने से पहले कुछ दिन धूप जरूर दिखाएं। इसके अलावा भी सर्दी के मौसम में जब धूप निकल रहा हो तो कुछ घंटों के लिए धूप में रजाई-कंबल को जरूर डाल दें। एक और जरूरी बात कि कंबल हो या रजाई इनको साल में 2 बार ड्राईक्लीन जरूर करवाएं।
- आप या आपके बच्चे जिस बिस्तर पर सोते हैं या जो कंबल-रजाई इस्तेमाल करते हैं उनकी साफ-सफाई पर जरूर ध्यान दें। चादरों और रजाई-कंबल की खोल को गर्म पानी से समय-समय पर धोएं। कुछ अंतराल पर चादर या रजाई कंबल के उपरी खोल को बदलते रहें।
- आपको कुछ पैसे अधिक खर्च करने पड़ सकते हैं लेकिन संभव हो सके तो वैसी रजाईयां ही खरीदें जिनको बनाने में 100 प्रतिशत कॉटन का इस्तेमाल किया गया हो।
- कड़ाके की सर्दी के दौरान हम साफ-सफाई को लेकर थोड़े आलसी बन जाते हैं लेकिन आपको ये ध्यान रखना चाहिए कि घर में किसी प्रकार की गंदगी मौजूद ना रहे
- सूर्य की रोशनी घर में आने से कई प्रकार की बीमारियों से बचाव होता है
- सर्दी के चलते अधिकांश घरों की खिड़कियां हमेशा बंद रहती है लेकिन दिन के समय में अगर तेज हवा नहीं बह रही हो और सूरज की धूप नजर आ रही है तो कुछ देर के लिए ही सही खिड़कियों को जरूर खोल कर रखें।
- सफर के दौरान जब कभी बाहर जाएं तो प्रयास ये करिए कि बच्चों के लिए कंबल साथ में लेकर जाएं। भले लगेज का थोड़ा भार कुछ ज्यादा हो जाए लेकिन ये करना जरूरी है।
- होटल या ट्रेन में भी नया या साफ-सुथरा कंबल ही मांगे।
कुल मिलाकर आप ये समझ लें कि अगर कभी भी कंबल-रजाई का इस्तेमाल करते समय, नया स्वेटर या गर्म कपड़ा पहनने के बाद एलर्जी के लक्षण नजर आएं तो उसके बाद आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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