क्या बच्चे को कमर या रीढ़ ...
कमर की समस्या और रीढ़ की हड्डी का झुक जाने जैसी परेशानी बुजुर्गों में होना आम बात है लेकिन इस तरह की समस्या का बच्चा सामना कर रहा है तो ये चिंताजनक है। आपके बच्चे को कमर या रीढ़ की हड्डियों से संबंधित परेशानी ना हो इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। हम आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं कि बच्चे में रीढ़ की हड्डियों से संबंधित समस्याओं को समझने के लिए किस लक्षणों को ध्यान रखने की आवश्यकता है और इसके बचाव के क्या उपाय हो सकते हैं?
मेडिकल साइंस की भाषा में कहें तो इनफैंटाइल स्कोलिओसिस (Infantile Scoliosis) वैसी परिस्थितियों को कहते हैं जब 3 साल से छोटे बच्चे की रीढ़ की हड्डी झुक जाए। रीढ़ की हड्डी का एंगल 10 डिग्री से ज्यादा हो जाने पर इसमें टेढ़ापन हो जाता है। हालांकि ऐसी परिस्थिति में भले दर्द का एहसास नहीं होता है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान या शिशु के जन्म लेने के बाद ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं।
बच्चे के पोस्चर में अचानक से बदलाव नजर आ जाए
बच्चे का कंधा झुका हुआ नजर आने लगे
एक तरफ की पसलियां और हड्डी का अलग दिखना
कमर के चलते कुल्हे की स्थिति असंतुलित महसूस हो
किसी एक तरफ शरीर ज्यादा झुका नजर आए
सिर का एक तरफ ही झुकाव
अगर बच्चा बिना आपके सपोर्ट के बैठ रहा है, घुटनों के बल चलना या खड़ा हो रहा है तब इस तरह के लक्षण महसूस किए जा सकते हैं।
कुछ ऐसी परिस्थितियां होती है जब रीढ़ की हड्डी बहुत ज्यादा झुके ना हो तब कम इलाज या बिना इलाज के भी ठीक हो सकते हैं लेकिन इस निर्णय पर पहुंचने से पहले डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें और डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक ही उपचार कराएं।
कुछ परिस्थितियों में गर्भ के अंदर भी शिशु के रीढ़ की हड्डी झुक जाती है। आप इसको ऐसे समझिए कि जब गर्भ के अंदर शिशु के शरीर के एक तरफ गर्भाशय की दीवारों से असामान्य रूप से दबाव पड़ने लगता है तब ऐसी समस्याएं हो सकती हैं।
कुछ बच्चों में जेनेटिक कारणों से भी बच्चे में इस तरह की समस्याएं आ सकती है।
अगर बच्चे को पीठ के बल लंबे अंतराल तक छोड़ दिया जाता है तो दबाव के चलते उसकी खोपड़ी और रीढ की हड्डी सीधी हो सकती है और इसके चलते भी हड्डी टेढ़ी हो सकती है।
बच्चे को लेटकर मोबाइल या वीडियो देखने की आदत होती है, इसके चलते भी रीढ़ की हड्डियों में टेढापन आ सकता है
क्या आपका बच्चा पेट के बल पर घंटो लेटा रहता है तो फिर आपको सावधान होने की आवश्यकता है
बच्चे अगर झुककर मोबाइल या कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं तो भी इस तरह की समस्याएं हो सकते हैं
मौजूदा समय में इन समस्याओं के लिए इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं जैसे कि ब्रेसिंग, सर्जरी, सीरियल बॉडी कास्टिंग।
फिजियोथेरेपिस्ट के मार्गदर्शन में बच्चे को एक्सरसाइज करने से भी लाभ मिल सकता है।
मेरे पड़ोस में रहने वाली 5 साल की एक बच्ची को पिछले 6 महीने से कमर दर्द की समस्या बनी रहती है। हाल फिलहाल में जब उसने हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर से चेकअप करवाया। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक एक्सरे और एमआरआई की गई। रिपोर्ट मिलने के बाद ये पता चला की कमर के पास की रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो जाने के चलते नसों पर दबाव बन रहा है। अब डॉक्टर से सर्जरी कराने की सलाह दी है। स्कूली बच्चों को भारी स्कूल बैग उठाने के चलते भी कमर और रीढ़ की हड्डियों की समस्याएं हो सकते हैं। डॉ इमरान अख्तर बताते हैं कि स्कूल जाने वाले बच्चे भारी स्कूल बैग उठाने के चलते अपने ऊपरी भाग को आगे की तरफ झुका कर रखते हैं। इन कारणों से गर्दन और पीठ में अक्सर खिंचाव बना रहता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चे के वजन के 10 से 15 फीसदी से ज्यादा स्कूल बैग का वजन नहीं होना चाहिए
आप अपने बच्चे के लिए ऐसा स्कूल बैग चुने जिनमें कमर पर बांधने के लिए अलग से पट्टा लगा हो।
स्कूल बैग ऐसा चुने जिसके अंदर अलग-अलग प्रकार के खाने बने हो।
बच्चे का स्कूल बैग जिस कपड़े या वस्तु का बना हो वो हल्का हो
ये सुनिश्चित करें कि स्कूल बैग और बच्चे के पीठ की दूरी कम हो
स्कूल बैग की लंबाई आपके बच्चे की पीठ से अधिक ना हो
बच्चे का स्कूल बैग कमर से 2 इंच से ज्यादा ना लटका हो
ये भी ध्यान रखें कि स्कूल बैग का वजन बच्चे के दोनों कंधों पर समान रूप से आए
स्कूल बैग लेकर चलने के समय में बच्चे का शरीर सीधा होना चाहिए
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