क्या होती है 4 महीने के ब ...
जन्म के बाद शिशु को बड़े होते देखना व इस दौरान उसके द्वारा की जाने वाली हर गतिविधियां पैरेंट्स व घर के सदस्यों को आनंदित करती हैं। लेकिन ये भी उतना ही बड़ा सच है कि इस आनंद की प्राप्ति करने के पीछे पैरेंट्स को बहुत सावधानियां बरतने की भी आवश्यकता होती है । जन्म के दूसरे महीने के बाद से बच्चे में हर महीने कुछ न कुछ शारीरिक व मानिसक विकास होता है। यह विकास कई बदलावों को लेकर आता है, जिसे देखकर कई बार मां-बाप चिंतित भी हो जाते हैं। पर जरूरी नहीं कि ये बदलाव गलत हों। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि चौथे महीने में बच्चे में क्या विकास होता है, उसकी क्या गतिविधियां होती हैं और उसकी देखभाल किस तरह करनी चाहिए।
तीसरे महीने से शुरू हुआ बच्चे का विकास चौथे महीने में भी जारी रहता है। इस महीने में बच्चे के अंदर शारीरिक व मानसिक विकास के अलावा भावनात्मक विकास भी होता है। आइए जानते हैं ऐसे ही इन विकास व गतिविधियों के बारे में।
जन्म के बाद चौथे महीने में भी अभिभावकों को बच्चे पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। देखभाल के अभाव में बच्चा मुसीबत में आ सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे करें 4 महीने के बच्चे की देखभाल और क्या सावधानी बरतें।
ऊपर बताई गई बातों के अलावा पैरेंट्स को बच्चों पर करीब से नजर रखनी चाहिए। बच्चों के व्यवहार में अचानक आए बदलाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वे अपनी तकलीफ आपको बोल कर नहीं बता सकते, ऐसे में आपको खुद ही उनकी हर हरकतों पर ध्यान रखकर उनकी परेशानी समझन की कोशिश करनी होगी। यहां हम बता रहे हैं कुछ ऐसी ही बातें, जिन पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
- 4 महीने का बच्चा अगर सिर को सहारा देने के बाद भी संतुलित न रख सके, चीजों को पकड़ न सके, खिलौने व चीज को मुंह तक न ले जा सके या फिर पैरों से खुद को धकेल न सके व पैरों को ज्यादा देर तक न चलाए तो यह चिंता का विषय है। आपको फौरन चाइल्ड डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- बच्चा अगर लोगों को देखकर हंसने या रोने जैसी कोई प्रतिक्रिया न दे या फिर किसी आवाज को सुनकर भी कोई रेस्पॉन्स न दे तो इस स्थिति में भी आपको बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
- अगर बच्चा दूध न पी रहा हो और दिन भर चिड़चिड़ापन दिखाए, रोता रहे या फिर रात को ठीक से न सोए तो इसका मतलब है कि उसे कोई शारीरिक समस्या है। उसे फौरन डॉक्टर के पास ले जाएं।
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