क्यों होती है प्रीमैच्योर डिलीवरी? क्या हैं इसके नुकसान और कैसे करें बचाव?

प्रीमैच्योर डिलीवरी(Premature Delivery) यानी समय से पहले बच्चे का जन्म। भारत में इस तरह के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार, भारत में 27 मिलियन बच्चों में से 3.5 मिलियन बच्चे प्रीमैच्योर पैदा होते हैं। खराब लाइफस्टाइल, गर्भावस्था के दौरान की गई छोटी-मोटी लापरवाहियों के अलावा कुछ स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं भी प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण हैं। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे आखिर क्यों होती है प्रीमैच्योर डिलीवरी, क्या हैं इसके खतरे व इससे कैसे बचा जा सकता है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या है? / What is Premature Birth in Hindi
डॉक्टरों के अनुसार, अगर किसी बच्चे का जन्म मां की कोख में 40 हफ्ते तक रहने के बाद या उससे 1-2 हफ्ते पहले हो तो वह सामान्य डिलीवरी है। पर बच्चे का जन्म अगर 37 सप्ताह से पहले हो जाए तो इसे प्रीमैच्योर डिलीवरी यानी समय से पहले की डिलीवरी कहते हैं। समय से पहले जन्मे बच्चों के साथ स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं होने की आशंका बनी रहती है। हालांकि बच्चा अगर 28 हफ्ते से पहले जन्म ले तो उसके जिंदा रहने की संभावना बहुत कम रहती है।
क्यों होती है प्रीमैच्योर डिलीवरी? / Causes of Premature Delivery in Hindi
देश-विदेश में इस पर कई रिसर्च हुए हैं। इन रिसर्चों व डॉक्टरों की मानें, तो प्रीमैच्योर डिलीवरी के अलग-अलग कई कारण हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ मुख्य वजहों के बारे में..
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तनाव में रहना – यह बात कई शोधों में साबित हो चुकी है कि गर्भावस्था में महिलाओं के अधिक तनाव (डिप्रेशन) में रहने की वजह से भी प्रीमैच्योर डिलीवरी हो जाती है। तनाव के कई कारण हो सकते हैं।
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संतुलित वजन न होना – डॉक्टर बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान अगर किसी गर्भवती का वजन जरूरत से अधिक व जरूरत से कम हो जाए तो यह भी समय से पहले डिलीवरी का कारण हो सकता है।
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गर्भाशय में विकृति होने पर – कुछ गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में विकृति होती है। ऐसा होने पर भी प्रीमैच्योर डिलीवरी हो जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, गर्भाशय में विकृति होने पर गर्भाशय सेप्टम में बंट जाता है, इससे डिलीवरी में दिक्कत आती है।
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ज्यादा तेज बुखार व अन्य बीमारी होने पर - गर्भावस्था के दौरान अगर किसी महिला को तेज बुखार, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी, डायबिटिज, किडनी, लिवर की बीमारी, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया व अन्य बीमारी हो तो इनसे भी प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा रहता है।
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एनीमिया की स्थिति में – कई शोध व डॉक्टरों के विचार से यह साफ हो चुका है कि एनीमिया की वजह से भी समय से पहले प्रसव हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, एनीमिया के दौरान संक्रमण की आशंका अधिक रहती है, जो प्रीमैच्योर डिलीवरी का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का हीमोग्लोबिन 11-14 एमजी के बीच होना चाहिए।
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पौष्टिक भोजन के अभाव में – प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती के लिए पौष्टिक भोजन काफी जरूरी है। इससे मां और शिशु दोनों स्वस्थ रहते हैं। पर पोषण की कमी यानी पौष्टिक आहार न लेने से भी समय से पहले प्रसव होने का खतरा रहता है।
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एक से अधिक शिशु होने पर – कई मामलों में गर्भ में एक से अधिक (जुड़वा बच्चे) शिशु होने पर भी प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है। एक से अधिक बच्चे के गर्भ में होने पर महिला औसत से तीन सप्ताह पहले बच्चे को जन्म देती है।
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इन्फेक्शन की वजह से – रिसर्च के अनुसार, जेनाइटल ट्रेक इन्फेक्शन और यूरीनरी ट्रेक इन्फेक्शन की वजह से सबसे अधिक प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है।
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प्री एक्लेम्शिया व हाइपरटेंशन – कई मामलों में प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती को हाइपर टेंशन की वजह से झटके आते हैं। इसे प्री एक्लेम्शिया कहा जाता है। यह मां और पेट में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही खतरनाक है। इससे भी समय से पहले प्रसव हो सकता है।
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धूम्रपान – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को शराब, सिगरेट, तंबाकू व अन्य मादक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इनके सेवन से प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी के कई अन्य कारण भी हैं, जैसे अगर महिला पहले कभी प्रीमैच्योर डिलीवरी कर चुकी हो, महिला का उम्र 35 से अधिक व 17 से कम हो। ज्यादा देर तक खड़े रहना, अधिक मेहनत करना।
प्रीमैच्योर डिलीवरी के खतरे / Short & Long-Term Effects of Preterm Birth In Hindi
