SMA से जूझ रही 5 महीने की बच्ची को लगेगा 16 करोड़ का इंजेक्शन, देश मांग रहा है दुआ

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Prasoon Pankaj

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4 years ago

SMA से जूझ रही 5 महीने की बच्ची को लगेगा 16 करोड़ का इंजेक्शन, देश मांग रहा है दुआ

मुंबई में 5 महीने की बच्ची तीरा अस्पताल में एडमिट है। 5 महीने की ये बच्ची तभी स्वस्थ हो सकती है जब इसको Zolgensma नाम का इंजेक्शन लग पाएगा। क्या आप जानते हैं कि इस इंजेक्शन की कीमत क्या है। अमेरिका से मंगवाए जा रहे इस इंजैक्शन की कीमत टैक्स पे करने के बाद 22.5 करोड़ पड़ती है। इस इंजेक्शन पर 6 करोड़ रूपये का टैक्स लगता है यानि कि इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ है। फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंजेक्शन पर लगने वाले टैक्स को माफ कर दिया है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि तीरा को आखिर कौन सी ऐसी बीमारी है जिसके इलाज के लिए इतना महंगे इंजेक्शन की जरूरत है। दरअसल तीरा नामकी ये बच्ची स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (spinal muscular atrophy) नामकी गंभीर बीमारी से जूझ रही है। क्या है ये बीमारी और इसके लक्षण क्या होते हैं, इसके बारे में हम विस्तार से इस ब्लॉग में जानेंगे। 

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क्या है स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी नामकी बीमारी / What is spinal muscular atrophy Disease In Hindi

तीरा कामत 5 महीने की बच्ची है और पिछले 13 जनवरी को तीरा को मुंबई के SRCC चिल्ड्रेन हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया। इस बच्ची के एक फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक ये बच्ची स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी नामकी बीमारी से ग्रसित है। 

  • स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी यानि SMA एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है। 

  • इस बीमारी की चपेट में आने पर बच्चे का शरीर धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है।

  • इस बीमारी के दुष्प्रभाव के चलते बच्चे चल फिर भी नहीं सकते हैं। इसके अलावा शरीर के कई अंगों पर इसका असर दिखने लगता है

  • बच्चे के शरीर की मांसपेशियों पर उनका नियंत्रण खोने लगता है

  • डॉक्टरों के मुताबिक ये एक जेनेटिक बीमारी है जो जीन में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर अगले पीढ़ी में भी पहुंच सकता है।

  • मस्तिष्क की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड को नुकसान पहुंचने लगता है और इन परिस्थितियों में ब्रेन शरीर की मांसपेशियों को नियंत्रण में रखने के लिए मैसेज भेजना धीमे धीमे बंद कर देता है।

  • ये बीमारी जब अपने विस्तार रूप में होती है तब बच्चा हिलना-डुलना भी बंद कर देता है।

स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी नामकी बीमारी का इलाज क्या है?

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक अब तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है, हां दवाओं के माध्यम से इसका असर कम जरूर किया जा सता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक दावा किया जाता है कि Zolgensma नामके इंजेक्श के एक डोज से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। इस इंजेक्शन की कीमत इतनी ज्यादा है कि लोग इसको सबसे महंगी उपचार या सबसे महंगी बीमारी के नाम से भी जानते हैं। फिलहाल इस इंजेक्शन की कीमत तकरीबन 16 करोड़ बताई जाती है औऱ इस पर टैक्स के रूप में 6.5 करोड़ पे करना होता है। 

child suffering from spinal muscular atrophy

कितने प्रकार की होती है स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी

आपको बता दें कि कुल 5 प्रकार के स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी बीमारी होते हैं। 

  1. टाइप 0- डाइबिटीज की तरह इस बीमारी को भी अनेक टाइप में बांटा गया है। टाइप 0 तब होता है जब शिशु अपने मां के गर्भ में पल रहा होता है। इस दौरान जन्म लेने के बाद से ही शिशु के शरीर के जोड़ों में दर्द बना रह सकता है लेकिन इस तरह के मामले दुनियाभर में कम ही देखने को मिले हैं।

  2. टाइप 1- इस परिस्थितियों में नन्हा शिशु बिना किसी की मदद लिए अपने सिर तक को भी हिला नहीं पाते हैं। शिशु को कुछ भी निगलने में भी कठिनाई हो सकती है। इसमें हाथ पैर ढ़ीले हो जाते हैं। हम जिस बच्ची तीरा की बात करते हैं वो इसी फेज का सामना कर रही है।

  3. टाइप 2- इस तरह के मामले तब सामने आते हैं जब बच्चा 6 से 18 महीने के बीच में होते हैं। इस फेज में बच्चे के हाथों से ज्यादा पैरों पर असर दिखता है। बच्चे चाह कर भी खड़े नहीं हो पाते हैं।

  4.  टाइप 3- ये तब हो सकता है जब बच्चे की उम्र 2 से 17 साल के बीच में हो। भविष्य में बच्चे को व्हीलचेयर का भी सहारा लेना पड़ सकता है।

  5. टाइप 4- ये वयस्कों को भी अपनी चपेट ले सकता है। इस दौरान मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और सांस लेने में परेशानियों का सामन करना पड़ सकता है। 

Zolgensma  इंजेक्शन इतना महंगा क्यों है?

Zolgensma नामका इंजेक्शन जो कि स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी नामकी बीमारी का खात्मा करने का दावा करता है इसको स्विटजरलैंड की कंपनी नोवार्टिस तैयार करती है। कंपनी का दावा है कि ये इंजेक्शन एक तरह का जीन थेरेपी ट्रीटमेंट है। इस इंजेक्शन को स्पानइल मस्क्यूलर अट्रॉफी बीमारी से जूझ रहे 2 साल से कम उम्र के बच्चे को लगाया जाता है।  अब आप ये भी जान लें कि ये इंजेक्शन काम कैसे करता है? दरअसल स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी शरीर में जिस जीन की खराबी के कारण पैदा होता है, Zolgensma नाम का ये इंजेक्शन उसे नए जीन से रिप्लेस करता है। इस वजह से बच्चे के बॉडी में ये बीमारी फिर से नहीं होती है क्यों बच्चे के डीएनए में नया जीन शामिल हो जाता है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अब इस बीमारी के निदान की सुविधा अब जयपुर के जे के लोन अस्पताल में उपलब्ध हो गई हैं। तीरा नामकी इस बच्ची के परिवार ने करीब 10 करोड़ रूपये सोशल मीडिया से जुटा लिए हैं। लोगों का समर्थन भी तीरा और उसके माता-पिता मिहिर और प्रियंका को मिल रहा है। तीरा के पिता IT प्रोफेसनल हैं। तीरा के माता-पिता इतने सक्षम नहीं थे कि वो इतने महंगे इंजेक्शन का खर्च उठा सकें। इसके बाद उन्होंने क्राउड फंडिंग का सहारा लिया। सोशल मीडिया पर उन्होंने पेज बनाकर लोगों से मदद मांगी। कुल 10 करोड़ रुपये इस मुहिम के माध्यम से इकट्ठा किया गया। इस इंजेक्शन पर तकरीबन 6.5 करोड़ का टैक्स लगना था। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इंजेक्शन पर लगने वाले टैक्स को माफ कर देने की अपील की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंजेक्शन पर लगाए जाने वाले टैक्स को माफ कर दिया है। सारा देश इस समय तीरा के शीघ्र स्वस्थ हो जाने की दुआ कर रहा है। 

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