प्रीमैच्योर डिलीवरी होने पर मां और बच्चे दोनों को कई समस्याएं हो सकती हैं। बच्चे को इससे काफी अधिक नुकसान होने का खतरा रहता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ बड़े नुकसान के बारे में।
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बच्चे को सांस लेने में दिक्कत – डॉक्टरों के अनुसार, प्रीमैच्योर डिलीवरी के अधिकतर केस में ये देखने को मिलता है कि नवजात को सांस लेने में दिक्कत होती है, जो काफी खतरनाक स्थिति होती है।
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खून की समस्या – जिन बच्चों का जन्म समय से पहले होता है, उनमें कई तरह की खून की समस्या भी देखने को मिलती है। ऐसे बच्चों में सबसे ज्यादा एनीमिया और नवजात पीलिया की शिकायत आती है।
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दिल संबंधी समस्या – प्रीमैच्योर डिलीवरी में बच्चे को दिल संबंधी बीमारी होने का खतरा रहता है। इसमें भी पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस, पीडीए और लो ब्लड प्रेशर का खतरा अधिक रहता है।
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मस्तिष्क की दिक्कत – कई केस में ये भी देखने को मिला है कि समय से पहले जन्म बच्चे के मस्तिष्क में रक्तस्राव का खतरा ज्यादा रहता है। इसे अंतर्गर्भाशयी रक्तस्राव के नाम से भी जाना जाता है। मस्तिष्क में अगर ज्यादा ब्लीडिंग हो जाए तो बच्चे को दिमाग में गंभीर चोट लग सकती है।
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शरीर का अधूरा विकास – प्रीमैच्योर डिलीवरी में बच्चों के शरीर का विकास पूर्ण रूप से नहीं होता है। बच्चे का शरीर छोटा रह जाता है, जबकि कई केस में सिर बड़ा रहता है।
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शरीर के तापमान का कम होना – समय से पहले जन्मे बच्चे में जन्म के तुरंत बाद शरीर में संग्रहीत वसा की कमी हो जाती है। इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचाव के उपाय / How Can Reduce Risk of Premature Birth in Hindi
जब हम ऐसी सिचुएशन को फेस करते हैं तो हमारे मन में एक ह सवाल आता है प्रीमैच्योर डिलीवरी(Premature Labor) से बचने के लिए क्या करें। अगर गर्भवती गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानी बरते, तो प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचा जा सकता है। यहां हम बता रहे हैं ऐसी ही कुछ सावधानियां जिनका ध्यान गर्भवती को रखना चाहिए।
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आहार पर ध्यान देना जरूरी – गर्भवती महिला को खान-पान पर पूरा ध्यान देते हुए अधिक से अधिक पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। खाने में विशेष रूप से विटामिन, कैल्शियम, फोलिक एसिड आदि को शामिल करना चाहिए। इससे प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचा जा सकता है।
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पपीता व अनानास न खाएं - प्रेग्नेंसी में फलों का सेवन फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इस दौरान आपको अनानास व पपीता का सेवन नहीं करना चाहिए। इनमें रसायन होता है, जिससे गर्भपात हो सकता है।
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तनाव को कह दें ना – गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन व किसी भी तरह की चिंता से दूर रहें। दिमाग में कोई चिंता है, तो इसे दूर करने के लिए किताबें पढ़ें, गाने सुनें।
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खूब पानी पिएं – प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। पानी की कमी से समय पूर्व प्रसव का डर बना रहता है।
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खुद दवाइ न लें – अक्सर देखने में आता है कि सिर दर्द, पेट दर्द, कान दर्द व अन्य छोटी मोटी समस्याओं के लिए हम खुद दवाई ले लेते हैं। पर प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा न करें। इससे नुकसान पहुंच सकता है। डॉक्टर से सलाह लेकर ही कुछ लें।
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अधिक वजन न उठाएं – प्रेग्नेंसी के दौरान भारी वजन उठाने से बचना चाहिए। इसके अलावा आपको अधिक मेहनत भी नहीं करनी चाहिए। ज्यादा देर तक खड़ी न हों। अगर आप ऐसा नहीं करती हैं तो प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा हो सकता है।
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पेशाब न रोकें – पेशाब रोकना किसी भी स्थिति में ठीक नहीं माना गया है। यह नुकसान पहुंचाता है, अगर आप प्रग्नेंट हैं तो यह गलती भूलकर भी न करें। प्रेशर बनते ही पेशाब करें। पेशाब रोकने का असर सीधे यूट्रस पर पड़ता है, जो प्रीमैच्योर डिलीवरी का कारण बन सकता है।
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व्यायाम करें – प्रेग्नेंसी के दौरान आपको हल्के-फुल्के व्यायाम करने चाहिए। खाना खाने के बाद थोड़ा बहुत चलने की भी आदत डालें। इससे आपका वजन नियंत्रित रहेगा और प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा नहीं रहेगा।
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आराम करें – गर्भवती को प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के लिए खान-पान पर ध्यान देने के साथ ही आराम पर भी ध्यान देना चाहिए। आराम आपके लिए बहुत जरूरी है।
Parentune की सलाह: डॉक्टर को बीच-बीच में दिखाते रहें और बेहतर डिलीवरी के लिए जरूरी है कि आप समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराती रहें और डॉक्टर के कहे अनुसार करते रहें और सबसे जरुरी की आप खुश रहे और तनाव न लें।
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